सर्दियों में उत्तर भारत कोहरा की चादर में लिपट जाता है. दिल्ली-NCR से पंजाब, हरियाणा और पूरे गंगा के मैदानी इलाके में घना कोहरा छा जाता है, जिससे दृश्यता शून्य हो जाती है. इस साल दिसंबर में कोहरे ने हवाई यात्रा, सड़क यातायात और खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है. आइए वैज्ञानिक तथ्यों के साथ समझते हैं कि कोहरा कैसे बनता है? उत्तर भारत में क्यों ज्यादा होता है और इसका सबसे ज्यादा असर कहां पड़ता है?
कोहरा हवा में मौजूद पानी की भाप का जमाव है. वैज्ञानिक रूप से, जब हवा का तापमान ड्यू पॉइंट (ओस बिंदु) तक गिर जाता है, तो हवा में मौजूद नमी छोटे-छोटे पानी के कणों में बदल जाती है. ये कण हवा में तैरते रहते हैं और कोहरा बनाते हैं.
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उत्तर भारत में मुख्य रूप से रेडिएशन कोहरा बनता है, जो प्रदूषण के कणों (न्यूक्लियस) पर पानी की बूंदें जमाकर और घना हो जाता है.
उत्तर भारत की इंडो-गैंजेटिक मैदान (IGP) की भौगोलिक स्थिति आदर्श है...
कोहरा जीवन को प्रभावित करता है...
हवाई यात्रा: दृश्यता कम होने से रनवे विजिबिलिटी जीरो. 15 दिसंबर 2025 को दिल्ली एयरपोर्ट पर 228 फ्लाइट्स कैंसल, 5 डाइवर्ट, सैकड़ों डिले. इंडिगो, एयर इंडिया ने एडवाइजरी जारी की. उत्तर भारत के कई एयरपोर्ट प्रभावित.
सड़क दुर्घटनाएं: कम दृश्यता से चेन कोलिजन. 15 दिसंबर को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कई पाइल-अप, 4-6 मौतें, दर्जनों घायल. हरियाणा, यूपी में कई एक्सीडेंट. स्वास्थ्य पर भी असर – स्मॉग (कोहरा + प्रदूषण) से सांस की बीमारियां बढ़ती हैं.
खेती: ठंड और पाला (फ्रॉस्ट) फसलों को नुकसान. आलू, सब्जियां, सरसों प्रभावित. कोहरा सूरज की रोशनी रोकता है, फोटोसिंथेसिस कम होती है. पाला से पत्तियां जल जाती हैं.
कोहरा प्राकृतिक है, लेकिन प्रदूषण इसे जहरीला बना देता है. धीरे ड्राइव करें, फॉग लाइट्स यूज करें. IMD की चेतावनी पर नजर रखें. स्वच्छ हवा और सतर्कता से नुकसान कम किया जा सकता है.
ऋचीक मिश्रा