रात 11 बजे धुआं निकलना शुरू हुआ, मरीजों को बेड सहित लेकर भागे तीमारदार, जयपुर अग्निकांड में 7 मौतें

जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात को अचानक आग लगने से 7 लोगों की मौत हो गई. दूसरी मंजिल पर बने आईसीयू से उठी आग की लपटों और धुएं के बीच मरीजों को बेड समेत बाहर निकाला गया. परिजन अपने-अपने मरीजों को सड़क पर ले आए. दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया.

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जयपुर के SMS हॉस्पिटल में 6 लोगों की मौत  (Photo: Screengrab) जयपुर के SMS हॉस्पिटल में 6 लोगों की मौत (Photo: Screengrab)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 06 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल यानी की SMS हॉस्पिटल में रविवार रात उस समय कोहराम मच गया जब आईसीयू में आग की तेज लपटें उठने लगीं. अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर बने आईसीयू में लगी इस आग के बाद मरीज और उसके तीमारदार जान बचाने के लिए बेड और गद्दा समेत बाहर भागे लेकिन फिर भी आग ने 7 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और उनकी जान चली गई.

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रात 11 बजकर 10 मिनट पर लगी आग

जानकारी के मुताबिक रात 11 बजकर 10 मिनट पर ट्रॉमा बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर न्यूरो वार्ड के स्टोर से धुंआ निकलना शुरू हुआ था. मरीजों ने अस्पताल स्टाफ को इसकी जानकारी दी लेकिन तब तक धुंआ तेज़ी से फैलने लगा. आईसीयू से कुछ ही देर बाद आग की लपटें दिखाई देने लगीं. 

बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आईसीयू में आग लगी थी. इसके बाद आग का अलार्म बजते ही अस्पताल स्टाफ और तीमारदारों में भगदड़ मच गई और सभी अपने-अपने मरीजों को सुरक्षित निकालने की कोशिश करने लगे.

मरीजों को लेकर सड़क पर भागे लोग

तीमारदार अपने परिजनों को बेड सहित सड़कों पर लेकर दौड़ पड़े जबकि अस्पताल प्रबंधन ने अन्य वार्डों के मरीजों को भी शिफ्ट करना शुरू कर दिया. इस दौरान दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

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अस्पताल सूत्रों के अनुसार आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी हो सकती है लेकिन अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. आग लगने के बाद पूरे ट्रॉमा सेंटर को खाली कराया जा रहा है ताकि मरीजों और स्टाफ की जान को किसी तरह का खतरा न हो. इस दौरान कुछ मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और घबराहट की शिकायत भी हुई, जिन्हें तुरंत अन्य वार्डों और इमरजेंसी यूनिट में शिफ्ट किया गया.

चश्मदीद ने क्या बताया ?

इस हादसे में अपने परिजन को खोने वाले एक शख्स ने कहा, 'वो मेरी मौसी का बेटा था, उसकी उम्र 25 साल थी और नाम पिंटू था, जब रात 11:20 बजे धुआं निकलना शुरू हुआ, तो हमने डॉक्टरों को बताया था कि मरीजों को दिक्कत हो सकती है, फिर धीरे-धीरे धुआं और बढ़ने लगा. जैसे धुआं बढ़ा, डॉक्टर और नीचे काम करने वाले सभी लोग बाहर चले गए.'

उन्होंने कहा, 'फिर अचानक इतना ज्यादा धुआं हो गया कि हम मरीजों को बाहर नहीं निकाल पाए, फिर भी हमने चार-पांच मरीजों को किसी तरह बाहर निकाला, मेरी मौसी का बेटा वहीं था, वो बिल्कुल ठीक था. एक-दो दिन में उसकी छुट्टी होने वाली थी लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत हो गई.'

अस्पताल प्रबंधन ने क्या कहा ?

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हालांकि इस दौरान दम घुटने से 7 मरीजों की मौत हो गई और कई अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है. एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर प्रभारी अनुराग धाकड़ ने कहा, 'ट्रॉमा सेंटर में दूसरी मंजिल पर दो आईसीयू हैं. एक ट्रॉमा आईसीयू और एक सेमी-आईसीयू. वहां 24 मरीज़ थे; 11 ट्रॉमा आईसीयू में और 13 सेमी-आईसीयू में भर्ती थे, ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट हुआ और आग तेज़ी से फैल गई, जिससे जहरीली गैसें निकलीं. ज्यादातर गंभीर मरीज बेहोशी की हालत में थे.'

इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है और आग लगने से हुए नुकसान का आकलन किया जाएगा. इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और फायर सेफ्टी पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
 

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