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India Today Conclave 2025: म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे फायदे का सौदा? एक्सपर्ट्स ने समझाया कैलकुलेशन

India Today Conclave Mumbai 2025: मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 के पहले दिन शेयर बाजार में बढ़ती मिडिल क्लास निवेशकों की संख्या और निवेश के बदलते तरीकों के बारे में एक्सपर्ट्स ने बात की और म्यूचुअल फंड के फायदों के बारे में समझाया.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मेें निवेश के बदलते तरीकों पर हुई चर्चा (Photo: ITG)
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मेें निवेश के बदलते तरीकों पर हुई चर्चा (Photo: ITG)

मुंबई में गुरुवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 के पहले दिन 'Middle Class: The New Bulls in the Market' सेशन में चर्चा पर तमाम एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी. इनमें एमके वेंचर के प्रोमोटर मधुसूदन केला, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी नीलेश शाह और मार्सेलस के को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने भारत में निवेश के तरीकों में आए बदलाव पर बात करते हुए म्युचुअल फंड की पावर को कैलकुलेशन के साथ समझाया और बताया कि कैसे ये फायदे का सौदा बनता जा रहा है. 

शेयर बाजार आज आत्मनिर्भर मार्केट
सेशन की शुरुआत शेयर मार्केट में मिडिल क्लास की बढ़ती दिलचस्पी और निवेशकों की तादाद में इजाफे पर बातचीत हुई. बीते पांच साल के आंकड़े शेयर करते हुए मधुसूदन केला ने बताया कि इक्विटी में निवेश करने वालों की तादाद बढ़ी है और बीते पांच साल में बड़ा उछाल आया है. उन्होंने एनएसई के डेटा पर कहा कि कुल 12 करोड़ शेयर बाजार निवेशकों में से 2 करोड़ को सिर्फ बीते पांच सालों में जुड़े हैं. उन्होंने इक्विटी निवेश में आए बदलाव पर आगे बात करते हुए कहा कि इन पांच साल में भारत में वेल्थ क्रिएशन में तगड़ा उछाल आया है. बाजार में प्रोमोटर्स और रिटेल निवेशकों का योगदान ज्यादा रहा, जो 85% के आस पास है, जबकि विदेशी निवेशकों पर भारतीय बाजार सिर्फ 15% आश्रित रहा. 

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Madhusudan Kela

मधुसूदन केला के मुताबिक, लोग अब बाजार से खूब पैसा बना रहे हैं और हर कोई शेयर बाजार में नहीं, लेकिन लोग कहीं न कहीं से निवेश की शुरुआत करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं. आज इतना बदलाव आया है कि टियर-2, टियर-3 शहरों से भी मार्केट इन्वेस्टमेंट बढ़ रहा है, जिनकी दम पर शेयर बाजार अब आत्मनिर्भर मार्केट बना है. बाजार के अलावा लोग अब म्यूचुअल फंड निवेश के फायदे समझ चुके हैं, जिसने बीते दो दशक में बैंक डिपॉजिट से कहीं ज्यादा रिटर्न दिया है और निवेशकों को लगातार आकर्षित कर रहा है. इस बीच उन्होंने कहा कि जो निवेशक डेरिवेटिव या एफएंडओ में पैसा लगा रहे हैं, वो इन्वेस्टर नहीं, बल्कि ट्रेडर्स हैं, क्योंकि शेयर मार्केट को लॉन्गटर्म निवेश के लिए अप-डाउन के बावजूद हमेशा फायदेमंद साबित हुआ है. 

एमके वेंचर्स के प्रमोटर मधुसूदन केला ने इस बात पर जोर दिया कि बाजारों में सबसे बड़ा जोखिम पैसा गंवाना नहीं, बल्कि निवेश की समय-सीमा है. उन्होंने कहा, अगर आप छह महीने में पैसा कमाना चाहते हैं क्योंकि आपके पड़ोसी ने किसी टिप पर तुरंत रिटर्न कमाया है, तो नुकसान का जोखिम बहुत ज्यादा है. लेकिन अगर आप निवेश जारी रखते हैं और आगे बढ़ते हुए निवेश में विविधता लाते हैं, तो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. 

