आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने का असर सामने आने लगा है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई और एचडीएफसी से कर्ज लेना महंगा हो गया है. बैंकों के इस कदम से उपभोक्ताओं के साथ-साथ रीयल एस्टेट सेक्टर भी निराश है.
रिजर्व बैंक द्वारा 29 अक्टूबर को रेपो रेट में चौथाई फीसदी वृद्धि के बाद हर तरह के लोन का महंगा होना तय माना जा रहा था. दिवाली के तुरंत बाद ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी के लोन महंगे भी हो गए. ब्याज दरों के महंगे होने का असर कर्ज लेने वालों के साथ-साथ मंदी की मार झेल रहे डेवलपर्स पर भी दिखाई दे रहा है.
कॉस्मिक ग्रुप के एमडी सुशांत मुटरेजा ने कहा कि रीयल एस्टेट इंडस्ट्री को अच्छी खबर सुने बहुत समय हो गया है. जो भी फैसले लिये गए वे बहुत हद तक इंडस्ट्री के हक में नहीं लिये गए. इन फैसलों से महंगाई बढ़ेगी और इसका असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा क्योंकि घर महंगे हो जाएंगे. जितनी कॉस्ट बढ़ेगी डिमांड उतनी ही कमी होगी.
देश के दो बड़े बैंको की ब्याज दरें बढ़ने के बाद आशंका जताई जा रही थी कि बाकी बैंक भी अपनी ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं लेकिन जानकारों की मानें तो अभी सारे बैंक अपनी ब्याज दरें नहीं बढ़ाने वाले.
आर्थिक मामलों के जानकार एसपी शर्मा ने बताया कि एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के होम लोन बाकी बैंकों की तुलना में थोड़े सस्ते थे. हालांकि अभी भी ये बाकी बैकों की तुलना में सस्ते हैं. मैं नहीं समझता कि बाकी बैंकों के रेट्स इतने कम हैं कि उनके पास दरें बढ़ाने की गुंजाइश है.
ब्याज दरों के बढ़ते ही मौजूदा खरीदारों के साथ-साथ घर खरीदने वाले नये खरीदारों पर भी असर पड़ता है और इसका सीधा असर घरों की मांग पर दिखाई देता है. यही वजह है कि ऊंची ब्याज दरों के कारण पिछले कुछ वक्त से घरों की मांग में काफी कमी देखी जा रही है.