क्यों होता है कोहरा... कितना नुकसान करता है इसका कहर?

सर्दियों में उत्तर भारत में घना कोहरा छा जाता है, जो रात में जमीन के ठंडा होने से हवा की नमी के छोटे कणों से बनता है. प्रदूषण इसे और घना बनाता है. इससे हवाई उड़ानें रद्द, सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं. फसलों को पाला नुकसान पहुंचता है.

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नई दिल्ली में यमुना नदी के ऊपर जमा कोहरा. (File Photo: PTI) नई दिल्ली में यमुना नदी के ऊपर जमा कोहरा. (File Photo: PTI)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

सर्दियों में उत्तर भारत कोहरा की चादर में लिपट जाता है. दिल्ली-NCR से पंजाब, हरियाणा और पूरे गंगा के मैदानी इलाके में घना कोहरा छा जाता है, जिससे दृश्यता शून्य हो जाती है. इस साल दिसंबर में कोहरे ने हवाई यात्रा, सड़क यातायात और खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है. आइए वैज्ञानिक तथ्यों के साथ समझते हैं कि कोहरा कैसे बनता है? उत्तर भारत में क्यों ज्यादा होता है और इसका सबसे ज्यादा असर कहां पड़ता है? 

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कोहरा कैसे बनता है? 

कोहरा हवा में मौजूद पानी की भाप का जमाव है. वैज्ञानिक रूप से, जब हवा का तापमान ड्यू पॉइंट (ओस बिंदु) तक गिर जाता है, तो हवा में मौजूद नमी छोटे-छोटे पानी के कणों में बदल जाती है. ये कण हवा में तैरते रहते हैं और कोहरा बनाते हैं.

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मुख्य प्रकार...

  • रेडिएशन कोहरा: साफ रातों में जमीन तेजी से ठंडी होती है (इंफ्रारेड रेडिएशन से गर्मी अंतरिक्ष में चली जाती है). जमीन के पास की हवा ठंडी होकर संतृप्त हो जाती है. सर्दियों में उत्तर भारत में यही सबसे आम है.
  • एडवेक्शन कोहरा: गर्म नम हवा ठंडी सतह पर आती है, जैसे समुद्र से ठंडी जमीन पर.
  • अन्य: अपस्लोप कोहरा (हवा पहाड़ पर चढ़ते हुए ठंडी होती है) या स्टीम कोहरा.

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उत्तर भारत में मुख्य रूप से रेडिएशन कोहरा बनता है, जो प्रदूषण के कणों (न्यूक्लियस) पर पानी की बूंदें जमाकर और घना हो जाता है.

उत्तर भारत में कोहरे का प्रकोप ज्यादा क्यों?

उत्तर भारत की इंडो-गैंजेटिक मैदान (IGP) की भौगोलिक स्थिति आदर्श है...

  • ठंडी सर्दियां और कम हवा: रात में तापमान तेजी से गिरता है. हवा शांत रहती है.
  • प्रदूषण: दिल्ली जैसे शहरों में PM2.5 जैसे कण नमी को पकड़कर कोहरा घना बनाते हैं.
  • नमी की उपलब्धता: गंगा, यमुना जैसी नदियां, सिंचाई और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से नमी आती है.
  • सिंचाई का प्रभाव: पिछले दशकों में डबल क्रॉपिंग से सिंचाई बढ़ी, जिससे मिट्टी में नमी ज्यादा – इससे कोहरा बढ़ा. हिमालय की वजह से ठंडी हवा फंस जाती है. दिसंबर-जनवरी में दृश्यता अक्सर 50 मीटर से कम हो जाती है.

कोहरे का सबसे ज्यादा असर कहां?... हवाई यात्रा, सड़क दुर्घटना, खेती

कोहरा जीवन को प्रभावित करता है...

हवाई यात्रा: दृश्यता कम होने से रनवे विजिबिलिटी जीरो. 15 दिसंबर 2025 को दिल्ली एयरपोर्ट पर 228 फ्लाइट्स कैंसल, 5 डाइवर्ट, सैकड़ों डिले. इंडिगो, एयर इंडिया ने एडवाइजरी जारी की. उत्तर भारत के कई एयरपोर्ट प्रभावित.

सड़क दुर्घटनाएं: कम दृश्यता से चेन कोलिजन. 15 दिसंबर को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कई पाइल-अप, 4-6 मौतें, दर्जनों घायल. हरियाणा, यूपी में कई एक्सीडेंट. स्वास्थ्य पर भी असर – स्मॉग (कोहरा + प्रदूषण) से सांस की बीमारियां बढ़ती हैं.

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खेती: ठंड और पाला (फ्रॉस्ट) फसलों को नुकसान. आलू, सब्जियां, सरसों प्रभावित. कोहरा सूरज की रोशनी रोकता है, फोटोसिंथेसिस कम होती है. पाला से पत्तियां जल जाती हैं.

धुंध-कोहरा, ओस-पाला... क्या फर्क है इनमें?

  • धुंध (मिस्ट): हल्का कोहरा, दृश्यता 1-2 किमी. नमी ज्यादा लेकिन कम घना.
  • कोहरा (फॉग): घना, दृश्यता 1 किमी से कम (घना कोहरा: 50 मीटर से कम).
  • ओस (ड्यू): ठंडी सतह पर पानी की बूंदें जमती हैं (तापमान ड्यू पॉइंट से ऊपर).
  • पाला (फ्रॉस्ट): तापमान 0°C से नीचे, ओस जमकर बर्फ के क्रिस्टल बनते हैं. फसलों के लिए सबसे खतरनाक.

कोहरा प्राकृतिक है, लेकिन प्रदूषण इसे जहरीला बना देता है. धीरे ड्राइव करें, फॉग लाइट्स यूज करें. IMD की चेतावनी पर नजर रखें. स्वच्छ हवा और सतर्कता से नुकसान कम किया जा सकता है.

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