रिजर्व बैंक का रेपो रेट में कटौती करने के साथ-साथ केन्द्र सरकार को भविष्य की चुनौतियों से अगाह करने के बाद अब केन्द्र सरकार को वित्त वर्ष 2015-16 के लिए खुद का तय किया हुआ डिसइंवेस्टमेंट लक्ष्य मुश्किल लग रहा है.
रघुराम राजन के चेतावनी के बाद अब केन्द्र सरकार भी मान रही है कि कमजोर मॉनसून की आशंका से शेयर बाजारों में आ रही गिरावट और अमेरिकी बाजार में ब्याज दरों में जल्द बढ़ोतरी की संभावना के चलते उसे चालू वित्त वर्ष में 69,500 करोड़ रुपये का डिसइंवेस्टमेंट लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल होगा.
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, हमें नहीं लगता कि दूसरी छमाही में बाजार में उल्लेखनीय सुधार होगा और 2015-16 के लिए 69,500 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य काफी मुश्किल नजर आता है. वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से 69,500 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
इनमें से 41,000 करोड़ रुपये सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री और 28,500 करोड़ रुपये रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री से आएंगे. सूत्र ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा जल्द ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भी भारतीय बाजार से विदेशी पूंजी की निकासी होगी.
फेडरल रिजर्व ने अपने परिदृश्य में जून या इस साल बाद में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है. विनिवेश विभाग को हालांकि, कैबिनेट से सार्वजनिक उपक्रमों में 50,000 करोड़ रुपये की अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन वह अभी तक केवल एक कंपनी ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) का ही विनिवेश कर सका है.
पिछले सप्ताह भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गीते ने कहा था कि सरकार एचएमटी वॉचेज, एचएमटी चिनार, एचएमटी बियरिंग, तुंग भद्रा स्टील्स तथा हिंदुस्तान केबल कारपोरेशन की बिक्री पर विचार कर रही है. इससे सरकार को 22,000 करोड़ रपये मिलने की उम्मीद है. सरकार रणनीतिक बिक्री के लिए बीमार सार्वजनिक उपक्रमों की सूची भी तैयार कर रही है.