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स्टॉक मार्केट के लिए मई में आई अच्छी खबर, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में डाले इतने पैसे

FPI Investment Data: विदेशों निवेशक भारतीय बाजार में लौटकर आ रहे हैं, FPI ने मई महीने में तगड़ा पैसा भारतीय बाजार में लगा दिया है, पिछले 8 महीने में विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा मई महीने में निवेश किया है.

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विदेशी निवेशक लौटकर भारतीय बाजार में आए
विदेशी निवेशक लौटकर भारतीय बाजार में आए

भारतीय शेयर बाजार (Share Market) के लिए मई का महीना अब तक अच्छा रहा है, मई में अब तक विदेशी निवेशकों (FPI) ने करीब 14,429 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजारों में डाले हैं, जो कि पिछले आठ महीने में सबसे ज्यादा है. इससे पहले सितंबर-2024 से पहले इससे बड़ी राशि विदेशी निवेशकों से बाजार में डाले थे. 

दरअसल, मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय इक्विटी बाजार में ₹14,429 करोड़ का निवेश किया, जो सितंबर 2024 के बाद का उच्चतम मासिक प्रवाह है. यह लगातार तीसरा महीना है, जब FPIs भारतीय बाजारों में शुद्ध खरीदार रहे हैं.

FPI लौटकर आए भारतीय बाजार में  

विदेशों निवेशक भारतीय बाजार में लौटकर आ रहे हैं, क्योंकि भारत की मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति, जिसमें FY26 के लिए 7% जीडीपी वृद्धि का अनुमान और नियंत्रित मुद्रास्फीति शामिल है, जो FPI को आर्कषित कर रहा है.

इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी ने माहौल को बेहतर किया है. टैरिफ पर अभी तक बातचीत सकारात्मक रही है, उम्मीद है कि अमेरिका और भारत के बीच जल्द समझौते हो जाएंगे. इसके अलावा भारतीय करेंसी में थोड़ी मजबूती लौटी है, जिससे अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ है और विदेशी निवेशक को भारतीय बाजार भाने लगा है.

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इन सबके बीच चौथी तिमाही में बेहतर नतीजे ने बाजार का मूड संभाला है. खासकर वित्तीय सेवाओं, आईटी और उपभोक्ता टिकाऊ कंपनियों के रिजल्ट में तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में थोड़ा सुधार हुआ है. 

क्या टिकाऊ है FPI का निवेश?
ब्रोकरेज फर्म एंजल वन के मुताबिक FPI भारतीय बाजार में टिके रहे सकते हैं. अगर वजह तलाशें तो भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और अगले 3-5 वर्षों में कॉर्पोरेट आय में 14-17% की वार्षिक वृद्धि (CAGR) की उम्मीद FPI प्रवाह को समर्थन देगी. हालांकि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी और ग्लोबल टेंशन FPI प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन फिलहाल माहौल बेहतर है और भारतीय शेयर बाजार एक उचित भाव पर मौजूद है. 

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक FPIs ने वित्तीय सेवाओं, आईटी, और हरित ऊर्जा जैसे सेक्टर में रुचि दिखाई है. भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाएं निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं. 

गौरतलब है कि साल 2025 में कुल FPI निकासी ₹97,922 करोड़ रही, जो वैश्विक अनिश्चितताओं, जैसे अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी और भू-राजनीतिक तनाव को दर्शाती है. जिस दौरान विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे थे, उस समय बाजार में भारी गिरावट का दौर चल रहा था.

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