वक्फ बोर्ड का नाम सुनते ही आम आदमी की समझ में यही आता है कि मुस्लिम धर्म से संबंधित किसी प्रॉपर्टी की बात हो रही है. शायद इसी के चलते हमारे देश के राजनीतिज्ञ इसे संवेदनशील मुद्दा बना देते रहे हैं. वोट बैंक की राजनीति के चलते मुस्लिम धर्म के कल्याण के लिए बनाई गई एक पवित्र संस्था पर मुट्ठी भर भ्रष्ट और ताकतवर लोग राज कर रहे हैं. एक बार सोचकर देखिए कि देश में जितनी जमीन सेना और रेलवे के पास है, उससे थोड़ी ही कम जमीन एक ऐसी संस्था के पास है जो मुट्ठी भर लोगों के हाथ की कठपुतली बनी हुई है. यही नहीं कांग्रेस के तुष्टीकरण नीतियों के चलते यूपीए सरकार के दौरान इस संस्था को ऐसा हथियार मिल गया, जिसका ये बेजा इस्तेमाल करने लगे. वक्फ बोर्ड को ऐसा अधिकार मिल गया कि वो किसी भी जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर सकती है. और अगर आपकी जमीन पर बोर्ड ने दावा कर दिया तो आप रिलीफ के लिए कोर्ट का सहारा भी नहीं ले सकते. यही नहीं करीब साढ़े नौ लाख एकड़ जमीन होने के बावजूद बोर्ड के पास किसी गरीब मुसलमान की मदद के लिए पैसा नहीं होता है. इसलिए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध करने के पहले इन पांच बातों के बारे में जरूर सोचिएगा.
1-क्या साढ़े नौ लाख एकड़ प्रॉपर्टी का कोई रुल रेग्युलेशन नहीं होना चाहिए?
एक बार इस बात के बारे में जरूर सोचिएगा कि क्या साढ़े नौ लाख एकड़ जमीन की देखभाल के लिए रूल रेगुलेशन होना चाहिए या नहीं. सरकार ने संसद में बताया कि बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन करना है. शायद यही कारण है कि सरकार ने बिल के नाम में परिवर्तन किया है. जैसा संसदीय कार्य व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजीजु ने लोकसभा में बताया कि अब वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 हो जाएगा.
संशोधन विधेयक में वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट, ट्रांसपेरेंसी और एफिशियेंसी का ख्याल रखा गया है. इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस का प्रावधान है. अब किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस दिया जाएगा और राजस्व कानूनों के अनुसार एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरना होगा. इसमें विपक्ष को क्यों बुराई नजर आ रही है. केंद्र सरकार में मंत्री किरण रिजीजु ने संसद में बताया कि वक्फ की संपत्तियों को सही तरीके से मैनेज नहीं किया गया है. वक्फ बोर्ड का कंप्यूटरीकरण करना चाहिए, म्यूटेशन रेवेन्यू रिकॉर्ड में होना चाहिए. रिजीजू ने तंज कसते हुए कह कि वक्फ बोर्ड कानून के लिए गठित जेपीसी के चेयरमैन आपके वरिष्ठ नेता रह चुके हैं पर आप जो नहीं कर पाए वह हम कर रहे हैं. सदन में.रिजीजु कहते हैं इस बिल का समर्थन कीजिए, करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी. चंद लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा करके रखा हुआ है. गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा. इतिहास में दर्ज होगा कि कौन-कौन विरोध में था. जो खामियां 2014 से आज तक 1955 के एक्ट के बारे में रह गई हैं उनके बारे में कांग्रेस के जमाने में भी कई कमेटियां कह चुकी हैं. 1976 में वक्फ इनक्वायरी रिपोर्ट में बड़ा रिकंमेडेशन आया था. ऑडिट और अकाउंट्स का तरीका प्रॉपर नहीं है, पूरा प्रबंधन होना चाहिए.जाहिर है कि वही सब हो रहा है जो पहले मुस्लिम समाज की ओर से ही डिमांड आई थी.
2-क्या किसी भी जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ कोर्ट में अपील का अधिकार नहीं मिलना चाहिए
2009 तक वक्फ बोर्ड के पास 4 लाख एकड़ तक की 3 लाख रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियां थीं. महज 13 साल में वक्फ की जमीन दोगुनी हो गई.आज की तारीख में करीब 8 लाख 72 हजार 292 से ज्यादा अचल संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं जिनका एरिया करीब 9.4 लाख एकड़ है . दरअसल 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दे दिया. वक्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां देने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.
अब नए कानून में वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है. इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा.रिजीजु पूछते हैं कि कोई बोर्ड हो जो कुछ करता है तो उसे कोर्ट में रिव्यू करने का प्रावधान देते हैं तो ये गैर संवैधानिक कैसे हो गया. कितने साल तक वक्फ बोर्ड में बैठने वाले लोग तालमेल करके ट्रिब्यूनल में फैसले देते हैं. उस फैसले को आप किसी कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकते. सोचने वाली बात है कि क्या ये तरीका लोकतांत्रिक है? देश में कोई भी कानून सुपर लॉ नहीं हो सकता.
वक्फ बोर्ड की मनमानी और घोटालेबाजी के चौंकाने वाले उदाहरण:
इस कानून के दुरुपयोग के देश में कई उदाहरण हैं. गुरुवार को लोकसभा में रिजीजू ने कुछ ऐसे केस की चर्चा की जो पहले भी मीडिया में जगह पा चुके हैं. रिजीजू ने बोहरा समाज के एक केस की चर्चा की. मुंबई में एक ट्रस्ट है उसने एशिया के लार्जेस्ट स्कीम को लॉन्च किया. किसी ने उस प्रॉपर्टी की वक्फ बोर्ड में शिकायत कर दी और वक्फ बोर्ड ने उसे नोटिफाई कर दिया. जो आदमी न उस शहर में है, न उस राज्य में है, वक्फ बोर्ड के माध्यम से एक प्रोजेक्ट को डिस्टर्ब कर दिया गया. तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली जिले में 1500 साल पुराने सुंदरेश्वर टेंपल का भी उदाहरण रिजीजू ने दिया. इस गांव का एक आदमी अपनी 1.2 एकड़ प्रॉपर्टी बेचने गया तो उसे बताया गया कि ये वक्फ की जमीन है. पूरे गांव को वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दिया गया है. इस तरह सूरत में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दिया गया. कर्नाटक माइनॉरिटी कमीशन की रिपोर्ट में 2012 में कहा था कि वक्फ बोर्ड ने 29 हजार एकड़ जमीन को कमर्शियल प्रॉपर्टी में कन्वर्ट कर दिया गया. जबकि सभी जानते हैं कि वक्फ बोर्ड की जमीन धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल की जा सकती है.
3-क्या महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल नहीं करना चाहिए
आज मुस्लिम देशों में महिलाएं प्रधानमंत्री बन रही हैं. भारत में भी मुस्लिम महिलाएं सांसद, विधायक, मंत्री और उपराष्ट्रपति तक बन चुकी हैं. पर वो वक्फ बोर्ड की मेंबर नहीं बन सकतीं हैं. क्या ये भारतीय संविधान का उल्लंघन नहीं हैं? क्या आप नहीं चाहेंगे कि मुस्लिम महिलाओं को भी बराबर का दर्जा मिले? नए बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की भूमिका में भी बदलाव किया गया है. इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व भी होगा. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा. केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा. एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के जरिए वक्फ के रजिस्ट्रेशन के तरीके को सुव्यवस्थित किया जाएगा.
नए बिल में आगाखानी और बोहरा वक्फ को परिभाषित किया गया है. इस विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड बनाए जाने का प्रस्ताव है. मसौदे में मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है.
4-क्या वक्फ बोर्ड प्रॉपर्टी कब्जाए हुए भ्रष्ट मुस्लिम नेताओं से बचाने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए
मुसलमानों ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर इस्लामी कानून के तहत वक्फ बनाया. इस्लामी धर्मगुरुओं का मानना है कि संपत्ति का उपयोग सिर्फ उन धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, जिनके लिए इसे हमारे पूर्वजों ने दान किया था.पर यहां तो गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए इतने भारी भरकम बोर्ड के पास पैसे ही नहीं हैं. क्योंकि ताकतवर मुसलमानों ने न केवल बोर्ड पर कब्जा जमाया हुआ है बल्कि वक्फ की जमीनों पर उन्हीं का कब्जा है.वक्फ वेलफेयर फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद कहते हैं कि नया बिल अगर ढंग से लागू हो सका तो माइनोरिटी को काफी फायदा होगा. जावेद कहते हैं कि तेलंगाना में 3 हजार करोड़ या इससे कुछ ज्यादा की प्रॉपर्टी पर ओवैसी का काम हो रहा है. ये प्रॉपर्टी वक्फ की है. एक्ट कहता है कि 30 सालों से ज्यादा वक्फ की दौलत लीज पर नहीं ली जा सकती. लेकिन इसे फॉलो नहीं किया जा रहा. साथ ही बदले में वक्फ को बहुत नॉमिनल किराया मिलता है, जबकि नियम से ये रेंट बाजार के हिसाब का होना चाहिए.
ओवैसी ही नहीं कई और मुस्लिम समाज में ताकतवर लोग हैं जो वक्फ की प्रॉपर्टी को सालों से लीज पर लिए हुए हैं. दिल्ली में जमात ए उलेमा हिंद के पास वक्फ की काफी संपत्ति है. लेकिन इसका कोई फायदा न बोर्ड को हो रहा है, न ही वंचित मुसलमाों को. इसी तरह से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष काजी समीर ने वक्फ की 275 एकड़ पर अतिक्रमण कर रखा है. ऐसे दो सौ नेता और संस्थान होंगे. जावेद कहते हैं कि अगर बिल आ गया तो पारदर्शिता आएगी.
5-वक्फ संपत्तियों का सर्वे अगर कलेक्टर करेंगे तो इसमें गलत क्या है
मूल अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नरों की नियुक्ति का प्रावधान है.लेकिन संशोधन विधेयक में कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर ही सर्वे कमिश्नर होगा. इससे नीचे पद वाले अधिकारी को जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती है.विऱोधी इसे धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बता रहे हैं. पर देश के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों की व्यवस्था भी कई जगहों पर सरकार के अधीन है. दूसरे इतनी बड़ी संपत्ति से कानून और व्यवस्था का सवाल भी खड़ा होता है.यह भी हो सकता है कि जिस जमीन का सर्वे वक्फ बोर्ड कर रही हो वह किसी दूसरे धर्म का शख्स उस पर हक जता रहा हो. इसलिए सही यही है कि सरकार का कोई अधिकारी यह सर्वे करे तो बेहतर . वह अधिकारी किसी भी धर्म का हो सकता है. कोर्ट के आदेश पर जब राम जन्म भूमि की जमीन का ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे हो रहा था केके मुहम्मद ने बड़ी भूमिका निभाई थी. किसी भी हिंदू ने यह मांग नहीं उठाई थी कि राम जन्म भूमि का सर्वे कोई हिंदू ही करे. वैसे भी सरकार मस्जिदों या मुस्लिम धर्म के किसी रीति रिवाज में हस्तक्षेप नहीं कर रही है.
संयम श्रीवास्तव