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कोरोना की नई लहर पहले से ज्यादा खतरनाक, कितना अलग लॉकडाउन?

कोरोना की ताजा लहर को पिछले साल से भी खतरनाक माना जा रहा है लेकिन लॉकडाउन की बात की जाए तो सख्ती पहले से कम है. पिछले साल 24 मार्च को जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया तो पूरे देश का चक्का जाम हो गया. लेकिन अभी ऐसा नहीं है.

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दिल्ली में ताजा लॉकडाउन की तस्वीर (फोटो-ANI)
दिल्ली में ताजा लॉकडाउन की तस्वीर (फोटो-ANI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पिछले साल की तुलना में कोरोना की ज्यादा खतरनाक लहर
  • जहां लॉकडाउन वहां भी पहले जैसी सख्ती नहीं

देश में कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक बनकर सामने आई है. हर दिन नए मरीजों की संख्या दो लाख से ज्यादा जा रही है. बड़ी संख्या में मौत हो रही हैं, अस्पतालों की स्थिति खराब है. हालात ये हो गए हैं कि स्कूल-कॉलेज बंद हो गए हैं, परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं, अलग-अलग इलाकों में कर्फ्यू से लेकर लॉकडाउन तक लगा दिया गया है. 

कोरोना की ताजा लहर को पिछले साल से भी खतरनाक माना जा रहा है लेकिन लॉकडाउन की बात की जाए तो सख्ती पहले से कम है. पिछले साल 24 मार्च को जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया तो पूरे देश का चक्का जाम हो गया. हर तरफ सबकुछ बंद था. न फ्लाइट चल रही थीं, न ट्रेन और न ही बस या बाइक. यानी सड़क से आसमान तक सब सूना था. अब दिल्ली में 19 से 26 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है, बावजूद इसके दिल्ली की सड़कों पर बसें घूमती नजर आ रही हैं. मेट्रो भी चल रही है, दिल्ली के आसमान में हवाई जहाज भी उड़ते नजर आ रहे हैं.  

दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान तहत फूड, ग्रोसरी, फ्रूट, सब्जी, डेयरी, मीट, दवा की दुकानें, बैंक, एटीएम खुले रहेंगे. धार्मिक स्थलों को भी खोलने की इजाजत दी गई है, लेकिन कोई श्रद्धालु नहीं जा सकता है. शादियों और अंतिम संस्कार की भी छूट दी गई है. इन सबके लिए ई-पास लेना जरूरी होगा.   

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वहीं, पहले लॉकडाउन की बात की जाए तो न ही बैंक खुले थे और न ही शादियों की इजाजत थी. यहां तक कि धार्मिक स्थल भी बंद थे और अंतिम संस्कार भी सीमित संख्या के साथ किए जाते थे. सब्जियों जैसी खाने-पीने की चीजों की दुकानें भी एक निश्चित वक्त के लिए खुलती थीं. इनके अलावा बैंकों पर भी ताला लग गया था.

दिल्ली में ताजा लॉकडाउन के दौरान भी रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टेशन जाने वाले लोगों को छूट दी गई है. जबकि पहले लॉकडाउन में ऐसी व्यवस्था नहीं थी. वजह ये भी है कि पिछले साल के लॉकडाउन में बस, टैक्सी, ऑटो के अलावा ट्रेन और हवाई सेवाओं पर भी रोक थी. सिर्फ जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों को सड़क पर निकलने की इजाजत थी. जबकि अभी ऐसा नहीं है. अगर किसी का बाहर जाना जरूरी है तो वो बाहर जा सकता है.

पिछले साल लॉकडाउन के साथ ही कंटेनमेंट जोन भी बनाए गए थे. अगर किसी गली या मोहल्ले या सोसायटी में कोरोना केस आते थे तो उसे पूरी तरह सील कर दिया जाता था. फिलहाल, ऐसी स्थिति कहीं नहीं है.

पिछले साल पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन था, जबकि फिलहाल उस तरह का लॉकडाउन कहीं नहीं है. जहां लॉकडाउन लगाया भी जा रहा है वहां स्थिति पहले जैसी नहीं है. 

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