सड़क दुर्घटनाओं के ज्यादातर मामलों में ड्रिंक एंड ड्राइव यानी शराब पीकर वाहन चलाना प्रमुख कारण है. ऐसे में तमिलनाडु सरकार ने सभी सरकारी बस चालकों के लिए शिफ्ट शुरू करने से पहले शराब की जांच अनिवार्य कर दिया है. इस उपाय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बस चलाते समय चालक नशे में न हों, जिससे सड़क पर लोग सुरक्षित राइड का अनुभव करें और किसी तरह की दुर्घटना न हो. दरअसल, हाल के दिनों में सरकारी बस चालकों द्वारा शराब पीकर वाहन चलाने के कुछ मामले देखे गए थें.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सड़क सुरक्षा बढ़ाने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए, चेन्नई मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (MTC) ने अपने सभी 32 डिपो में बस चालकों पर नज़र रखने के लिए ब्रेथ एनालाइजर (Breath Analysers) एल्कोहल टेस्ट की शुरुआत की है. अधिकारियों के अनुसार, सुबह और दोपहर की शिफ्ट शुरू होने से पहले ड्राइवरों की जांच की जाएगी.
अब तक शराब का पता लगाने वाली मशीनों का इस्तेमाल औचक निरीक्षण के तौर पर किया जाता था. ताकि इस बात की तस्दीक की जा सके कि ड्राइवर नशे में है या नहीं. लेकिन अब एयरलाइन और लोकोमोटिव पायलटों की तरह बस ड्राइवरों को भी नियमित रूप से ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट से गुजरना होगा. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के दौरान सरकारी बसों से जुड़ी 906 दुर्घटनाओं में 1,000 लोगों की जान चली गई थी. हालांकि 2023-24 में, 878 एक्सीडेंट के मामलों में मृत्यु दर घटकर 971 रह गई है.
परमिसिबल ब्लड अल्कोहल कंटेंट (BAC) लिमिट के नियम के अनुसार प्रति 100 मिलीलीटर रक्त में 30 मिलीग्राम अल्कोहल स्वीकार्य है. लेकिन MTC के एक अधिकारी ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि, "लिमिट चाहे जितनी हो यदि ब्रेथ एनालाइजर 10-15 मिलीग्राम के बीच भी रीडिंग दिखाता है तो हम ड्राइवरों को ड्यूटी से प्रतिबंधित करते हैं." पिछले सप्ताह सभी डिपो को ब्रेथ एनालाइजर्स उपलब्ध कराए गए हैं.