दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले दो महीनों से हवा जहरीली बनी हुई है. नवंबर से दिसंबर तक एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बार-बार 'सीवियर' (गंभीर) स्तर पर पहुंच रहा है. कभी थोड़ा सुधार होता है, तो कभी फिर बिगड़ जाता है. GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के नियम लागू होते हैं, फिर ढीले पड़ जाते हैं.
आखिर दिल्ली प्रदूषण की इस लड़ाई में कहां गलती कर रही है? और दुनिया के दूसरे शहरों से हम क्या सीख सकते हैं? आइए वैज्ञानिक तथ्यों और कारणों के साथ समझते हैं.
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दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ एक कारण से नहीं होता. कई स्रोत मिलकर हवा को जहरीला बनाते हैं. वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, मुख्य कारण ये हैं...
वाहनों का धुआं: दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है. ये PM2.5 (2.5 माइक्रोन से छोटे कण) और NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) छोड़ते हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट कहती है कि सर्दियों में दैनिक प्रदूषण की बढ़ोतरी मुख्य रूप से ट्रैफिक से होती है. सुबह और शाम के पीक ऑवर्स में प्रदूषण तेजी से बढ़ता है क्योंकि ठंडी हवा में ये गैसें फंस जाती हैं.
पराली जलाना : पंजाब और हरियाणा में किसान धान की पराली जलाते हैं. इससे धुआं दिल्ली तक पहुंचता है. लेकिन इस साल बाढ़ की वजह से पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं, फिर भी प्रदूषण नहीं घटा. अध्ययनों से पता चलता है कि नवंबर-दिसंबर में इसका योगदान 5-15% तक रहता है, लेकिन स्थानीय स्रोत ज्यादा जिम्मेदार हैं.
सर्दियों का मौसम और इनवर्शन: सर्दियों में तापमान गिरता है. हवा की गति कम हो जाती है और 'इनवर्शन लेयर' बन जाती है. इससे प्रदूषण वाले तत्व जमीन के पास फंस जाते हैं. वैज्ञानिक रूप से, ठंडी हवा नीचे और गर्म हवा ऊपर रहती है, जो प्रदूषण को फैलने नहीं देती. दिसंबर में AQI 400-500 तक पहुंचने का मुख्य कारण यही है.
अन्य स्रोत: निर्माण कार्य से धूल, इंडस्ट्री से धुआं, कचरा जलाना और कोयले/लकड़ी का इस्तेमाल. दिल्ली की भौगोलिक स्थिति (इंडो-गैंजेटिक प्लेन) भी प्रदूषण को ट्रैप करती है.
इस साल नवंबर में AQI 428 तक गया, दिसंबर में 13-15 तारीख को 450-500 के पार. 15 दिसंबर को कुछ जगहों पर AQI 600 से ऊपर दर्ज हुआ. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा से 30 गुना ज्यादा PM2.5 दिल्ली की हवा में है, जो फेफड़ों में घुसकर बीमारियां पैदा करता है.
GRAP चार स्टेज में नियम लागू करता है...
इस साल दिसंबर में स्टेज 3 और 4 लागू हुए, लेकिन प्रभाव कम. कारण...
कई शहरों ने प्रदूषण पर काबू पाया. दिल्ली इनसे सीख सकती है...
दिल्ली को GRAP से आगे सोचना होगा. इलेक्ट्रिक बसें बढ़ाना, पुराने वाहन हटाना, हरा-भरा करना और पड़ोसी राज्यों से मिलकर काम करना जरूरी. वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर सही कदम उठाए तो 5-10 साल में बड़ा सुधार जरूरी है. लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता का सहयोग चाहिए.
ऋचीक मिश्रा