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मंच पर थिरकते पहले कदम का उत्सव है अरंगेत्रम, अन्विता जैन की पहली भरतनाट्यम प्रस्तुति ने मोहा मन

अरंगेत्रम, वर्षों की चली आ रही उस नृत्य साधना का दीक्षा समारोह है, जब गुरु अपनी देखरेख में यह घोषित करते हैं कि उनका यह शिष्य या शिष्या अब एकल प्रस्तुति के लिए तैयार है, और चिन्मय मिशन सभागार में गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट इस बात की साक्षी थीं कि अन्विता जैन ने अपने गुरु के प्रशिक्षण, उनकी साधना और उनके दिग्दर्शन की कसौटी पर खुद को पूरी तरह साबित किया. 

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अन्विता जैन ने दी भरतनाट्यम की प्रस्तुति
अन्विता जैन ने दी भरतनाट्यम की प्रस्तुति

प्राचीन पारंपरिक और कलाओं से परिपूर्ण, नृत्य की प्रमुख विधा भरतनाट्यम, तब और जीवंत हो जाती है, जब नए दौर के नवयुवा इस परंपरा को सीख कर प्रस्तुति के लिए तैयार हो जाते हैं. वाद्ययंत्रों की व्यवस्थित धुन, लय और ताल के बीच, गीत के बोलों के साथ कदमताल करते और भावपूर्ण भंगिमाओं के साथ थिरकते नजर आते हैं.

पद्मश्री विदुषी गीता चंद्रन द्वारा स्थापित संस्था का नाम नाट्यवृक्ष यूं ही नहीं, बल्कि सही मायनों में यहा कला का वह कल्पवृक्ष है जो साल दर साल नए शिष्यों के फलस्वरूप विशाल वटवृक्ष बनता जा रहा है. इसमें नव कलाकारों के जो पुष्प लग रहे हैं, वह अब देश ही नहीं दुनिया में कला की सुवासित सुगंध बिखरने को तैयार हैं. 

मंच पर पहली प्रस्तुति का उत्सव
ऐसा ही मौका बीते शुक्रवार की शाम रहा, जब कला प्रेमियों की मौजूदगी के बीच मंच पर अपने नृत्य भावों के साथ अन्विता जैन ने प्रवेश किया और 'भरतनाट्यम' नृत्य की एक प्राचीन परंपरा जीवंत हो उठी. मौका था, उनके अरंगेत्रम का. नृत्य साधना की शब्दावली में इसके बड़े गहरे मायने हैं. अरंगेत्रम यानी कि किसी नृत्यांगना का मंच पर पहला प्रवेश, पहला पदार्पण और दर्शकों के मध्य पहली एकल प्रस्तुति.

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अरंगेत्रम, वर्षों की चली आ रही उस नृत्य साधना का दीक्षा समारोह है, जब गुरु अपनी देखरेख में यह घोषित करते हैं कि उनका यह शिष्य या शिष्या अब एकल प्रस्तुति के लिए तैयार है, और चिन्मय मिशन सभागार में गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट इस बात की साक्षी थीं कि अन्विता जैन ने अपने गुरु के प्रशिक्षण, उनकी साधना और उनके दिग्दर्शन की कसौटी पर खुद को पूरी तरह साबित किया. 

Anvita Jain
अन्विता जैन ने दी भरतनाट्यम की भावपूर्ण प्रस्तुति

अन्विता जैन की भावपूर्ण प्रस्तुति ने मोहा मन
भरतनाट्यम में उनकी प्रस्तुति ने बीत रहे सावन को सुंदर विदाई भी दी. पद्मश्री विदुषी गीता चंद्रन द्वारा स्थापित नाट्यवृक्ष संस्था की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम ने न सिर्फ एक कलाकार से लोगों को परिचित कराया, बल्कि कठिन साधना से संजोई जानी वाली एक परंपरा को भी सामने रखा. इसे गुरु और शिष्या के बीच अनुशासन और कलात्मक गहराई में निहित एक शक्तिशाली संवाद के तौर पर देखना चाहिए.

इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए कहा कि, 'यह शाम मेरे लिए खुशी व सम्मान की प्रतीक है. उन्होंने अन्विता जैन की तारीफ करते हुए कहा कि खुशी होती है कि जब नव कलाकार इतनी साधना के साथ प्राचीन परंपराओं को अपनाते हैं और अपने गुरु को गौरवान्वित करते हैं. भरतनाट्यम केवल एक नृत्य रूप नहीं है. यह एक आंतरिक यात्रा है. एक आध्यात्मिक साधना है. यह एक पवित्र कला है, जो सिखाने वाले और ग्रहण करने वाले दोनों को शांति प्रदान करती है.

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चिन्मय मिशन सभागार में हुआ आयोजन
भरतनाट्यम नृत्यांगना अन्विता जैन ने बीते शुक्रवार को चिन्मय मिशन ऑडिटोरियम, 89 लोधी एस्टेट, में 'अरंगेत्रम' — यानी अपनी पहली एकल मंच प्रस्तुति दी. उनकी इस प्रस्तुति ने मंच पर भरतनाट्यम नृत्य के विभिन्न आयाम सामने रखे. कार्यक्रम का आयोजन अन्विता की गुरु, प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन की ओर से किया गया था, बता दें कि यह कार्यक्रम नृत्य संस्था 'नाट्य वृक्ष' द्वारा किया गया, जिसकी स्थापना गीता चंद्रन ने ही की है.

सीखने की परंपरा का प्रमुख चरण है अरंगेत्रम

गीता चंद्रन पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित विख्यात भरतनाट्यम कलाकार हैं. बता दें कि अरंगेत्रम वह चरण होता है जब एक विद्यार्थी वर्षों के अभ्यास और प्रशिक्षण के बाद मंच पर स्वतंत्र रूप से प्रस्तुति देने के लिए तैयार माना जाता है. गीता चंद्रन का कहना है कि ऐसी प्रस्तुतियां पारंपरिक सीखने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं और शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को जीवंत बनाए रखने में सहायक होती हैं.

अन्विता जैन सात वर्ष की आयु से गीता चंद्रन के मार्गदर्शन में नाट्य वृक्ष में भरतनाट्यम का प्रशिक्षण ले रही हैं. मॉडर्न स्कूल, बराखंबा रोड की बहुमुखी प्रतिभा की धनी छात्रा, अन्विता ने शहर के विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर प्रदर्शन किया है, जिनमें नीति बाग लॉन्स में दुर्गा पूजा उत्सव और राष्ट्रीय स्तर के आयोजन जैसे सीबीएसई एक्सप्रेशन सीरीज और सीबीएसई नेशनल एडोलेसेंट समिट 2023 शामिल हैं.

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Anvita Jain

नृत्य के अलावा, वे एक प्रशिक्षित तैराक भी हैं और उन्होंने अपनी स्कूल की ओर से इंटरस्कूल प्रतियोगिताओं और भारतीय पब्लिक स्कूल्स कॉन्फ्रेंस में भाग लिया है. कला के प्रति गहरा प्रेम और मजबूत अनुशासन के साथ, अन्विता अपनी शैक्षणिक, कलात्मक और खेल संबंधी गतिविधियों को उत्साह और संतुलन के साथ संभालती हैं.

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