पश्चिम बंगाल की कोर्ट का बड़ा फैसला, ‘डिजिटल अरेस्ट’ केस में 9 लोगों को उम्रकैद

मामले में 9 आरोपियों में से 7 के खाते में सीधे पैसे आए. जांच में ये भी पता चला कि इन आरोपियों ने देश भर के 108 लोगों के साथ ऐसी ही ठगी की थी. आरोपियों को महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान से गिरफ्तार किया गया.

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बंगाल में डिजिटल अरेस्ट मामले में 9 को सजा (Photo: AI-generated) बंगाल में डिजिटल अरेस्ट मामले में 9 को सजा (Photo: AI-generated)

राजेश साहा

  • कोलकाता,
  • 19 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:58 AM IST

पिछले एक साल से पूरे देश में साइबर क्राइम का एक नया नाम सामने आया है, डिजिटल अरेस्ट. इस तरह की धोखाधड़ी में अब तक देशभर के लोग करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं. ऐसे ही एक मामले में पश्चिम बंगाल की एक अदालत ने पहली बार फैसला सुनाया है. अदालत ने 9 आरोपियों को दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा दी है.

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ये फैसला पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कल्याणी अदालत ने सुनाया. गुरुवार को सभी 9 लोगों को दोषी करार दिया गया और शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सजा सुना दी. विशेष लोक अभियोजक बिवास चटर्जी ने कहा कि देश में किसी डिजिटल अरेस्ट मामले में यह पहली सजा है. ट्रायल 24 फरवरी 2025 को शुरू हुआ और सिर्फ साढ़े चार महीने में पूरा हो गया. घटना के आठ महीने के अंदर ही पूरे ट्रायल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई.

यह मामला 6 नवंबर 2024 का है, जब एक बुजुर्ग व्यक्ति पार्थ कुमार मुखर्जी, जो रिटायर्ड साइंटिस्ट हैं. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि उन्हें एक वॉट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस का सब-इंस्पेक्टर हेमराज कोली बताया. उसने पार्थ मुखर्जी को बताया कि वो किसी आर्थिक घोटाले में आरोपी हैं और कुछ दस्तावेज भी भेजे. आरोपी ने उन्हें धमकाया कि अगर वे उसकी बात नहीं मानेंगे तो उन्हें और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

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ऐसे झांसे में फंसाया फ्रॉड...

कॉल करने वाले ने उन्हें कॉल डिस्कनेक्ट न करने का आदेश दिया और "डिजिटल अरेस्ट" के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में कुल 1 करोड़ रुपये जमा करवाए. बाद में जब कॉलर का नंबर बंद हो गया तो पार्थ कुमार को समझ आया कि वे ठगे गए हैं.

पार्थ कुमार की लिखित शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, रानाघाट ने मामला दर्ज किया. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि कॉल कंबोडिया से किया गया था और वॉट्सएप नंबर भारत में जारी सिम से रजिस्टर्ड था. आरोपी लोग कंबोडिया में बैठे थे और उन्हें हिंदी व बंगाली भाषा की अच्छी जानकारी थी. पैसे अलग-अलग भारतीय खातों में भेजे गए, जो कि देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के नाम पर थे.

यह भी पढ़ें: रिटायर्ड साइंटिस्ट से 1.29 करोड़ ठगे... फर्जी CBI अफसर बनकर डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया, STF ने दो आरोपी दबोचे

9 आरोपियों में से 7 के खाते में सीधे पैसे आए. जांच में ये भी पता चला कि इन आरोपियों ने देश भर के 108 लोगों के साथ ऐसी ही ठगी की थी. आरोपियों को महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान से गिरफ्तार किया गया. कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 9 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.

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इस मामले के गवाहों में देश के अलग-अलग राज्यों के बैंक मैनेजर और मुंबई पुलिस के SHO शामिल रहे.

मामले में दोषियों की लिस्ट

  • जतिन अनूप लाडवाल – नालासोपारा, महाराष्ट्र
  • रोहित सिंह – हिसार, हरियाणा
  • रूपेश यादव – रेवाड़ी, हरियाणा
  • साहिल सिंह – रेवाड़ी, हरियाणा
  • सुमैया बानो पठान – सूरत, गुजरात
  • अशोक फाल्दू – जामनगर, गुजरात
  • मोहम्मद इम्तियाज़ अंसारी – उल्हासनगर, महाराष्ट्र
  • शाहिद अली शेख – उल्हासनगर, महाराष्ट्र
  • शाहरुख रफीक शेख – ठाणे, महाराष्ट्र

सभी दोषियों पर भारतीय न्याय संहिता की कई धाराएं और आईटी एक्ट की धारा 66C और 66D लगाई गईं, जो धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साइबर अपराध से जुड़ी हैं.

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