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निवेश और सेविंग का ऐसे बदला तरीका
पैनल में शामिल नीलेश शाह ने निवेशकों के बदलते नजरिए और आत्मनिर्भर मार्केट को लेकर बात करते हुए 'कल आज और कल' के सिस्टम का जिक्र किया, उन्होंने कहा जो कल थे वो हमारे दादा-परदादा के जमाने के निवेशक थे और ईपीएफओ-पीएफ में निवेश पर भरोसा करते थे. कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के शाह ने उदाहरण के साथ समझाते हुए कहा कि दशकों पहले आए पीएफ कॉर्पस मार्च 24 में 25 लाख करोड़ था, जो मार्च 2025 में 30 लाख करोड़ होने की उम्मीद है. वहीं इसकी शुरुआत से अब तक सब्सक्राइबर्स 7 करोड़ के आस-पास हैं. इस हिसाब से इसमें निवेश करने वालों ने एवरेज सब्सक्राइबर वेल्थ 3.34 लाख रुपये बनाए. 

Nilesh Shah

नीलेश शाह के मुकाबिक, इसके बाद 2004 में एनपीएस आया और अब इसका कॉर्पस 14 लाख करोड़ रुपये, जबकि रियल सब्सक्राइबर्स (NPS वात्साल्य और अन्य स्कीम को छोड़कर) की संख्या 1.2 करोड़ है, एवरेज सब्सक्राइबर वेल्थ 11.24 लाख रुपये रही, यानी कल की जेनरेशन को बदलाव समझ में आया. शाह ने कहा कि आज की जेनरेशन, पीपीएफ में पैसे डालती है, अगर वे 25 साल के लिए 1.5 लाख रुपये का नियमित निवेश करते हैं, तो कुल निवेश 37.5 लाख होता है और मैच्योरिटी पर 1.1 करोड़ रुपये ट्रैक्स फ्री बनाता है. लेकिन इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स में इससे ज्यादा फंड जमा हो सकता है. 

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नीलेश शाह ने बताया कि सभी म्यूचुअल फंड ने जोरदार रिटर्न नहीं दिया है, लेकिन ज्यादातर ने लॉन्गटर्म में फायदा पहुंचाया है. उन्होंने गणित समझाते हुए कहा कि 37.5 लाख रुपये का जो निवेश पीपीएफ में किया गया, अगर उतना पैसा म्युचुअल फंड इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश किया जाता, तो औसर रिटर्न के हिसाब से जो फंड जमा होता, वो 12 फीसदी का टैक्स काटने के बाद भी तकरीबन 4.4 करोड़ रुपये हो जाता. आने वाली जेनरेशन को इससे सीखने को मिलेगी, क्योंकि उनके सपने और भी बढ़े होंगे.

Pramod Gubbi

निवेश पोर्टफोलियो में बदलाव जरूरी
चर्चा में शामिल मार्सेलस के को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी ने कहा कि लॉन्गटर्म निवेश में म्यूचुअल फंड, रिटयरमेंट के लिए तय किए गए लक्ष्य को पूरा करने में सहायक साबित हो रहे हैं. उन्होंने शेयर बाजार में निवेश के लिए रिसर्च की अहमियत को बताया और कहा कि इसके जरिए किया गया निवेश फायदेमंद रहता है. सफल निवेशकों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि एसेट एलोकेशन के जरिए अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है. उन्होंने निवेशकों को अपना इन्वेस्टमें पोर्टफोलियो बदलते रहने की सलाह दी और कहा कि ऐसा न करने पर पीछे रह जाएंगे. 

एआई का बढ़ता दायरा क्या शेयर बाजार में निवेश को भी प्रभावित कर रहा है? इस सलाह का जवाब देते हुए प्रमोद गुब्बी ने कहा कि रिसर्च और एनालिसिस में AI का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है और इससे फायदा भी मिल रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई को एक सपर्टिंग सिस्टम के रूप में देखा जाना चाहिए, ये निवेश के पारंपरिक तरीकों की जगह नहीं ले सकता. 

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