दिवाली दहलीज पर है, बाजार मिठाइयों से सज गए हैं. दिवाली पर जिस तरह लाइट्स, दीया और पटाखे जरूरी होते हैं, उसी तरह मिठाई के बिना भी ये त्योहार अधूरा होता है. दिवाली पर गिफ्ट की परंपरा भी रही है, लोग आज भी सबसे ज्यादा गिफ्ट में सोन पापड़ी (Soan Papdi) का इस्तेमाल करते हैं. यानी बिना सोन पापड़ी दिवाली की कल्पना नहीं कर सकते हैं.
हालांकि दिवाली (Diwali) पर सोन पापड़ी खूब मजाक भी बनाया जाता है, सोशल मीडिया (Social Media) पर मीम्स की बाढ़ आ जाती है. भले ही सोन पापड़ी का मजाक बने, लेकिन इसका देश में बड़ा बाजार है, और करोड़ों का कारोबार होता है.
आज के दौर में भी आसानी से 100 रुपये में सोन पापड़ी की पैकेट मिल जाती हैं. क्वालिटी और पैकेजिंग के हिसाब से कीमत तय होती हैं. हालांकि पिछले एक से दो वर्षों से दिवाली पर सोन पापड़ी को जरूर चुनौती मिल रही है. खासकर ऐसे गिफ्ट पैकेज (गिफ्ट हैंपर्स) बाजार में मिल रहे हैं, जो 100 से 150 रुपये में मिल जाते हैं, इसकी पैकेजिंग इतनी शानदार होती हैं, लोग पहली नजर 'गिफ्ट' देने के लिए इसे खरीद रहे हैं, सबसे ज्यादा इसे सोन पापड़ी के विकल्प के तौर पर खरीदा जा रहा है.
क्या सोन पापड़ी की बादशाहत को मिल रही है चुनौती?
अब सवाल उठता है कि 100 से 150 रुपये वाले गिफ्ट पैकेट बाहर से तो दिखने में बेहतरीन होता है, लेकिन उसके अंदर में क्या-क्या चीजें होती हैं, जिससे कि 100 में ही गिफ्ट पैकेट बनकर तैयार हो जाते हैं. तमाम मॉल्स में भी ऐसे पैकेट खूब बिक रहे हैं, अधिकतर पैकेट के अंदर चिप्स, कुरकुरे, बिस्किट और 10 से 20 रुपये वाले जूस के पैकेट होते हैं. 100 रुपये वाले पैकेट में मुश्किल से 70 से 80 रुपये के सामान होते हैं, यानी पैकेजिंग का पूरा खेल है, और ये कारोबार तेजी फल-फूल रहा है. अधिकतर लोग का तर्क होता है, ये सोन पापड़ी से बढ़िया है. खासकर उन फैमिली को ये गिफ्ट दिए जा रहे हैं, जिनके घर में बच्चे हैं, क्योंकि 100-150 रुपये में काम बन जा रहा है, साथ ही सोन पापड़ी वाला टैग भी नहीं लगता है.
लेकिन क्या सही में सोन पापड़ी का कारोबार दबाव है? आइए जानते हैं कि देश में 'सोन पापड़ी' का बिजनेस आखिर कितना बड़ा है?
दिवाली पर रिश्तेदारों से लेकर ऑफिस तक में पॉपुलर गिफ्ट के तौर पर लोग 'सोन पापड़ी' को पसंद करते हैं.सोन पापड़ी बेसन, घी और मैदा के साथ बनती है. ये इतनी सॉफ्ट होती है कि मुंह में रखते ही एकदम से घुल जाती है.
- ब्रांडेड 'सोन पापड़ी' के बिजनेस में सबसे बड़ी हिस्सेदारी 'हल्दीराम' की है. यही नहीं, भारत के स्नैक्स मार्केट में 'हल्दीराम' अकेले 37 फीसद की हिस्सेदारी रखता है.
- साल 2017 में ब्रांडेड सोन पापड़ी का मार्केट करीब 7.3 करोड़ डॉलर (648 करोड़ रुपये) का था, जो 2023 में लगभग डबल होकर 14.9 करोड़ डॉलर ((1300 करोड़ रुपये) का हो गया.
- यही नहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक तमाम बदलावों के बावजूद भी भारत में फिलहाल सोन पापड़ी का बाजार करीब 1300 करोड़ रुपये के आसपास बना हुआ है. यानी तमाम गिफ्ट विकल्पों के बावजूद सोन पापड़ी की मांग बनी हुई है.
- भारत में साल 2021 में मिठाई बाजार का आकार करीब 58,900 करोड़ रुपये का था, जो कि साल 2025 में करीब 84,300 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.
- दिवाली पर मिठाइयों की लिस्ट में बिक्री के मामले में अभी भी काजू कतली 5वें नंबर पर है. ये चार ऐसी मिठाइयां हैं, जो काजू कतली से ज्यादा बिकती हैं, उनमें सोन पापड़ी सबसे ऊपर है, उसके बाद गुलाब जामुन, रसगुल्ला और फिर बेसन का लड्डू है.
दिवाली पर लोग सोन पापड़ी सबसे ज्यादा गिफ्ट में क्यों देते हैं?
1. सस्ती और दिखने में 'प्रीमियम'
सोन पापड़ी उन मिठाइयों में से है, जो कम दाम में ज्यादा मिल जाती है. 100 से 300 रुपये में आपको अच्छी पैकिंग वाली, सुनहरी डिब्बे में आने वाली मिठाई मिल जाती है. सबसे खास बात यह है कि सोन पापड़ी जेब पर ज़्यादा बोझ नहीं डालती.
2. ज्यादा दिन चलने वाली मिठाई
जहां रसगुल्ले या बर्फी हफ्ते भर में खराब हो जाती है. वहीं सोन पापड़ी एक महीने तक आराम से चल जाती है. इसलिए बड़े पैमाने पर कंपनियों, ऑफिस और रिश्तेदारों में ये गिफ्ट के सबसे सुविधाजनक विकल्प हैं.
3. सभी उम्र और धर्म के लिए पसंदीदा गिफ्ट
कुछ मिठाइयों में अंडा या जिलेटिन जैसे इंग्रीडिएंट्स होते हैं. लेकिन सोन पापड़ी पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी होती है, इसलिए हिंदू, जैन, सिख या मुस्लिम किसी को भी ये गिफ्ट देने में कोई हिचक नहीं होती.
4. 'री-गिफ्टिंग' का शानदार विकल्प
सोन पापड़ी का इसी लेकर मजाक भी बनता है. हर घर में दिवाली पर ये डिब्बा पहुंचता है और फिर वो किसी दूसरे को गिफ्ट कर देते हैं. इसकी पैकेजिंग इस तरह से होती है कि आसानी से इसे कूरियर भी किया जा सकता है और आस-पड़ोस भी बांटा जा सके. इसलिए गिफ्टिंग के तौर पर सोन पापड़ी को पसंद किया जाता है.
कुल मिलाकर भारत में त्योहार के दौरान सोन पापड़ी की डिमांड बनी हुई है, और आगे भी इसका बाजार गुलजार रहने वाला है.