ममता बनर्जी ने अपने भाषा आंदोलन को अब सिनेमा से जोड़ दिया है. बंगाली प्रवासियों के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में हुए पुलिस एक्शन के बाद ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध जताया था, और उसके बाद विरोध मार्च के साथ भाषा आंदोलन भी शुरू कर दिया. भाषा आंदोलन के तहत तृणमूल कांग्रेस के नेता बांग्ला में ही बोलने पर जोर देने लगे हैं.
संसद में भी टीएमसी सांसदों ने ममता बनर्जी के आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए बांग्ला में भी भाषण देना शुरू कर दिया है - और उसी क्रम में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पश्चिम बंगाल के सिनेमा घरों में प्राइम टाइम के दौरान बंगाली फिल्में दिखाने का आदेश जारी किया है.
कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोर्चा संभाला है, तो दिल्ली के मोर्चे पर भतीजे अभिषेक बनर्जी को लगा दिया है - और SIR के बहाने वो लोकसभा भंगकर फिर से चुनाव कराये जाने की मांग करने लगे हैं.
जाहिर है, ये सब अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हो रहा है. ममता बनर्जी की कोशिश बीजेपी के खिलाफ चुनावी किलेबंदी की जोरदार तैयारी चल रही है - जिस हिसाब से ममता बनर्जी ने बांग्ला भाषा के माध्यम से बंगाली समाज को साथ लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मुहिम शुरू की है, बीजेपी के लिए परिस्थितियां पहले के मुकाबले ज्यादा मुश्किल लगने लगी हैं.
भाषा आंदोलन में बांग्ला सिनेमा की एंट्री
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार बंगाली फिल्मे दिखाने का जो नया नियम लागू किया है, उल्लंघन करने पर सरकार एक्शन भी लेगी. बंगाली फिल्में दिखाने की अनिवार्यता के साथ ही प्राइम टाइम को लेकर भी बड़ा बदलाव किया गया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने ये फैसला एक मीटिंग के बाद लिया जिसमें राज्य सरकार के दो मंत्री अरूप विश्वास और इंद्रनील सेन के साथ एक्टर रितुपर्णा सेनगुप्ता, फेडरेशन ऑफ सिने टेक्नीशियन एंड वर्कर्स ऑफ ईस्टर्न इंडिया के प्रेसिडेंट, डायरेक्टर-डिस्ट्रीब्यूटर और सिनेमा हॉल मालिक भी शामिल थे.
पहले सिनेमाघरों में प्राइम-टाइम दोपहर 12 बजे से शुरू होकर रात 9 तक हुआ करता था. नियम बदलने से ये अवधि अब कम हो गई है. नये नियम के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में प्राइम टाइम शो अब दोपहर 3 बजे से शुरू होकर रात 9 बजे तक होगा.
प्राइम टाइम के दौरान बंगाली फिल्में पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में तो दिखाई ही जाएंगी, मल्टीप्लेक्स के लिए भी हर स्क्रीन पर इस दौरान बंगाली फिल्म का एक शो जरूरी होगा. नियमों पर अमल नहीं हुआ, तो सरकार एक्शन भी लेगी.
ममता की चुनावी किलेबंदी, बीजेपी की बढ़ेगी चुनौती
बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी एक साथ हमला बोल रहे हैं. ममता बनर्जी भाषा आंदोलन चला रही हैं, और लोकसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता बनाए गए अभिषेक बनर्जी SIR के मुद्दे पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हमलावर हो चुके हैं. अभिषेक बनर्जी कह रहे हैं, अगर प्रधानमंत्री और बाकी सांसद त्रुटिपूर्ण वोटर लिस्ट से हुए मतदान के जरिये निर्वाचित होते रहे हैं, तो इसे सुधारने के लिए लोकसभा भंग करके पूरे देश में SIR क्यों नहीं कराया जा रहा है? और, लगे हाथ टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी लोकसभा भंगकर नये सिरे से चुनाव कराने की भी मांग कर रहे हैं.
1. पश्चिम बंगाल में बीजेपी को घेरने के लिए ममता बनर्जी अब नये नये तरीके अपना रही हैं. पहले ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बाहरी बोलकर हमला करती थीं, लेकिन अब उनको बांग्ला विरोधी साबित करने में जुट गई हैं - और ये ऐसा मसला है जिससे मुकाबला बीजेपी के लिए काफी मुश्किल हो सकता है.
2. ममता बनर्जी अपनी खास रणनीति के तहत मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ बनाए रखने के साथ साथ हिंदू वोटर का साथ लेने के भी उपाय कर रही हैं. और, बांग्ला भाषा के नाम पर हर बंगाल निवासी को भी - ये भी वैसे ही है जैसे गुजराती अस्मिता और मराठी अस्मिता की राजनीति होती रही है.
3. मुस्लिम वोट के लिए तो राम मंदिर उद्घाटन से लेकर प्रयागराज महाकुंभ तक ममता बनर्जी के निशाने पर रहे हैं, फुरफुरा शरीफ जैसे इलाकों में थोड़ी दिक्कत थी, और उसका भी रास्ता खोज लिया गया है. पीरजादा कासिम सिद्दीकी को तृणमूल कांग्रेस का महासचिव बनाकर ममता बनर्जी ने एहतियाती इंतजाम तो कर ही लिया है.
4. बीजेपी मुकुल रॉय के बाद शुभेंदु अधिकारी को आजमा रही है, लेकिन ममता बनर्जी ने ऐसा मुद्दा उठाया है, जिसका विरोध करना उनके लिए भी काफी मुश्किल हो रहा है. शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी के खिलाफ ऐसे बहाने बनाने पड़ते हैं जो बीजेपी की पॉलिटिकल लाइन को सूट भी नहीं करते.
5. ममता बनर्जी जब दुर्गा आंगन जैसे कार्यक्रम लेकर आती हैं या जगन्नाथ मंदिर बनवाती हैं, तो शुभेंदु अधिकारी की तरफ से सरकारी और जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी बताने की कोशिश करती है - ये बात वो न तो बीजेपी समर्थकों को ठीक से समझा पाते हैं, न टीएमसी समर्थकों तक उनकी बात पहुंच पाती है.
जिस सियासी रास्ते पर ममता बनर्जी धीरे धीरे रफ्तार भरने लगी हैं, बीजेपी को काउंटर करने के लिए कुछ नये सिरे से सोचना होगा - मुश्किल तो तब होगी, जब पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में मिथुन चक्रवर्ती की बंगाली फिल्मे दिखाई जाएंगी, और बीजेपी को ये सोचना पड़ेगा कि विरोध करें तो कैसे करें?
मृगांक शेखर