महंगाई दर उच्च स्तर पर बने रहने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2010 के बाद से 12वीं बार प्रमुख दरों में 25 आधार अंकों की वृद्धि की है. इस कारण वाहन, मकान और व्यावसायिक ऋण के महंगे होने की सम्भावना प्रबल हो गई है.
शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने व्यावसायिक बैंकों को दिए जाने वाले उधार पर ब्याज दर यानी रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की है जिससे यह दर अब 8.25 फीसदी हो गई है. रेपो दर में वृद्धि के कारण रिवर्ज रेपो दर स्वाभाविक तौर पर बढ़कर 7.25 फीसदी हो गई है. व्यावसायिक बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के पास जमा धन पर जिस दर से ब्याज मिलता है उसे रिवर्स रेपो दर कहते है. नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू होंगी.
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अर्धतिमाही मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने बयान में कहा है कि 26 जुलाई को पेश मौद्रिक समीक्षा में अर्थव्यस्था की जो स्थिति थी वह आज और खराब हुई है. रिजर्व बैंक के इस कदम से व्यावसायिक बैंकों के ब्याज दरों में वृद्धि करने की सम्भावना प्रबल हो गई है.
रेपो दर में वृद्धि के कारण व्यावसायिक बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेना महंगा हो जाएगा जबकि रिवर्स रेपो में वृद्धि से उनके लिए रिजर्व बैंक के पास धन जमा कराना लाभदायक साबित होगा. इन दोनों स्थितियों में ग्राहकों को ऋण देने के लिए व्यावसायिक बैंकों के पास धन की उपलब्धता कम होगी और वे ब्याज दरों में वृद्धि कर ऋण की मांग को हतोत्साहित करेंगे. ऋण की मांग में कमी आने से बाजार में मुद्रा की उपलब्धता कम होगी, जो महंगाई को रोकने में कारगर साबित हो सकता है.
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अब बैंकों पर दबाव होगा कि वे अपनी ब्याज़ दरें बढ़ाएं. ऐसे में होमलोन देने वाला बैंक हर महीने ज़्यादा रकम वसूलना शुरू कर देगा और आपकी ईएमआई में हर एक लाख रुपये पर क़रीब 17 रुपए का इज़ाफ़ा हो सकता है. मिसाल के लिए अगर आपने 20 साल के लिए 20 लाख का होमलोन लिया गया है तो उसकी ईएमआई 340 रुपए बढ़ सकती है. जबकि 30 लाख के लोन के लिए बढ़त 510 रुपए तक हो सकती है. होमलोन पर ब्याज़ की दरें जिस तर्ज़ पर बढ़ रही हैं उससे घर का सपना सजाने वाले लगातार बोझ तले दबते जा रहे हैं.
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पिछले दो सालों में होमलोन की दरें 275 बेसिस पॉइंट यानी क़रीब तीन फ़ीसदी बढ़ चुकी हैं. सितंबर 2010 में अगर आप साढ़े 8 फ़ीसदी की दर से होमलोन चुका रहे थे तो अब ये दर 11 के क़रीब पहुंच चुकी है.
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