इस साल 12 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर तक देशभर में 48 लाख शादियां होने का अनुमान जताया गया है. इतनी बड़ी संख्या में शादियों के आयोजन से वेडिंग मार्केट को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है.
भारत का वेडिंग मार्केट खाद्य और किराना उद्योग के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है. अगर आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो भारत में शादी ब्याह बाजार 130 अरब डॉलर का है. हरेक शादी पर औसतन खर्च करीब साढ़े 12 लाख रुपये होने का अनुमान है.
जमकर हो रही हैं शादियां
ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि इन 48 लाख शादियों में कुल साढ़े 5 लाख करोड़ रुपये की रकम खर्च की जाएगी. वैसे तो शादी-ब्याह के बाजार का सबसे ज्यादा फायदा फैशन, कपड़े, गाड़ियों, ज्वेलरी, होटल और घर की सजावट से जुड़े सेक्टर्स को होता है. लेकिन शादी के इस बढ़ते मार्केट का असर हनीमून ट्रैवल पर भी साफ देखा जा रहा है.
हाल ही में आई थॉमस कुक और SOTC की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में इस साल हनीमून पैकेज की डिमांड में 30 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है, और सालाना खर्च में 10 से 15 परसेंट इजाफा हुआ है.
इस बीच एक दिलचस्प ट्रेंड मिनी-मून का भी देखने को मिल रहा है. नौकरीपेशा जोड़ों के पास छुट्टियां कम होने की वजह से इस पैकेज की लोकप्रियता बढ़ रही है. इसके चलते वो 2-4 दिन के मिनी-मून को प्राथमिकता दे रहे हैं.
हनीमून पैकेज की डिमांड में बढ़ोतरी
इसके बाद लंबे और शानदार मेगा-मून ट्रिप की प्लानिंग होती है जो 7-15 दिनों तक चलती है, यानी समय मिलते ही नवविवाहित जोड़े हनीमून पर जरुर जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अब छोटे शहरों में भी हनीमून ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. लोग अब क्यूरेटेड ट्रैवल एक्सपीरियंस चुन रहे हैं, जो भारत के क्षेत्रीय इलाकों में बढ़ती संपन्नता का संकेत है.
हनीमून के लिए सबसे ज्यादा पसंदीदा स्थानों की बात करें तो भारत में अंडमान, केरल और मनाली हनीमून डेस्टिनेशंस में टॉप पर हैं. इसके बाद एशिया में बाली, थाईलैंड, मालदीव और मलेशिया का नंबर आता है. जबकि लंबी दूरी और समय होने पर लोग अपने बजट के हिसाब से फ्रांस, ग्रीस, मॉरीशस और ऑस्ट्रेलिया में हनीमून के लिए जाते हैं.
इंवेस्टमेंट बैंकिंग और कैपिटल मार्केट फर्म जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन वेडिंग मार्केट अमेरिकी बाजार से दोगुना बड़ा है और चीन के बाद ये दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा वेडिंग बाजार है.
भारत में शादी पर प्रति व्यक्ति खर्च औसतन साढ़े 12 लाख रुपये है, जो देश की औसत घरेलू आय से तीन गुना ज्यादा है. शादी-ब्याह के इस सीजन में बाजार में उछाल से हर वर्ग को फायदा होगा. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये ट्रेंड भारत की शानदार परंपरा और शादी के प्रति लोगों के लगाव का भी सबूत है.