scorecardresearch
 

सबसे शुद्ध धातु ही नहीं पाप का प्रतीक भी है सोना... धनतेरस पर खरीदारी से पहले जान लें ये रहस्य

भारतीय समाज में सोने का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है. इसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और पूजा-पाठ, शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर इसकी उपस्थिति अनिवार्य होती है.

Advertisement
X
धनतेरस के मौके पर सोने की खरीदारी को शुभ माना गया. शास्त्रों में सोने को सबसे शुद्ध धातु कहा कहा गया.
धनतेरस के मौके पर सोने की खरीदारी को शुभ माना गया. शास्त्रों में सोने को सबसे शुद्ध धातु कहा कहा गया.

भारतीय समाज का 'सोने' के साथ बहुत जुड़ाव नजर आता है. पूजा-पाठ, शादी-ब्याह, दान-धर्म और जीवन-मरण, सभी में सोने की मौजूदगी रहती ही रहती है. इसकी वजह यह है कि स्वर्ण या सोने को बहुत अधिक पवित्र माना गया है. यह खुद अपने आप में लक्ष्मी स्वरूप है और समुद्र मंथन के दौरान उनके साथ ही उत्पन्न हुआ है. जब देवी लक्ष्मी की उत्तपत्ति रत्न के रूप में मंथन से हुई तब वह नख से शिख तक आभूषणों से सजी हुई थीं. उनके सभी आभूषण स्वर्ण के थे और इस तरह देवी लक्ष्मी की ही तरह सोना भी पवित्र और उनका रूप माना गया.

वेदों में है सोने का उल्लेख
हालांकि सोने को वेदों ने सबसे पवित्र धातु बताया है. यह स्पर्श करने भर से किसी को पवित्र कर सकता है. आप घर के बड़े-बुजुर्गों पर ध्यान देंगे तो पाएंगे कि वह सोने को छूने से पहले हाथ धो लेना जरूरी समझते हैं. यज्ञ-हवन में अगर कुशा की पैंती न हो तो आप हाथ में पहनी अंगूठी छूकर संकल्प ले सकते हैं. 

सोना तन और मन को पवित्र करता है
जब पूजा के दौरान "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा, यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः" मंत्र बोला जाता है, तब यजमान को अपने बाएं हाथ से दाहिने हाथ की अनामिका में पहनी सोने की अंगूठी को छूना होता है. इस तरह इस मंत्र के प्रभाव से सोना बाहरी और आंतरिक शरीर के दोनों ही हिस्सों को शुद्ध कर देता है.

Advertisement

Dhanteras

...लेकिन सोने में कुछ अशुद्धियां भी हैं
लेकिन, सोना हमेशा पवित्र नहीं रहा है. इसमें कुछ अशुद्धियां भी हैं और इन्हीं अशुद्धियों के कारण सोने को पाप धातु भी कहा गया है. कितनी उलटी बात है न कि धार्मिक ग्रंथों में एक पेज पर सोना सबसे अधिक पवित्र है और अगले ही पन्ने पर इतना अपवित्र की उसे पाप धातु ही कह दिया जाए.

असल में सोना शापित धातु भी है. उसे लोभ का केंद्र माना जाता है. सोने के ही कारण संसार में कई पाप हुए हैं और इसको पाने की दीवानगी सिर चढ़ जाती है तब तो पाप का भंडार सोने से भी कई गुणा बड़ा हो जाता है.
 
पाप का प्रतीक कैसे बन गया सोना?
पुण्य धातु से सोना पाप का प्रतीक कैसे बन गया, पुराणों में इसकी कहानी का वर्णन किया गया है. देवी भागवत पुराण में जिक्र आता है कि देवराज इंद्र ने त्वष्टा के पुत्र त्रिशिरा का वध कर दिया था. त्रिशिरा के तीन सिर थे और वह बड़ी ही कठिन तपस्या कर रहा था. उसकी तपस्या से इंद्र का आसन डोलने लगा. इसके अलावा त्रिशिरा ने देवगुरु बृहस्पति की अनुपस्थिति में देवताओं का एक यज्ञ कराया था, लेकिन जब यज्ञ भाग देने की बारी आई तो वह एक मुख से असुरों को भी यज्ञभाग देने लगे थे. 

Advertisement

यह सब देखकर इंद्र ने त्रिशिरा का सिर काट दिया. त्रिशिरा के वध के पाप से इंद्र के पुण्य भी नष्ट हो गए. उन्हें वैभवहीन हो जाना पड़ा. अब इंद्र एक गुप्त सरोवर में जा छिपे और वहीं तप करने लगे. स्वर्गलोक में खाली इंद्रासन से हाहाकार मच गया. 

सोने में बसा है इंद्र का पाप
तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र को खोज निकाला और उनके पाप के फल को चार भागों में बांट दिया. पहला भाग स्त्रियों को मिला तो वे रजस्वला होने लगीं. नदी को एक भाग दिया तो उसमें बाढ़ आने लगी. वृक्षों को तीसरा भाग मिला तो वे गोंद का उत्पादन करने लगे और चौथा भाग सोने में डाल दिया गया. इस तरह सोना आज तक इंद्र के पाप का भार उठाने के कारण पापी बना हुआ है.

महाभारत में भी पाप का प्रतीक है सोना
सोने के पाप की एक कथा महाभारत के आदिपर्व में भी आती है. एक दिन महाराज परीक्षित वन में आखेट के लिए गए थे. वह काफी थक गए थे, लेकिन रास्ता भटक गए थे. इसी दौरान कलयुग उनके पास आया और कहने लगा कि आपके कारण मैं युग नहीं बदल पा रहा हूं. धरती पर अब भी द्वापरयुग है. इसलिए आप मुझे जगह दीजिए. ऐसा कहकर कलयुग राजा परिक्षीत से बार-बार रहने की जगह मांगने लगा. 

Advertisement

कहते हैं कि भूख-प्यास से झल्लाए राजा ने गु्स्से में कलयुग से कह दिया कि वह उनके सिर पर सवार हो जाए. कलयुग को उनकी बात सुनने भर की देर थी कि वह राजा परीक्षित के मुकुट मे बैठ गया.

कलियुग में क्यों पाप का कारण बन गया सोना?
राजा का मुकुट सोने का था और इस तरह सभी प्रकार के सोने के आभूषणों और सोने में कलयुग का निवास हो गया. इस तरह तीन युगों तक पवित्रता की पहचान बनाए रखने वाला सोना कलयुग के प्रभाव में आते ही पाप धातु बन गाया.

इसलिए कलयुग में सोना के देखते ही लूट होने-चोरी होने या कई बार कत्ल तक हो जाने की घटना सामने आती है. इसलिए सोने को पाप धातु माना गया है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement