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आदिशक्ति का स्वरूप, रोगों से रक्षा करने वाली देवी... कौन हैं देवी समयपुरम मरियम्मन जिनका मंदिर अमेरिका में बनेगा

तमिलनाडु के त्रिचि में समयपुरम मरियम्मन मंदिर मौजूद है, जो एक प्राचीन देवी को समर्पित है. देवी आदि पराशक्ति का ही एक रूप हैं और जो चेचक, हैजे जैसी बीमारियों से रक्षा करने वाली मानी जाती हैं. अमेरिका में रहने वाले दंपती अब देवी का मंदिर टेक्सास में बनवाने जा रहे हैं.

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समयपुरम मरियम्मन मंदिर की देवी को रोगों से रक्षा करने वाली शक्ति के तौर पर पूजा जाता है
समयपुरम मरियम्मन मंदिर की देवी को रोगों से रक्षा करने वाली शक्ति के तौर पर पूजा जाता है

अमेरिका में बीते दिनों में सनातनी परंपरा के देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित होने, मंदिर बनने और देवस्थान बनाए जाने की बातें सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में टेक्सास सिटी में एक और देवी का मंदिर बनने जा रहा है. हालांकि यह मंदिर अमेरिका में बनने वाला पहला ऐसा मंदिर होने वाला है जो किसी तमिल देवी को समर्पित है. देवी को 'समयपुरम मरियम्मन' नाम से पूजा जाता है और मान्यता है कि देवी कई तरह के संक्रामक रोगों और महामारियों से बचाव करती हैं. 

अमेरिका में बनने जा रहे इस पहले तमिल देवी के मंदिर की निर्माण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अमेरिका में बस चुके एक दंपती जिनकी जड़ें तमिलनाडु से जुड़ी रही हैं, उन्होंने ही टेक्सास में 'समयपुरम मरियम्मन' मंदिर के निर्माण की पहल की है. मूल रूप से यह मंदिर तमिलनाडु के त्रिची के में मौजूद है और टेक्सास में बनने वाला 'समयपुरम मरियम्मन' असल 'समयपुरम मरियम्मन' मंदिर की प्रतिकृति होगा. 

आदि पराशक्ति का ही एक रूप हैं देवी
समयपुरम मरियम्मन मंदिर एक प्राचीन देवी मरियम्मन को समर्पित है. माना जाता है कि देवी आदि पराशक्ति का ही एक रूप हैं. इनकी प्रतिमा की खासियत यह है कि उनकी मूर्ति को मिट्टी और जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. इसे भक्त प्राणप्रतिष्ठा के बाद प्रभावशाली और शक्तिशाली मानते हैं. तमिलनाडु में 'अम्मन' या 'मरियम्मन' की पूजा एक प्राचीन प्रथा है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने से जुड़ी है. 

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तमिल समुदाय में एक पूरा महीना 'आदि' इस देवी के उत्सव के लिए समर्पित होता है. टीकों के आविष्कार से पहले, अम्मन को वह देवी माना जाता था, जिनसे भक्त चेचक, चिकन पॉक्स (जिन्हें तमिल में 'अम्मई' कहा जाता था) और हैजा से सुरक्षा या उपचार के लिए प्रार्थना करते थे. नीम के पत्तों का उपयोग, 'कूज़' (रागी का दलिया) बनाना और इसे पूरे गांव में वितरित करने की प्राचीन प्रथा आज भी प्रचलित है और शहरी क्षेत्रों में भी इसका उत्सव मनाया जाता है. मरियम्मन, विभिन्न रूपों में, तमिलनाडु में कई परिवारों की 'कुल देवी' (पारिवारिक देवता) भी हैं. उन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है और तमिल संस्कृति और विश्व भर के तमिल समुदाय में उनका बहुत सम्मान है.

कौन हैं मंदिर के निर्माता दंपती?

डिंडीवनम जिले के सोककंधंगल निवासी पराक्रम और उनकी पत्नी सरस्वती अब टेक्सास, अमेरिका में बसे हैं. पराक्रम ने बताया कि हर साल उनका परिवार द्रौपदी अम्मन मंदिर के वार्षिक 'थिरुविझा' उत्सव के लिए डिंडीवनम जाता था. एक ऐसी ही यात्रा के दौरान उन्होंने टेक्सास में मरियम्मन मंदिर बनाने का फैसला किया. उन्होंने कहा, "हमने लेक तवाकोनी के पास 10 एकड़ जमीन हासिल की है, जो एक बड़े जलाशय के निकट है. हमें खुशी है क्योंकि समयपुरम मरियम्मन मंदिर भी कावेरी नदी के पास है.

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हमें नहीं पता था कि निर्माण कैसे शुरू करें, लेकिन जब पद्मभूषण गणपति स्थपति के पोते सेल्वनाथ स्थपति ने इस परियोजना को स्वीकार किया, तो हमें राहत मिली. वे भी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि यह पहली बार था जब उन्होंने किसी को अम्मन मंदिर बनाने में रुचि दिखाते सुना था."पराक्रम ने बताया कि एक विशिष्ट अम्मन मंदिर में करुप्पन्नासामी, मुनीश्वरन और अय्यनार जैसे तमिल देवता भी होते हैं. 

छह फीट से ऊंची और आयुधों-आभूषणों से सजी धजी होंगी मूर्तियां
उन्होंने कहा, "इसलिए हमने वाऴमुनि (तलवार देवता), सोरिमुथु अय्यनार और पधिनेट्टम पडी करुप्पु को शामिल करने का फैसला किया, जो मदुरै के अयंगर मंदिर की तरह होंगे."उन्होंने आगे बताया कि सबसे बड़ी चुनौती मूर्तियों की स्थापना के लिए विशेष अनुमति प्राप्त करना था, क्योंकि कई मूर्तियां छह फीट से अधिक ऊंची हैं और पारंपरिक हथियारों, जैसे विशाल 'अरुवाल' (मachete) के साथ हैं, जो हंट काउंटी के कई नियमों का उल्लंघन करते हैं. "एक और चुनौती मंदिर के पास खाना पकाने की थी, जैसा कि तमिलनाडु में 'थिरुविझा' (त्योहारों) के दौरान होता है.

यह परिवारों के साथ उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन अमेरिका में खाना पकाने के लिए जलाशय का होना जरूरी है. सौभाग्य से, हमारे निर्माण स्थल के पास लेक तवाकोनी है," उन्होंने बताया, "मरियम्मन, करुप्पन्नासामी, मुनीश्वरन, अय्यनार और अन्य देवताओं की मूर्तियों का निर्माण सेल्वनाथ स्थपति की ममल्लापुरम कार्यशाला में चल रहा है, क्योंकि हम तमिल संस्कृति को हर संभव तरीके से शामिल करना चाहते थे."

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देवी मरियम्मन, जिनकी विशेषता उत्तर भारत की शीतला माता से मिलती है
मरियम्मन की कुछ-कुछ विशेषता उत्तर भारतीय देवी शीतला माता से मिलती हैं, जो एक लोक देवी हैं और परिवारों की कुल देवी भी हैं. फरवरी-मार्च और अप्रैल के महीने में शीतला देवी को धार (तेल मिश्रित जल) चढ़ाया जाता है. इसके अलावा शीतला अष्टमी को उनकी पूजा के दिन बसिया भोजन का भोग भी समर्पित होता है. देवी शीतला को लेकर भी यही मान्यता है कि वह चेचक, हैजा और ऐसी ही अन्य संक्रामक रोगों की महामारी को ठीक करती हैं. गांवों में चेचक को शीतला ही कहते हैं और मानते हैं कि यह रोग देवी के प्रकोप से होता है. 

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