ब्लैकलिस्ट होने के डर से घबराया पाकिस्तान, भारत के खिलाफ FATF में गुहार

पाकिस्तान ने कहा है कि भारत का रवैया दुश्मनी वाला है तभी उसने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और हमले किए. ऐसे में एफएटीएफ में उसके रहने से जांच पारदर्शी नहीं हो सकती.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

aajtak.in

  • इस्लामाबाद,
  • 10 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में भारत और पाकिस्तान आमने सामने आ गए हैं. बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने एफएटीएफ से कहा है कि भारत का रवैया उसके प्रति ठीक नहीं है और वह बराबर दुश्मनी बरत रहा है, इसलिए उसे संस्था की रिव्यू बॉडी से हटाया जाए. जबकि भारत पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को विश्व बिरादरी में अलग थलग करने के लिए अड़ा हुआ है. पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उसने एफएटीएफ से मांग की है, जिसकी ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान का नाम पहले से दर्ज है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है, इसलिए एफएटीएफ उसे ब्लैकलिस्ट करे.

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पुलवामा हमले और बालाकोट में भारतीय सेना की हवाई कार्रवाई के बाद दोनों देशों में तल्खी कुछ ज्यादा बढ़ गई है. ये तल्खी एफएटीएफ में भी दिख रही है.  पाकिस्तान ने एफएटीएफ को भारत के एशिया प्रशांत संयुक्त समूह के सह अध्यक्ष पद से हटाने का अनुरोध किया है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने इसके लिए एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्शल बिलिंगसलीआ को चिट्ठी लिखी है. पाकिस्तान का मानना है कि टास्क फोर्स में भारत के रहने से इसके कामकाज पर असर पड़ रहा है.

उमर ने पत्र में लिखा है, ‘पाकिस्तान के प्रति भारत का रवैया जगजाहिर है. हाल में पाकिस्तानी क्षेत्र में बम गिराया जाना भारत के दुश्मनी वाले रवैये का एक और उदाहरण है.’ दूसरी ओर एफएटीएफ के निर्देश पर पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) सहित प्रतिबंधित संगठनों के एक समूह को 'उच्च जोखिम' श्रेणी में डालने का फैसला किया है. पाकिस्तान ने आतंकी गतिविधियों की निगरानी और फिर से जांच शुरू कर दी है.

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डॉन न्यूज की शनिवार की रिपोर्ट के मुताबिक, एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान ने जेईएम, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अल कायदा, जमात उद-दावा, फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों की आतंकी फंडिंग के खिलाफ कारगर कार्रवाई नहीं की.

एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि अब इन सभी समूहों को 'उच्च जोखिम' संगठन करार दिया जाएगा और देश की सभी एजेंसियां और संस्थाएं इनकी अच्छी तरह से जांच करेंगी. ये जांच इनके पंजीकरण से शुरू होगी और फिर ऑपरेशन, फंड जुटाने से लेकर बैंक खातों, संदिग्ध लेन-देन, सूचनाएं साझा करने और अन्य गतिविधियों की जांच की जाएगी. इन संस्थानों में संघीय जांच एजेंसी, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान, राष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी प्राधिकरण, वित्तीय निगरानी इकाई शामिल हैं, जो इन गतिविधियों की जांच करेंगी. अधिकारी ने कहा कि यह फैसला एफएटीएफ पर वित्त सचिव आरिफ अहमद खान की अगुआई वाली सामान्य परिषद की एक बैठक में लिया गया. खान ने एफएटीएफ की प्लेनरी की 18 से 22 फरवरी के दौरान हुई बैठकों और उसकी समूह समीक्षाओं के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.

ग्रे-लिस्ट में पाकिस्तान

पिछले साल जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और कहा था कि आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने में पाकिस्तान नाकाम रहा है, इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई बनती है. इस पर पाकिस्तान ने विश्व बिरादरी में अपनी बात रखी और कहा कि भारत का नकारात्मक रवैया उसके हितों के खिलाफ है, इसलिए उसे संस्था की रिव्यू बॉडी से बाहर किया जाए. पाकिस्तान यह भी कहता रहा है कि भारत एफएटीएफ के नाम पर राजनीति करता है, इसलिए जरूरी है कि नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (नाक्टा) और फाइनेंसियल मॉनिटरिंग यूनिट (एफएमयू) को मजबूत किया जाए.

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इससे पहले इस्लामी सहयोग संगठन (आईओसी) में भी भारत और पाकिस्तान के बीच टक्कर दिखी. भारत की मौजूदगी के चलते पाकिस्तान ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया. आईओसी ने भारत को इस बार गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर आमंत्रित किया था जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हिस्सा लिया. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत आतंकवाद के नाम पर उसे बदनाम कर रहा है और इसी के तहत उसके हवाई क्षेत्र में हमले किए गए.

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