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हवाई में ज्‍वालामुखी से तबाही, लेकिन अजीब हैं यहां की मान्यताएं

अंकुर कुमार
  • 08 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST
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दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में से एक हवाई द्वीप का किलाऊ ज्वालामुखी फट गया है. हवाई द्वीप की तस्‍वीरें दुन‍िया को दहला रही है.

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भले ही दुन‍िया के लोगों के लिए यह बेहद डरा देने वाली घटना है, लेकिन हवाई के लोग पहले भी ऐसी घटनाओं से दो चार हो चुके हैं. ज्‍वालामुखी विस्‍फोट को लेकर हवाई द्वीप पर कई मान्‍यताएं हैं.

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यहां के लोग ज्‍वालामुखी को देवी मानते हैं. यही वजह है कि वे इस ज्‍वालामुखी से निकलने वाले लावा के सामने चढ़ावे के तौर पर खाने की चीज या कुछ बहुमूल्‍य चीजें रख देते हैं. लीलानी स्टेट्स में जगह जगह ऐसी चीजें रखी देखी जा सकती है. हवाई के लोग इस देवी को पेले नाम से पुकारते हैं और मान्‍यता है कि पेले, आग की देवी की कृपा से ही हवाई द्वीप का जन्‍म हुआ.

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वहीं ज्‍वालामुखी का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. ज्‍वालामुखी से निकले लावे की वजह से 35 से ज्‍यादा इमारतें तबाह हो चुकी हैं.

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लावा अब तक 387,500 स्क्वायर फीट जगह से अध‍िक इलाके में फैल चुका है. धीमी गति से लावा आगे की ओर बढ़ रहा है. अभी कहा नहीं जा सकता कि लावा कहां तक फैलेगा.

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एक्‍सपर्ट के अनुसार 1955 में जब लावा निकला था तो लगातार 88 दिन तक फैलता चला गया था और 4 हजार एकड़ इलाके को तबाह कर द‍िया था.  इस वजह ज्‍वालामुखी से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से घर खाली करने को कहा गया है. हजारों लोग घर छोड़ कैंप की ओर बढ़ रहे हैं.

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लावा और ज्‍वालामुखी विस्‍फोट के कारण बने वे भूकंप जो सोमवार से पहले आए थे. 24 घंटे में 142 से ज्‍यादा भूकंप आए थे. इसमें एक भूकंप की तीव्रता 6.9 रही जो 1975 के बाद इस इलाके में सबसे शक्‍त‍िशाली भूकंप था.

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ज्‍वालामुखी से निकले लावा की चपेट में आने से उताह की एक प्रेगनेंट हाइकर की मौत भी हो गई है.

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सबसे एक्‍ट‍िव ज्‍वालामुखी किलाऊ है. ये 1983 से लगातार लावा उगल रहा था और आख‍िरकार बड़े व‍िस्‍फोट के साथ फट गया. यह ज्वालामुखी 6 लाख साल पुराना है.

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1983 में पू हाओ के विस्‍फोट में लावा की वजह से सैंकड़ों घर तबाह हो गए थे. 2008 में भी भूंकप की वजह से ज्‍वालामुखी से लावा निकला था और आसपास के इलाकों को काफी नुकसान पहुंचा था.

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आपको बता दें कि 2014 में किलाऊ ज्वालामुखी का लावा लोगों के घरों तक पहुंच गया था. धधकते लावे ने कई मकानों को भी निगल लिया था. वहीं 2016 में ज्‍वालामुखी के श‍िखर पू हाओ निकला धधकता लावा सीधे प्रशांत महासागर तक पहुंच गया था.

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