भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 28 फरवरी यानी आज PSLV-C51 का सफल लॉन्च किया. इसी के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और नाम सतीश धवन सैटेलाइट के साथ अंतरिक्ष में स्थापित हो गया. इस रॉकेट में ब्राजील के अमेजोनिया-1 (Amazonia-1) सैटेलाइट के साथ 18 अन्य सैटेलाइट्स भी अंतरिक्ष में भेजे गए हैं. आइए जानते है इस मिशन की अन्य जानकारियां... (फोटोःISRO)
PSLV-C51 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से 28 फरवरी को लॉन्च पैड एक से रवाना किया गया. इस लॉन्च की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस साल की ये पहली सफल लॉन्चिंग है. लॉन्च पैड एक से ये 39वीं सफल लॉन्चिंग है. स्पेस सेंटर से 78वीं लॉन्चिंग है. ये PSLV रॉकेट की 53वीं सफल उड़ान है. ISRO ने इस लॉन्चिंग के साथ अब तक 34 देशों के 342 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किये हैं. (फोटोःISRO)
अमेजोनिया-1 (Amazonia-1) सैटेलाइट ब्राजील का पहला ऑप्टिकल अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है. ये अमेजन के जंगलों में कम हो रहे पेड़ों और अन्य बदलावों को मॉनिटर करेगा. अमेजोनिया-1 (Amazonia-1) सैटेलाइट PSLV-C51 रॉकेट का मुख्य उपग्रह है. (फोटोःISRO)
PSLV-C51 रॉकेट में 18 अन्य सैटेलाइट्स भी लॉन्च किए गए हैं. जिनमें से चार सैटेलाइट IN-SPACe हैं. इनमें से तीन यूनिटीसैट (UNITYsats) तीन शैक्षणिक संस्थानों के सैटेलाइट हैं. चौथी सैटेलाइट का नाम है सतीश धवन सैटेलाइट (SD SAT). इसके अलावा 14 सैटेलाइट्स न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के हैं. NSIL का यह पहला कॉमर्शियल लॉन्च है. (फोटोः ISRO)
सतीश धवन सैटेलाइट (SD SAT) को स्पेस किड्स इंडिया नाम के स्टार्टअप ने बनाया है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो और नाम भी है. स्पेस किड्स इंडिया (Space Kidz India) की सीईओ डॉ. श्रीमती केसन ने बताया कि हमारे जैसे स्टार्टअप्स को मौका दिया जा रहा है. इसलिए हमने कई लोगों के नाम मंगवाए थे. हमारे पास करीब 25 हजार नाम आए हैं. जो इस सैटेलाइट के जरिए अंतरिक्ष में जाएंगे. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और फोटो सैटेलाइट के ऊपरी पैनल पर है. यह पहला मौका है जब किसी निजी कंपनी की सैटेलाइट में लोगों का नाम जा रहा है. (फोटोः SpaceKidz India)
डॉ. केसन ने बताया कि हमारी सतीश धवन सैटेलाइट (SD SAT) अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन की स्टडी करेगी. चुंबकीय बहाव का अध्ययन करेगी और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को अंतरिक्ष में मुकाम देगी. सतीश धवन सैटेलाइट (SD SAT) जैसे नैनो सैटेलाइट्स धरती की लोअर अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगाते हुए या एक स्थान पर रुककर मौसम, संचार, चुंबकीय बहाव, रेडिएशन आदि का अध्ययन करते हैं. अमेरिकी स्पेस कंपनी स्पेसएक्स भी लगातार ऐसे नैनो सैटेलाइट्स को लॉन्च कर रहा है. (फोटोः SpaceKidz India)
स्पेस किड्स इंडिया (Space Kidz India) ने अंतरिक्ष में अपना नाम भेजने की एक डिजिटल ड्राइव चलाई थी. जिसमें फॉर्म भरने के बाद लोगों के पास इस मिशन का एक बोर्डिंग पास आता है. इसमें नाम तो फॉर्म भरने वाला का रहता है लेकिन फोटो और डिटेल्स मिशन का रहता है. जैसे पीएम नरेंद्र मोदी के बोर्डिंग पास पर उनका नाम लिखा है, लेकिन फोटो सतीश धवन की लगी है. (फोटोः SpaceKidz India)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 50 साल के इतिहास में पहली बार अपने सैटेलाइट सेंटर को निजी कंपनियों के लिए खोला है. ऐसा पहली बार होगा जब प्राइवेट कंपनी या एकेडेमिया के लोग बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में अपनी सैटेलाइट की जांच करेंगे. इसरो ने फिलहाल सिर्फ दो सैटेलाइट के लिए अनुमति दी है. इनमें से एक निजी कंपनी की है, दूसरी स्टूडेंट्स की. (फोटोःSpaceKidz India)
ठीक इसी तरह अगले कुछ महीनों में दो प्राइवेट कंपनियां श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट और तिरुवनंतपुरम स्थित रॉकेट सेंटर पर अपने इंजनों की जांच करेंगे. इसरो अपने सैटेलाइट इमेजेस इस प्राइवेट कंपनी को देगा जो मैपिंग सर्विस के लिए काम करती है. (फोटोः ISRO)