इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR) करने का खर्च टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के चुने हुए तरीके पर और असिस्टेंस के लेवल पर निर्भर करता है. किसी भी टैक्सपेयर्स के लिए किफायती ऑप्शन आधिकारिक सरकारी पोर्टल है.
इसके जरिए टैक्सपेयर्स मुफ्त में अपना टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. जो लोग निजी टैक्स फाइलिंग पोर्टल की सर्विस पसंद करते हैं, लेकिन स्वतंत्र रूप से अपना टैक्स दाखिल करना चाहते हैं, उनके लिए शुल्क आम तौर पर 200 रुपये से 250 रुपये तक होता है. हालांकि, कई व्यक्ति सटीक फाइलिंग सुनिश्चित करने और मैक्सिमम डिडक्शन के लिए स्पेशल असिस्टेंट का ऑप्शन चुन सकते हैं.
कितना शुल्क लगता है?
बिजनेस टुडे में छपी खबर के अनुसार, एसएजी इन्फोटेक के प्रबंध निदेशक अमित गुप्ता ने कहा कि टैक्स स्पेशल सर्विस के साथ निजी पोर्टल के जरिए फाइलिंग पर 750 रुपये से 1000 रुपये का खर्च आता है. लेकिन अगर आपको फाइनेंसियल एसेट से कैपिटल गेन होता है, तो फालिंग शुल्क 2,000-3000 रुपये तक जा सकता है. व्यक्तिगत टैक्स स्थितियों और आवश्यकताओं के आधार पर उचित विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है.
सही फाइलिंग अहम
आईटीआर को सही तरीके से फाइल करना अहम है. वरना इसके वित्तीय नुकसान हो सकते हैं. डीवीएस एडवाइजर्स के पार्टनर सुंदर राजन टीके ने कहा कि हालांकि निर्धारिती 31 जुलाई की तय तारीख के बाद भी रिटर्न दाखिल किया जा सकता है. लेकिन इसके कुछ नुकसान भी झेलने को पड़ सकते हैं. इसके लिए फाइन भी देना पड़ सकता है. अगर कोई टैक्सपेयर डेडलाइन तक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है तो लॉस (हाउस प्रॉपर्टी लॉस को छोड़कर) को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता है.
लेट फाइन
पांच लाख रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्तियों को देर से ITR फाइल करने पर 5000 रुपये तक जुर्माना लग सकता है. एसएजी इन्फोटेक के प्रबंध निदेशक अमित गुप्ता ने बिजनेस टुडे से बातचीत में कहा कि देर से ITR दाखिल करने वालों पर तत्काल 5000 रुपये का जुर्माना लगता है. ये लेट फाइन है, जो विलंब की अवधि पर निर्भर करता है. इसके अलावा प्रति माह एक फीसदी का अतिरिक्त ब्याज लगेगा. डीवीएस एडवाइजर्स के पार्टनर सुंदर राजन टीके ने कहा कि रिटर्न दाखिल करने की तारीख तक एक फीसदा ब्याज लगाया जाएगा.
गलत जानकारी देने पर जुर्माना
आईटीआर दाखिल करते समय कम इनकम बताने पर 50 फीसदी या फिर गलत इनकम की जानकारी देने के लिए 200 फीसदी का जुर्माना लग सकता है. कुल टैक्सबेल राशि पर ये जुर्माना लगेगा. डेलॉयट इंडिया के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन ने कहा कि रिमाइंडर के बावजूद टैक्स रिटर्न दाखिल न करने पर अधिकारियों को बकाया टैक्स के आधार पर अभियोजन प्रक्रिया शुरू करनी पड़ सकती है, जिसमें तीन महीने से लेकर 7 साल तक की कैद हो सकती है.