कोरोना वायरस की वजह से आए दिन कई लोग अपनी जान गवा रहे हैं पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना के सामने भी डटकर खड़े रहे हैं और कोरोना को मात भी दे रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा गुजरात के भावनगर से सामने आया है जहां पर 102 साल रानी बहन नाम की वृद्ध महिला ने कोरोना को मात दी है. 102 साल की उम्र में कोरोना के सामने लड़ने के लिए उनकी जो हिम्मत और हौसला है वह वाकई में काबिले तारीफ है. (प्रतीकात्मक फोटो)
दरअसल, कुछ दिन पहले रानी बहन को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. तब उनके पड़ोस में रहने वाली नम्रता जोगलेकर जो कि पेशे से थेरेपिस्ट हैं उन्होंने रानी बहन को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी. इसके बाद भावनगर की सर. टी अस्पताल में रानी बहन को एडमिट करवाया गया. इसको लेकर डॉक्टर नम्रता जोगलेकर का कहना है कि अस्पताल का माहौल काफी अच्छा था साथ ही 102 साल की उम्र में भी रानी बहन ने जो हिम्मत दिखाई उसकी वजह से कोरोना को मात देने में सफल हुए हैं. (प्रतीकात्मक फोटो)
कोरोना को मात देने के बाद घर पर लौटी रानी बहन ने बताया कि समय काफी खराब चल रहा है पर हिम्मत रखेंगे तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा. साथ ही में 102 साल की उम्र में होने के बावजूद भी कोरोना के सामने रानी बहन जिस तरह से हिम्मत से लड़ी. उसकी वजह से अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें पूछा कि आप कहां की रानी हैं तो रानी बहन ने बताया कि मैं भावनगर की झांसी की रानी हूं. (प्रतीकात्मक फोटो)
12 दिनों तक कोरोना से लड़ने के बाद जब 102 साल की दादी घर लौटी तब पोती वनिता कोजाणी ने खुशी जताई और कहा कि हम एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल घूम रहे थे पर कोई भी अस्पताल हमारी दादी को ट्रीटमेंट देने के लिए तैयार नहीं था. आखिर में भावनगर की सर. टी अस्पताल में दादी को अच्छा ट्रीटमेंट मिला और आखिरकार डॉक्टरों की मेहनत और उनकी हिम्मत रंग लाई. (प्रतीकात्मक फोटो)
वहीं, लोगों का कहना है कि जिस तरह से 102 साल की वृद्ध महिला ने कोरोना को मात दी है वो साफ जाहिर करता है कि कोरोना के इस विकट समय में सिर्फ दवाई ही नहीं बल्कि हिम्मत और हौसला रखना भी काफी जरूरी होता है. हिम्मत और हौसले से हर एक जंग आसान होती है और हर एक जंग को जीता भी जा सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो)