तीन लाख 16 हजार की आबादी वाले देश आइसलैंड में अब तक कोरोना वायरस से आठ लोगों की मौत हुई है. यहां के लोगों को लग रहा था कि उनका देश कोरोना वायरस से काफी हद तक बचा हुआ है. लेकिन जब बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की गई तो कोरोना पॉजिटिव पाए गए आधे ऐसे लोग थे जिनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिख रहा था. (फाइल फोटो में आइसलैंड की प्रधानमंत्री Katrin Jakobsdottir एक यूथ ग्रुप के साथ)
टेस्ट और मेडिकल सुविधाओं की कमी की वजह से इस वक्त दुनिया के ज्यादातर देशों में बिना लक्षण वाले लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट नहीं किया जा रहा है. खासकर तब जब वे किसी संक्रमित पाए गए व्यक्ति से ना मिले-जुले हों. लेकिन आइसलैंड ने ऐसे लोगों के भी टेस्ट करने का फैसला किया है. (प्रतीकात्मक फोटो)
आइसलैंड में 36,413 लोगों के टेस्ट किये जा चुके हैं. मतलब कुल आबादी के 10 फीसदी लोगों के टेस्ट हो चुके हैं. जबकि ब्रिटेन में अब तक सिर्फ 0.48 फीसदी लोगों के टेस्ट हुए हैं. आइसलैंड में अब तक करीब 1600 लोग संक्रमित पाए गए हैं. यानी जितने लोगों की जांच की गई उनमें से 4.3 फीसदी लोग संक्रमित हुए. लेकिन पॉजिटिव पाए गए लोगों में आधे ऐसे थे जिनमें पहले से कोई लक्षण नहीं था. (प्रतीकात्मक फोटो)
अन्य देशों की तरह आइसलैंड मेडिकल स्टाफ और सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. यहां नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऐसे लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट करता है जिनकी हालत गंभीर हो गई हो या फिर जिनमें लक्षण दिख रहे हों. (प्रतीकात्मक फोटो)
वहीं, deCODE Genetics नाम की कंपनी को बड़े पैमाने पर लोगों के टेस्ट करने को कहा गया है जिनमें कोई लक्षण नहीं है और जिन्हें क्वारनटीन भी नहीं किया गया है.
दुनिया के कई हेल्थ एक्सपर्ट अपील कर रहे हैं कि तमाम प्रभावित देशों में अधिक से अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट किये जाएं ताकि समय रहते उन्हें आइसोलेट किया जा सके.
कई बार जब तक किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखने शुरू होते हैं, वह कई अन्य लोगों के संपर्क में आ चुका होता है.