450 KM दूर स्टेशन पहुंचने में शुभांशु को क्यों लगेंगे 28 घंटे? समझिए अंतरिक्ष यात्रा का पूरा रूट

शुभांशु शुक्ला का मिशन लॉन्च हो चुका है... अब 28 घंटे लगेंगे स्पेस स्टेशन तक पहुंचने में. ये 28 घंटे क्यों लगेंगे? क्योंकि ड्रैगन कैप्सूल को ऑर्बिट एडजस्टमेंट, डॉकिंग और सुरक्षा जांच में समय लगेगा. यह मिशन न केवल भारत के लिए एक गर्व का क्षण है, बल्कि यह गगनयान मिशन (2026) के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा.

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लॉन्च के बाद स्पेस स्टेशन से जुड़ने में 28 घंटे लगेंगे. (फोटोः NASA/Axiom/Reuters/Getty) लॉन्च के बाद स्पेस स्टेशन से जुड़ने में 28 घंटे लगेंगे. (फोटोः NASA/Axiom/Reuters/Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ऐक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर हैं. यह मिशन 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च हुआ. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस यात्रा में शुभांशु शुक्ला को ISS तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे क्यों लगेंगे?  

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28 घंटे की यात्रा का कारण

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर कम पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है. यह एक चलता-फिरता लक्ष्य है, जिसके साथ अंतरिक्ष यान को सटीक रूप से मिलना होता है. शुभांशु शुक्ला को ले जा रहा स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान इस यात्रा में 28 घंटे लेता है. इसके पीछे कई तकनीकी और वैज्ञानिक कारण हैं...

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कक्षा समायोजन (Orbit Adjustment) 

ISS पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में तेज गति से घूमता है. ड्रैगन अंतरिक्ष यान को लॉन्च के बाद धीरे-धीरे अपनी कक्षा को समायोजित करना पड़ता है ताकि वह ISS की कक्षा के साथ तालमेल बिठा सके. यह प्रक्रिया "फेजिंग मैन्यूवर्स" (Phasing Manoeuvres) कहलाती है, जिसमें यान अपनी ऊंचाई और गति को बार-बार बैलेंस करता है. ड्रैगन के 16 ड्रैको थ्रस्टर्स, जो अंतरिक्ष में 90 पाउंड बल पैदा करते हैं, इसमें मदद करते हैं.

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सुरक्षा और सटीकता

ISS के साथ डॉकिंग (जुड़ाव) एक बहुत ही सटीक और जटिल प्रक्रिया है. अंतरिक्ष यान को ISS की गति और स्थिति के साथ पूरी तरह से मेल खाना होता है. इस दौरान कोई भी गलती खतरनाक हो सकती है. इसलिए, ड्रैगन धीरे-धीरे ISS के करीब पहुंचता है, ताकि सुरक्षित डॉकिंग सुनिश्चित हो. लॉन्च के बाद, यान को स्थिर करने और सुरक्षा जांच के लिए 1-2 घंटे और लगते हैं, जिसमें एयर प्रेशर और गैस रिसाव की जांच शामिल होती है. 

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ड्रैगन यान की डिज़ाइन

स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान अपेक्षाकृत नया है, जिसे पहली बार 2012 में लॉन्च किया गया था. इसकी तुलना में रूस का सोयूज़ अंतरिक्ष यान, जिसे 1960 के दशक से उपयोग किया जा रहा है, केवल 8 घंटे में ISS तक पहुंच सकता है. सोयूज़ का लंबा इतिहास और गणितीय मॉडल इसे तेज बनाते हैं. ड्रैगन के लिए स्पेसएक्स अभी भी लॉन्च समय और फेजिंग मैन्यूवर्स के लिए गणितीय मॉडल विकसित कर रहा है, जिसके कारण यात्रा लंबी होती है.

लॉन्च विंडो और तकनीकी देरी

अंतरिक्ष मिशन में "लॉन्च विंडो" बहुत महत्वपूर्ण होती है. यह एक निश्चित समय होता है, जिसमें रॉकेट को लॉन्च करना होता है ताकि वह आसानी से और कम ईंधन के साथ ISS तक पहुंच सके. Ax-4 मिशन की तारीख कई बार बदली गई, जैसे कि मौसम की खराबी और तकनीकी समस्याओं (जैसे फाल्कन 9 में ऑक्सीजन रिसाव) के कारण. ये देरी यात्रा की योजना को और जटिल बनाती हैं, जिससे समय बढ़ सकता है.

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चरणबद्ध यात्रा

फाल्कन 9 रॉकेट दो चरणों में काम करता है. पहला चरण (बूस्टर) नौ मर्लिन इंजनों के साथ यान को पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर ले जाता है. इसके बाद, पहला चरण अलग होकर पृथ्वी पर वापस लैंड करता है. दूसरा चरण (जिसमें एक मर्लिन इंजन होता है) ड्रैगन को कक्षा में ले जाता है. यह चरणबद्ध प्रक्रिया और कक्षा में प्रवेश का समय भी यात्रा को लंबा करता है.

यात्रा का विवरण

  • लॉन्च: Ax-4 मिशन 25 जून 2025 को  भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 पर फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा.
  • कक्षा में प्रवेश: लॉन्च के लगभग 15 मिनट बाद, ड्रैगन अंतरिक्ष यान कक्षा में प्रवेश करेगा. इस दौरान, "जॉय" नामक एक छोटा हंस खिलौना, जो शून्य गुरुत्वाकर्षण का संकेतक है, तैरना शुरू करेगा.
  • फेजिंग मैन्यूवर्स: अगले 28 घंटों में, ड्रैगन धीरे-धीरे अपनी कक्षा को ISS की कक्षा के साथ मिलाएगा. यह प्रक्रिया कई छोटे-छोटे थ्रस्टर फायरिंग के जरिए होती है.
  • डॉकिंग: 26 जून 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 4 बजे से 10 बजे के बीच ड्रैगन ISS के हार्मनी मॉड्यूल के स्पेस-फेसिंग पोर्ट के साथ डॉक करेगा.
  • सुरक्षा जांच: डॉकिंग के बाद, 1-2 घंटे तक दबाव समायोजन और रिसाव की जांच होगी, जिसके बाद शुभांशु और उनकी टीम ISS में प्रवेश करेंगे.

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शुभांशु शुक्ला की भूमिका

शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के पायलट हैं. वह मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री) के साथ काम करेंगे. उनकी जिम्मेदारियों में अंतरिक्ष यान के संचालन, सिस्टम की निगरानी और वैज्ञानिक प्रयोगों में सहायता करना शामिल है. वह 14 दिन तक ISS पर रहेंगे, जहां वह 7 भारतीय और 5 नासा प्रयोग करेंगे, साथ ही योग और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे.

मिशन की देरी और चुनौतियां

Ax-4 मिशन को कई बार स्थगित किया गया है. पहले यह मई 2025 में निर्धारित था, लेकिन मौसम, तकनीकी खामियों (जैसे ऑक्सीजन रिसाव) और ISS के रूसी हिस्से में रखरखाव के कारण यह जून तक टल गया. ये देरी इस बात का सबूत हैं कि अंतरिक्ष यात्रा में समय और सुरक्षा कितने महत्वपूर्ण हैं.

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