दिल्ली सरकार ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों (खासतौर से होम आइसोलेशन वाले) के प्रबंधन के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं. नए SOP के मुताबिक, अगर मरीज का घर होम आइसोलेशन के लिए ठीक नहीं पाया जाता है तो उसको कोविड केयर सेंटर में एडमिट कर दिया जाएगा.
फॉलोअप के तौर पर आउट सोर्स की गई कंपनी/ हेल्थ सेंटर से लिंक टीम/ मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को अगले 9 दिनों तक फोन करेंगे. होम आइसोलेशन में रहने वाले सभी मरीजों को 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाएगा.
1- टेस्टिंग
- जो व्यक्ति RT-PCR टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाएंगे, उनको डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर की टीम फोन करके उनकी बीमारी की श्रेणी का आंकलन करेगी. अगर मरीज को हल्के लक्षण हैं या लक्षण नहीं हैं तो उसको कोविड-19 सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा और ये आकलन किया जाएगा कि व्यक्ति होम आइसोलेशन के लिए ठीक केस है या नहीं.
- अगर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर की टीम ने पाया कि ऐसे मरीज के घर में दो कमरे हैं और मरीज के लिए अलग टॉयलेट है तो मरीज को होम आइसोलेशन के लिए भेज दिया जाएगा. मरीज को एक फोन नंबर दिया जाएगा और साथ में एक कैट्स एंबुलेंस की डिटेल दी जाएंगी, जिससे अगर कभी जरूरत पड़े तो मरीज को अस्पताल शिफ्ट किया जा सके.
रैपिड टेस्ट
इस टेस्ट में नतीजा आधे घंटे के अंदर आ जाता है. ऐसे टेस्ट कराने वाले जो भी व्यक्ति पॉजिटिव आएंगे, उनका वहीं पर मेडिकल ऑफिसर आकलन करेंगे और देखेंगे कि उनकी बीमारी कितनी गंभीर है. ऐसे टेस्ट में मेडिकल ऑफिसर का मरीज का आंकलन करना बिल्कुल वैसा ही माना जाएगा जैसा कोविड केयर सेंटर में माना जाता है.
- अगर मरीज के घर में 2 कमरे हैं और मरीज के लिए अलग से टॉयलेट है, मरीज को कोई पुरानी गंभीर बीमारी नहीं है तो मरीज को होम आइसोलेशन में रहने दिया जा सकता है.
- टेस्टिंग सेंटर पर मेडिकल ऑफिसर ऐसे मरीज को पल्स ऑक्सीमीटर देगा और उसको इस्तेमाल करना सिखाएगा. साथ में मरीज को होम आइसोलेशन के बारे में जानकारी देगा.
- डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर को मरीज की होम आइसोलेशन पात्रता के बारे में आकलन के बारे में कहा जाएगा.
- हल्के या बिना लक्षण वाले मामले जिनके पास अलग कमरे और टॉयलेट की सुविधा नहीं है, उनको कोविड केयर सेंटर में भेजा जाएगा.
- मध्यम लक्षण वाले सभी मामले जिनको पुरानी गंभीर बीमारी है, उनको कोविड हेल्थ सेंटर या हॉस्पिटल में एडमिट किया जाएगा
- सभी मध्यम या गंभीर मामले हॉस्पिटल में जाएंगे.
2- फॉलोअप
फॉलोअप के तौर पर आउट सोर्स की गई कंपनी/ हेल्थ सेंटर से लिंक टीम/ मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को अगले 9 दिनों तक फोन करेंगे. होम आइसोलेशन में रहने वाले सभी मरीजों को 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाएगा.
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3- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए एक डेडिकेटेड टीम दी जाएगी. ये टीम जानकारी इकट्ठा करेगी कि मरीज के लक्षण शुरू होने के साथ कौन-कौन लोग उसके संपर्क में थे. मरीज से पूछा जाएगा कि पिछले 7 से 10 दिनों में ऐसे कौन से लोग आपके संपर्क में आए हैं, जिनसे आपको संक्रमण हुआ होगा.