सोना-चांदी की कीमतों में इस साल धमाल मचाया है, लेकिन रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद हाल ही में सोने की कीमतों में तगड़ी गिरावट देखने को मिली है. न सिर्फ सोना, बल्कि चांदी का भाव भी इस बीच तेजी से टूटा है. एक्सपर्ट चांदी की कीमत को लेकर साल 2011 की याद दिला रहे हैं, जब Silver Crash देखने को मिला था.
भरभराकर टूटे सोना-चांदी के भाव
देश ही नहीं, बल्कि विदेशी बाजारों में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन Gold-Silver Price में गिरावट देखने को मिली. इस सप्ताह की शुरुआत में इंटरनेशनल मार्केट में सोने का भाव 4381 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था, वो टूटकर 4090 डॉलर प्रति औंस पर आ गया. वहीं चांदी ने तो अपने पुराने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए 54.5 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा छू लिया था, लेकिन इसमें भी 10% से ज्यादा की गिरावट आई है.
गुरुवार को एमसीएक्स पर 5 दिसंबर की एक्सपायरी वाला गोल्ड रेट अपने हाई से करीब 9000 रुपये के आसपास गिरकर 1.22 लाख के करीब आ गया.वहीं चांदी बुरी तरह फिसलकर शुरुआती कारोबार में 1.45 लाख रुपये पर आ गई. व्हाइट गोल्ड मानी जाने वाली ये कीमती धातु अपने हाई से करीब 25,000 रुपये के आस-पास टूट चुकी है.
डिमांड घटी, तो धड़ाम हुए दाम
दिवाली-धनतेरस पर जोरदार खरीदारी के बाद Gold-Silver की डिमांड में कमी आई है और इसके चलते दोनों के दाम तेजी से फिसले हैं. एक्सपर्ट इसे लेकर निवेशकों को अलर्ट कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब कोई एसेट कई सालों के हाई पर पहुंचती है, तो निवेशकों को उससे आंशिक लाभ कमाना चाहिए. यह रणनीति बड़े नुकसान को रोकने में दशकों से काम आ रही हैं और 10 में से 7 बार कारगर रही है.
2011 में ऐसा क्या हुआ था?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट सीए नितिन कौशिक ने कमोडिटी ट्रेडिंग के इतिहास में सबसे चौंकाने वाली घटनाओं में से एक का उदाहरण देते हुए समझाया. उन्होंने 2011 की चांदी की कीमत में भारी गिरावट की याद दिलाते हुए निवेशकों से अपील की कि वे अतीत से सीख लें. अपनी ट्विटर (अब X) पोस्ट में कौशिक ने बताया कि कैसे 2008 और 2011 के बीच चांदी का भाव तेजी से बढ़ा था और 29 अप्रैल 2011 को 47.9 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था, जो साल 1980 के बाद से उनका रिकॉर्ड हाई था.
उन्होंने कहा कि उस समय ऐसे चर्चाएं होने लगी थीं, कि सिल्वर मेटल 100 डॉलर तक पहुंच जाएगी और निवेशकों ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए हर गिरावट पर खरीदारी की.लेकिन कुछ ही दिनों में बाजी पलटी हुई नजर आई और अचानक ये भरभराकर टूटती चली गई.
सालों तक रहा निवेशकों पर असर
मई 2011 में जब ओसामा बिन लादेन को मारा गया, तो वैश्विक जोखिम धारणा रातोंरात बदल गई. चांदी समेत अन्य कमोडिटीज में भारी गिरावट देखने को मिली. एमसीएक्स पर महज पांच कारोबारी दिनों में ही ये $48 से $33 पर आ गई यानी 31% की भारी गिरावट आई. नितिन कौशिक के मुताबिक, कई निवेशकों पर तो इसका असर सालों तक रहा.
दर्द यहीं खत्म नहीं हुआ, सितंबर 2011 तक चांदी फिर तेजी से लुढ़की. इस बार एक महीने से भी कम समय में $26 तक आ गई. कभी White Gold कही जाने वाली यह धातु अब तक इतनी कमजोर हो गई थी कि लंबा अनुभव रखने वाले व्यापारी भी हैरान थे. उन्होंने वर्तमान में कीमतों में आई गिरावट की ओर इशारा करते हुए कहा कि MCX Silver Price एक ही दिन में लगभग 10% गिरा, जो उस समय आए उतार-चढ़ाव की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि इतिहास खुद को दोहराता है.
बचने का ये तरीका बताया
कौशिक ने निवेशकों को सलाह देते हुए कहा कि न केवल चांदी, बल्कि नैस्डैक, निफ्टी, सोना में देखा गया 45 साल का पैटर्न साफ तस्वीर पेश करता है और बताता है कि हर उत्साहपूर्ण तेजी का अंत थकावट के साथ होता है. उन्होंने कहा कि टॉप पर पहुंचने के लिए तेज दौड़ जरूरी नहीं, कुछ मुनाफा कमाएं, सांस लें और अगले 40-50% अवसर कहीं और तलाशें. बाजार कभी नहीं मरते, वे सिर्फ नेतृत्व बदलते हैं.