पति ने तोड़ा दम, पत्नी नींद में समझ बगल में बैठी रही... साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में 13 घंटे किया शव के साथ सफर

शख्स अपनी पत्नी, बच्चों और एक साथी के साथ सूरत से अयोध्या की यात्रा कर रहा था. इस यात्रा के दौरान ट्रेन में ही वो सो गया. लेकिन कई घंटे बाद भी जब नहीं उठा तो पास बैठे लोगों को शक हुआ. हिलाने-डुलाने पर पता चला कि शख्स की तो सांसे थम चुकी हैं.

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ट्रेन में यात्री की मौत (सांकेतिक फ़ोटो) ट्रेन में यात्री की मौत (सांकेतिक फ़ोटो)

प्रमोद कुमार गौतम

  • झांसी ,
  • 04 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:11 AM IST

अहमदाबाद से चलकर अयोध्या जा रही साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) ट्रेन के स्लीपर कोच के यात्री करीब 13 घंटे तक एक शव के साथ सफर करने को मजबूर रहे. 13 घंटे बाद ट्रेन जब झांसी रेलवे स्टेशन पर पहुंची तब शव को कोच से उतारा गया. जिसके बाद शव को कब्जे में लेकर जीआरपी ने कार्यवाही शुरु की. इस दौरान मृतक की पत्नी शव के साथ बैठी रही. 

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दरअसल, मृतक अपनी पत्नी, छोटे बच्चों और एक साथी के साथ सूरत से अयोध्या की यात्रा कर रहा था. इस यात्रा के दौरान ट्रेन में ही वो सो गया. लेकिन कई घंटे बाद भी जब नहीं उठा तो पास बैठे लोगों को शक हुआ. हिलाने-डुलाने पर पता चला कि शख्स की तो सांसे थम चुकी हैं. 

13 घंटे शव के साथ यात्रा, बगल में बैठी रही पत्नी 

साबरमती एक्सप्रेस के स्लीपर कोच क्रमांक एस-6 की सीट संख्या 43, 44, 45 पर रामकुमार अपनी पत्नी, दो बच्चों और साथी सुरेश यादव के साथ सफर कर रहे थे. रामकुमार अयोध्या के इनायत नगर स्थित मजलाई गांव के निवासी थे. वह सूरत से अयोध्या के लिए ट्रेन में बैठे थे. सुरेश के अनुसार, सफर के दौरान रात्रि में रामकुमार सो गए थे. मंगलवार की सुबह करीब 8 बजे उन्होंने रामकुमार को जगाना चाहा लेकिन वह नहीं उठे. जब धड़कन देखी तो वह बंद थी. 

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मृतक की पत्नी-बच्चे

सुरेश ने बताया कि रामकुमार की पत्नी और बच्चे साथ थे इसलिए सफर के दौरान उन्हें कुछ नहीं बताया, क्योंकि ट्रेन में कोहराम मच जाता. उन्हें रामकुमार की मौत की कोई जानकारी नहीं थी. रात्रि साढ़े 8 बजे जब ट्रेन झांसी के वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन पहुंची तब जीआरपी की मदद से रामकुमार के शव को ट्रेन से उतारा गया. जहां पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. 

मृतक की पत्नी ने क्या कहा? 

मृतक की पत्नी प्रेमा ने रोते हुए बताया कि 8 बजे जब मैं उठा रही थी तो वह बोल नहीं रहे थे. शरीर गरम था इसलिए हम कुछ समझ नहीं पाए. हमने उन्हें काफी उठाने का प्रयास किया लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहे थे. इसपर हमने सोचा कि वह सो रहे हैं लेकिन वह तो हमेशा के लिए सो गए. 

वहीं, मृतक के साथी सुरेश यादव ने कहा- हम साबरमती से आ रहे थे. रामकुमार भाई बीमार थे. सूरत में गाड़ी चलाते थे. एक्सीटेंट हो गया था. काफी दिखाया लेकिन ठीक नहीं हो पाए. इसलिए हम फैजाबाद लेकर जा रहे थे. रास्ते में बातचीत कर रहे थे, फिर सो गए. कहां पर उनकी मौत हुई ये नहीं पता चल पाया.  शायद सुबह साढ़े सात बजे के करीब मौत हुई होगी . रास्ते में डर के मारे किसी को नहीं बताया. 

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