कहां गायब हो गया Switzerland का खूबसूरत ब्लैटेन गांव? तस्वीरों में देखें ग्लेशियर से तबाही का मंजर

स्विट्जरलैंड का ब्लैटेन गांव बिर्च ग्लेशियर के टूटने से बर्फ और मलबे में दबा गया. 300 लोग सुरक्षित निकाले गए, लेकिन एक व्यक्ति लापता है. जलवायु परिवर्तन से पर्माफ्रॉस्ट पिघलने के कारण यह आपदा हुई. लोन्ज़ा नदी रुकने से बाढ़ आई, स्विस सेना राहत कार्य में जुटी है. यह जलवायु परिवर्तन का खतरनाक नतीजा है.

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देखिए स्विट्जरलैंड का ब्लैटेन गांव इसी पहाड़ी मलबे के नीचे दबा है. पर्माफ्रॉस्ट कमजोर हुआ, बिर्च ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटा और फिर तबाही. (सभी फोटोः Reuters/AP/AFP) देखिए स्विट्जरलैंड का ब्लैटेन गांव इसी पहाड़ी मलबे के नीचे दबा है. पर्माफ्रॉस्ट कमजोर हुआ, बिर्च ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटा और फिर तबाही. (सभी फोटोः Reuters/AP/AFP)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

स्विट्जरलैंड के खूबसूरत ब्लैटेन गांव में 28 मई 2025 को एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने सब कुछ तबाह कर दिया. बिर्च ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गांव पर गिर गया, जिससे बर्फ, कीचड़ और चट्टानों का सैलाब आ गया. गांव का 90% हिस्सा मलबे में दब गया. बाकी बचे घर बाढ़ में डूब गए. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) का खतरनाक नतीजा है. 

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क्या हुआ ब्लैटेन में?

ब्लैटेन, स्विट्जरलैंड के वालिस क्षेत्र में लोत्शेन्टल घाटी का एक छोटा सा गांव है, जो बिएत्शहॉर्न पहाड़ के नीचे बसा है. 28 मई 2025 को दोपहर करीब 3:30 बजे, बिर्च ग्लेशियर का एक विशाल हिस्सा (लगभग 15 लाख घन मीटर) टूटकर गांव पर गिर गया.

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इस हिमस्खलन में बर्फ, कीचड़ और चट्टानों ने गांव को पूरी तरह दबा दिया. ड्रोन और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखा कि कैसे एक विशाल धूल का बादल गांव को ढक रहा था. गांव के 300 निवासियों को पहले ही 19 मई को सुरक्षित निकाल लिया गया था, क्योंकि वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के अस्थिर होने की चेतावनी दी थी, एक 64 साल के व्यक्ति लापता हैं. गुरुवार (29 मई) को उनकी तलाश रोक दी गई, क्योंकि मलबा बहुत अस्थिर था. 

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बाढ़ का खतरा और फर्डन डैम

हिमस्खलन ने लोन्ज़ा नदी को रोक दिया, जिससे एक बड़ी कृत्रिम झील बन गई. इस झील का पानी हर घंटे 80 सेंटीमीटर बढ़ रहा है, जिससे बचे हुए घर भी बाढ़ में डूब गए. पास के गांवों से भी कुछ लोगों को सुरक्षित निकाला गया.

वालिस के सुरक्षा प्रमुख स्टीफन गैंज़र ने कहा कि अगर यह मलबा फर्डन डैम को तोड़ दे, तो और तबाही हो सकती है. लेकिन डैम को पहले ही खाली कर दिया गया है, ताकि यह अतिरिक्त पानी को रोक सके. स्विस सेना के 50 जवान, पानी के पंप और भारी मशीनें राहत कार्य के लिए तैयार हैं.

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जलवायु परिवर्तन का असर

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आपदा जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. पर्माफ्रॉस्ट (हमेशा जमी रहने वाली मिट्टी) भी पिघल रही है. यह परमाफ्रॉस्ट पहाड़ों को स्थिर रखने वाली "गोंद" की तरह काम करती है. जब यह पिघलती है, तो चट्टानें और ग्लेशियर अस्थिर हो जाते हैं.

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स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर मॉनिटरिंग के प्रमुख मथियास हुस ने कहा कि ऐसी घटनाएं सैकड़ों सालों में नहीं देखी गईं.  यह जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. स्विस आल्प्स का तापमान 1970 के दशक से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. 2000 से अब तक ग्लेशियरों का 40% हिस्सा पिघल चुका है. 2022 और 2023 में 10% बर्फ का नुकसान हुआ. 

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लोगों का दर्द- 1654 का पुश्तैनी घर भी दबा

ब्लैटेन के मेयर मथियास बेलवाल्ड ने कहा कि हमने अपना गांव खो दिया, लेकिन हमारा हौसला नहीं टूटा. हम फिर से बनाएंगे. लेकिन निवासियों के लिए यह सदमा बहुत बड़ा है. एक महिला ने कहा कि मैंने कल सब कुछ खो दिया. पास के रिएड गांव के वर्नर बेलवाल्ड ने बताया कि उनका 1654 में बना पुश्तैनी घर भी मलबे में दब गया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे वहां कभी बस्ती थी ही नहीं. 

हाल की अन्य घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब स्विट्जरलैंड में ऐसी आपदा हुई. 2023 में पूर्वी स्विट्जरलैंड के ब्रिएन्ज़ गांव को भी हिमस्खलन के डर से खाली कराया गया था. 2017 में बोंडो गांव में एक हिमस्खलन ने आठ लोगों की जान ले ली थी. भारत में भी 2013 में केदारनाथ और 2023 में सिक्किम के साउथ ल्होनक ग्लेशियर में ऐसी आपदाओं ने भारी नुकसान किया.

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क्या किया जा रहा है?

  • राहत कार्य: स्विस सेना और स्थानीय अधिकारी मलबे को हटाने और बाढ़ से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. मवेशियों को हेलिकॉप्टर से सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया.
  • सरकारी मदद: स्विस राष्ट्रपति करिन केलर-सटर ब्लैटेन का दौरा करेंगी. सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए आर्थिक मदद का वादा किया है.
  • चेतावनी सिस्टम: वैज्ञानिकों ने पहले ही ग्लेशियर की अस्थिरता की चेतावनी दी थी, जिसके कारण गांव को खाली कराया गया। इससे कई जिंदगियां बचीं.

जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

यह घटना जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं रोका गया, तो स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर 2100 तक पूरी तरह गायब हो सकते हैं. 2024 को रिकॉर्ड सबसे गर्म साल माना गया, जिसने ग्लेशियरों को और कमज़ोर किया.

ब्लैटेन गांव की तबाही ने पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरों की याद दिला दी. 300 लोग बेघर हो गए. एक व्यक्ति अभी भी लापता है. लेकिन निवासियों का हौसला बरकरार है. यह घटना हमें बताती है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए अभी से कदम उठाने होंगे, वरना ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी.

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