UN के प्रोग्राम में चीन की आलोचना कर रही थीं इंडियन डिप्लोमैट, अचानक बंद हुआ माइक

भारत ने 14 से 16 अक्टूबर के बीच हुए संयुक्त राष्ट्र सतत परिवहन समेलन में चीन के BRI और CPEC का कड़ा विरोध किया. जिस समय भारतीय डिप्लोमैट प्रियंका सोहनी इन परियोजनाओं को लेकर बोल रही थीं, तब उनका माइक अचानक से बंद हो गया.

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कॉन्सेप्ट इमेज. कॉन्सेप्ट इमेज.

aajtak.in

  • बीजिंग,
  • 20 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST
  • संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में चीन के BRI की भारत ने की आलोचना
  • कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय राजनयिक की माइक हुई बंद
  • ठीक करने में लग गए कई मिनट

भारत ने हाल ही में संपन्न हुए दूसरे संयुक्त राष्ट्र सतत परिवहन समेलन में चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिश्एटिव’ (BRI) और इसकी परियोजना चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का कड़ा विरोध किया. हालांकि, वहां जब भारतीय डिप्लोमेट इन विवादास्पद परियोजनाओं के खिलाफ भारत की आपत्तियों को रेखांकित कर रही थी, तभी अचानक ‘माइक’ बंद हो गया.

14 से 16 अक्टूबर के बीच चीन की मेजबानी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अचानक माइक में गड़बड़ी आ जाने के बाद उसे ठीक करने में कई मिनट लग गए. यहां तक कि अगले वक्ता का वीडियो स्क्रीन पर शुरू हो गया. लेकिन इसे संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव लियू झेनमिन ने रोक दिया, जो चीन के पूर्व उप विदेश मंत्री हैं.

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इसके बाद झेनमिन ने भारतीय राजनयिक एवं यहां भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव प्रियंका सोहनी से अपना भाषण जारी रखने का आग्रह किया. सम्मेलन कक्ष में ध्वनि प्रणाली बहाल हो जाने के बाद झेनमिन ने कहा, ‘प्रिय प्रतिभागियों, हमें खेद है. हम कुछ तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहे थे और अगले स्पीकर का वीडियो शुरू कर दिया. इसके लिए मुझे खेद है और सोहनी से अपना भाषण बहाल करने को कहा.’

इसके बाद सोहनी ने कहा, ‘हम भौतिक संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आकांक्षा साझा करते हैं और हमारा मानना है कि यह समान और संतुलित तरीके से सभी के लिए व्यापक आर्थिक लाभ लेकर आएगा.’ उन्होंने कहा, ‘इस सम्मेलन में BRI का कुछ जिक्र किया गया है. यहां मैं कहना चाहुंगी कि जहां तक चीन के BRI की बात है, हम इससे असमान रूप से प्रभावित हुए हैं. तथाकथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में इसे शामिल करना भारत की संप्रभुता में दखलंदाजी करता है.’

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सोहनी ने कहा, ‘कोई भी देश ऐसी किसी पहल का समर्थन नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर उसकी मूल चिंताओं की अनदेखी करता हो.’

बता दें, BRI का उद्देश्य चीन का प्रभाव बढ़ाना और दक्षिणपूर्ण एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है.

 

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