क्या धनतेरस और दिवाली पर आपने भी सोने-चांदी के सिक्के और गहने खरीदे हैं? दरअसल, सदियों से धनतेरस पर सोने-चांदी में निवेश किया जाता है. इस बार में देशभर में लोगों ने जमकर सोना-चांदी खरीदा. ज्वेलरी शॉप्स से लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक हर जगह रिकॉर्ड बिक्री हुई, खासकर चांदी की ताबड़तोड़ सेल हुई. सोना इतना महंगा होने के बावजूद भी लोग खरीदने से पीछे नहीं हटे. लेकिन अब दिवाली के दिन से सोने-चांदी में कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में जिन लोगों ने ऊंचे दाम पर खरीदारी की थी, वे अब सोच में पड़ गए हैं कि क्या करें? रखें या बेच दें?
पहले जानते हैं कि सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट क्यों देखी जा रही है. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक सोने के दामों में हालिया गिरावट के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं. डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है, जिससे विदेशी निवेशक गोल्ड मार्केट (Gold Market) से पैसा निकाल रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका में ब्याज दरों के स्थिर रहने की संभावना बढ़ी है, जिससे सोने-चांदी की कीमतें थोड़ी सुस्त पड़ती दिख रही है. कमजोर मांग और प्रॉफिट बुकिंग से भी दाम दबाव में आए हैं.
लगातार गिर रहे हैं सोने-चांदी के भाव
वहीं धनतेरस और दिवाली के बाद मांग घटना भी एक सामान्य बात है. धनतेरस पर जहां 24 कैरेट सोने की कीमत 1,27,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थी. वहीं अब भाव गिरकर 1,23,000 रुपये के आसपास पहुंच गया है. वहीं चांदी की कीमत धनतेरस पर करीब 1.70 लाख रुपये किलो से ऊपर निकल गई थी, जबकि अब चांदी की कीमत गिरकर 15000 रुपये किलो तक पहुंच गई है.
इस गिरावट को देखकर कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्होंने तो शुभ दिन मानकर सोना लिया था. लेकिन अब डर है कि आगे और गिरावट न हो जाए. अगर और गिरावट आती है तो फिर भारी नुकसान हो जाएगा.
दरअसल, सोने और चांदी की कीमतें जिस तेजी से बढ़ रही थी, उसपर ब्रेक लगना तो तय था. कुछ लोग मुनाफावसूली कर रहे हैं, क्योंकि पिछले एक साल में सोना करीब 60 फीसदी महंगा हो चुका है. चांदी की कीमत इससे भी ज्यादा बढ़ चुकी है. ऐसे में अगर आपने महंगे भाव पर सोना-चांदी खरीद लिया है तो अब क्या करना चाहिए?
पहली बात- धनतेरस पर खरीदा गया सोना-चांदी जल्दबाजी में मत बेचने की कोशिश करें. सोना एक भावनात्मक संपत्ति है और समय के साथ इसका दाम बढ़ता ही है, घटता नहीं. इतिहास देखें तो हर बड़ी गिरावट के बाद सोने ने खुद को मजबूत किया है. अगर आपने निवेश के नजरिए से बड़ी रकम लगाई है, तो जल्दबाज़ी न करें. सोना एक लंबी अवधि असेट्स (Long-Term Asset) है.
- 2020 में कोविड के बाद के बाद सोना 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक फिसल गया था. लेकिन अगले ही साल 60,000 रुपये को पार कर गया.
- 2013-14 में भी डॉलर की मजबूती से गिरावट आई थी. लेकिन अगले तीन सालों में दाम दोगुने हो गए.
इसलिए जो निवेशक लंबी अवधि (Long-Term) का नजरिया रखते हैं, उनके लिए यह गिरावट चिंता की नहीं, बल्कि मौका (Opportunity) है. जानकारों का कहना है कि अगर सोना जरूरत के लिए नहीं, बल्कि निवेश या परंपरा के लिए लिया है तो इसे कम से कम 1-2 साल तक संभालकर रखें. अगर सोने-चांदी की कीमतों में यहां से भी गिरावट आती है तो खरीदने का एक मौका हो सकता है. इससे आपकी कुल खरीद कीमत संतुलित हो जाएगी. हालांकि भविष्य में फिजिकल ज्वेलरी की जगह डिजिटल या पेपर गोल्ड में निवेश बढ़ाना सुरक्षित रहेगा.
जहां तक चांदी की बात है तो सोने के मुकाबले चांदी को लेकर एक्सपर्ट्स ज्यादा बुलिश हैं. यानी चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी की ज्यादा संभावना है. क्योंकि इंडस्ट्रियल डिमांड और सोलर एनर्जी सेक्टर में बढ़ती खपत के चलते चांदी के दाम में आने वाले सालों में तेजी संभव है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले 6 से 9 महीनों में सोना फिर शिखर पर पहुंच सकता है. अमेरिका में ब्याज दरों में कमी, चीन की आर्थिक सुस्ती, और भू-राजनीतिक तनाव फिर से सोने को सुरक्षित निवेश बना सकते हैं. बता दें, पिछले 10 सालों में सोने ने औसतन 9-10% वार्षिक रिटर्न दिया है. जबकि शेयर बाजार या अन्य निवेश साधन इतने स्थिर नहीं रहे. इसलिए गिरावट के इन कुछ हफ्तों को लेकर डरने की जरूरत नहीं है. आपने जिस भाव पर लिया है, कम से कम 2 साल तक सोना होल्ड करें.