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लॉकडाउन की बेबसी, पत्नी को ठेले पर लेटाकर अस्पताल ले गया पति

उदय गुप्ता
  • 28 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 9:16 PM IST
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कोरोना का कहर लगातार जारी है और देशव्यापी लॉकडाउन ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर के रख दिया है. जहां कई मजदूर बिना किसी साधन के घर के लिए रवाना हुए  हैं तो वहीं कई दिहाड़ी मजदूरों के पास न काम है न कमाई का कोई जरिया. इस बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट बन्द होना परेशानी का सबब बना हुआ है.

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लॉकडाउन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है. तो वहीं लॉक डाउन में इलाज के लिए अस्पताल जाना भी चुनौती बना हुआ है. ऐसे में लोगों को इलाज के लिए अस्पताल आने-जाने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में उस वक्त सामने आया जब एक व्यक्ति को अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए 4 किलोमीटर दूर साइकिल ठेले पर लादकर अस्पताल जाना पड़ा.

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यह तस्वीरें खुद-ब-खुद हालात की कहानी बयां कर रही हैं कि किस तरह से लोग लॉक डाउन में मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि शख्स का नाम मनीराम है. मनीराम चन्दौली के जसौली गांव के रहने वाले हैं. पिछले दिनों मनीराम ने अपनी पत्नी का पथरी का ऑपरेशन एक प्राइवेट नर्सिंग होम में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत कराया था.

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ऑपरेशन होने के बाद इनकी पत्नी वापस घर आ गई थीं. एक सप्ताह के बाद रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाना था. लेकिन इसी दौरान कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन का आदेश जारी हो गया. लॉकडाउन के चलते वाहनों का परिचालन बंद हो गया. ऐसे में मनीराम के सामने यह संकट था कि पत्नी को अपने गांव से 4 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जाएं तो कैसे जाएं, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कैसे हल निकाला जाए.

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मनीराम ने अपने एक परिचित का साइकिल ठेला मांगा और उसी पर अपनी पत्नी को लेटाकर अस्पताल ले गए. हालांकि उन्होंने खुद ही माना कि एम्बुलेंस नहीं बुलाई थी. दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव और लॉकडाउन के चलते लोगों में अफरा-तफरी और घबराहट का माहौल भी पैदा हो गया है.

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घबराहट में लोग सोच समझ नहीं पा रहे हैं कि उनको करना क्या है और इस संक्रमण काल में सरकार के द्वारा उनको क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. मनीराम को भी चाहिए था कि पत्नी के इलाज के लिए वह एंबुलेंस को कॉल करें और एंबुलेंस में ही मरीज को लेकर अस्पताल जाएं. लेकिन उसको इस बाद का अंदाजा नहीं था कि समय रहते उसे मदद मिल पाएगी या नहीं. फिलहाल मनीराम अपनी को पत्नी को डॉक्टर को दिखाकर वापस घर पहुंच गए हैं.

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