भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने मोटर वाहन बीमा के प्रीमियम संग्रह और अन्य तौर-तरीकों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने अपनी सिफारिशें IRDAI को सौंप दी हैं. इसमें कई ऐसे सुझाव दिए गए हैं जो आपके वाहन बीमा खरीदने के तौर-तरीकों को बदल देंगे.
2017 में आई थी गाइडलाइन
IRDAI ने वाहन बीमा की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 2017 में मोटर इंश्योरेंस सर्विस प्रोवाइडर (MISP) गाइडलाइन्स जारी की थी. इसमें बीमा कंपनियां किसी वाहन डीलर को MISP नियुक्त करती हैं जो ग्राहकों को वाहन खरीदते समय बीमा पॉलिसी उपलब्ध कराता है. कई बार बीमा कंपनियां इस काम के लिए वाहन शोरूम पर अपने एजेंट नियुक्त करती हैं. IRDAI ने वाहन बीमा बेचने की इसी व्यवस्था की समीक्षा के लिए जून 2019 में एक रिव्यू कमेटी बनाई थी जिसने MISP के माध्यम से वाहन बीमा बेचे जाने की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई सुझाव दिए हैं.
प्रीमियम, वाहन का अलग-अलग भुगतान
अभी की व्यवस्था में जब कोई ग्राहक वाहन खरीदता है तो वह वाहन की कीमत का भुगतान एक ही बार में कर देता है. कमेटी का सुझाव है कि इन दोनों भुगतान को अलग-अलग वसूला जाए, क्योंकि मौजूदा व्यवस्था में बीमा प्रीमियम संग्रह को लेकर पारदर्शिता का अभाव है. अभी ग्राहक से बीमा प्रीमियम वाहन की कीमत के साथ लिया जाता है और MISP बीमा कंपनी को अपने खाते से प्रीमियम का भुगतान करता है.
ग्राहकों के पास नहीं विकल्प
कमेटी ने पाया कि मौजूदा व्यवस्था में अक्सर ग्राहक को उसके बीमा के साथ मिलने वाले कवर या डिस्काउंट की भी जानकारी नहीं होती. ना ही ग्राहक के पास MISP के साथ उसी कीमत में बेहतर वाहन बीमा चुनने का विकल्प होता है. ऐसे में कमेटी का सुझाव है कि वाहन की कीमत और बीमा प्रीमियम का अलग-अलग भुगतान किया जाए और ग्राहक बीमा कंपनी को सीधे इसका भुगतान करे.
देनी होगी बीमा की पूरी जानकारी
कमेटी का सुझाव है कि वाहन डीलरशिप पर वाहन बनाने वाली कंपनियों (ओईएम) का अच्छा-खासा प्रभाव होता है. ऐसे में ओईएम को भी नियामकीय दायरे में लाना चाहिए. इसलिए MISP में ओईएम को भी शामिल करना चाहिए. साथ ही MISP को अनिवार्य तौर पर ग्राहक को उसके बीमा के कवर और लाभ की पूरी जानकारी देनी चाहिए.