झारखंड से आए शातिर चोर गिरोह के 7 सदस्यों को पटना पुलिस ने धर दबोचा है. पकड़े गए चोर गिरोह में 10 साल से लेकर 20 तक के साल के बच्चे हैं. इसमें 5 चोर 10 साल से 14 साल के है जबकि दो बालिग हैं. इनके पास से पुलिस ने 10 चोरी के मोबाइल बरामद किए हैं,जिसमें 6 आई फोन हैं.
पटना के कोतवाली के लॉ एंड ऑडर के डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद ने बताया कि ,1 जनवरी को पटना के बॉस घाट स्थिति काली मंदिर में भीड़ का फायदा उठाकर इस चोर गिरोह द्वारा मोबाइल की चोरी किया जा रहा था. इसकी शिकायत मिली तो पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर छानबीन शुरू की. इस छानबीन के दौरान दो छोटे बच्चे संदिग्ध दिखे तो उनको थाना लाया गया.
पूछताछ में उन छोटे बच्चों ने पुलिस को बताया कि उन्हें उनके गांव के एक युवक ने कपड़ा दुकान में काम करने के लिए पटना लाया था, लेकिन उन्हें मोबाइल चोरी करने की ट्रेनिंग दी गई. उसने बताया कि एक मोबाइल चोरी करने पर उन्हें 500 रुपया दिया जाता है. इस चोर गिरोह के सभी सदस्य , बायपास थाना इलाके में एक रूम लेकर रहते हैं और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर लोगों के पॉकेट से मोबाइल चोरी करते हैं.
शातिर अंतरराज्यीय चोर गैंग के सदस्य मोबाइल को बड़े ही शातिराना तरीके से निकाल कर उसे तुरंत एल्युमुनियम फॉयल में डाल देते थे. इससे मोबाइल का नेटवर्क तुरंत खत्म हो जाता था.इसके बाद वे अपने ठिकाने पर पहुंचकर इसे अपने गिरोह के सरगना के हाथ में दे देते हैं. जितने मोबाइल होते हैं उतने 500 रुपये उन्हें दिए जाते हैं.
बाईपास थाना क्षेत्र स्थित किराए के मकान में ढाई हजार का कमरा लेकर झारखंड साहिबगंज के रहने वाले राजकुमार नोनिया और कन्हैया कुमार मंडल ढाई महीने पहले अपने साथ झारखंड से लाए गए 5 बच्चों को रखते हैं और उनसे भीड़ भाड़ वाली जगहों पर लोगों के मोबाइलों की चोरी करवाते हैं.
कोतवाली लॉ एंड आर्डर डीएसपी ने कहा कि गिरफ्तार शातिर चोर गैंग के सरगना राजकुमार और कन्हैया से पूछताछ में पता चला कि वे बच्चों को उनके घरवालों से 5 सौ रुपए रोजाना पर कपड़े की दुकान में काम दिलवाने की बात कहकर अपने साथ लाए थे. यहां पटना में उनको चोरी की पूरी ट्रेनिंग दी गई. वे घटना को अंजाम देने वाले जगहों पर बच्चों को पिक एंड ड्रॉप करते थे. बच्चों के परिवार को हर महीने में 15 हजार भेजे जाते थे.पुलिस फिलहाल इनसे पूछताछ जारी रखे हुए है और गिरोह में और कितने सदस्य है इसका पता लगाने में जुटी हुई है.