पीएम मोदी के बारे में क्या सोचते हैं अमित शाह और योगी आदित्यनाथ, उनके शुभकामना लेखों से समझिये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर आज सबसे विशेष बधाई गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रही. भारतीय जनता पार्टी में नरेंद्र मोदी के बाद सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेताओं में शुमार दोनों शख्सियतों ने प्रधानमंत्री को समर्पित एक लेख लिखा. आइये देखते हैं कि किस तरह इन दोनों नेताओं ने देश के सबसे लोकप्रिय नेता को शुभकामनाएं दी हैं.

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अमित शाह , नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यानाथ अमित शाह , नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यानाथ

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 17 सितंबर को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. दुनिया भर के लोग उनको बधाई संदेश भेज रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से लेकर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन तक ने मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. इसी तरह अपने देश में मोदी को हर क्षेत्र के लोग शुभकामनाएं भेज रहे हैं. राजनीति, फिल्म जगत , इंडस्ट्री ,बिजनेस सभी फील्ड के धुरंधर लोग पीएम को जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं. पर सबसे खास बधाई प्रधानमंत्री को दी है गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने. इन दोनों नेताओं ने अखबारों में लेख लिखकर मोदी के प्रति अपनी भावनाओं को उजागर किया है. राजनीतिक गलियारों में इन दोनों ही नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी का उत्‍तराधिकारी कहा जाता है. जाहिर है कि आम लोगों के दिलों में इस बात को लेकर जरूर जिज्ञासा होगी कि दोनों नेताओं ने हमारे प्रधानमंत्री के बारे क्या लिखा? दोनों लेख मोदी के नेतृत्व, व्यक्तित्व और भारत के लिए उनके योगदान की प्रशंसा करते हैं, लेकिन उनकी शैली, दृष्टिकोण और जोर देने वाले पहलू भिन्न हैं. 

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1- लेखों का शीर्षक और थीम में क्या है अंतर

अमित शाह ने जो लेख लिखा है उसकी हेडलाइन है  'सशक्त भारत के शिल्पकार मोदी'.  शीर्षक से साफ लगता है कि यह लेख मोदी को एक रचनात्मक और दूरदर्शी नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, जो भारत को आधुनिक और सशक्त बनाने का कार्य कर रहा है. शाह ने विश्वकर्मा जयंती के साथ मोदी के जन्मदिन के संयोग को प्रतीकात्मक रूप से जोड़ा, उन्हें भारत के बुनियादी ढांचे और विकास का शिल्पकार बताया है. लेख का जोर ठोस उपलब्धियों और संगठनात्मक प्रेरणा पर है.

दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ के लेख का शीर्षक है 'नरेंद्र मोदी: एक साधक और एक कर्मयोगी'. लेख के शीर्षक से ही लगता है कि लेखक मोदी को आध्यात्मिक और वैचारिक दृष्टिकोण से चित्रित करना चाहता है. योगी ने मोदी को एक साधक, कर्मयोगी और भारत की सामूहिक चेतना के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है. विश्वकर्मा जयंती को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदर्भ में जोड़ते हुए योगी ने मोदी को श्रेष्ठ भारत का शिल्पी बताया है. लेख का जोर राष्ट्रीय जागरण और दीर्घकालिक विजन पर है.

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2- लेख का दृष्टिकोण और शैली

अमित शाह का लेख पढ़ते हुए लगता है कि वे उनके व्यक्तिगत अनुभवों और संगठन में मोदी की भूमिकाओं के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं. उन्होंने राजकोट यात्रा का एक प्रसंग साझा किया, जिसमें मोदी ने कार्यकर्ताओं को पहले भोजन कराने के बाद ही खुद खाना खाया. यह व्यक्तिगत कहानी मोदी की संवेदनशीलता और कार्यकर्ताओं के प्रति उनके अपनत्व को दर्शाती है. शाह की शैली सरल, प्रेरणादायक और कार्यकर्ता-केंद्रित है, जो भाजपा के संगठनात्मक ढांचे से जुड़े लोगों को प्रेरित करती है. लेख में विश्वास, अपनापन और समर्पण को संगठन की आत्मा बताया गया, जो मोदी के नेतृत्व का मूलमंत्र है.

योगी आदित्यनाथ का लेख अधिक दार्शनिक और आध्यात्मिक है. उन्होंने मोदी के जीवन को संघर्ष, संकल्प और सिद्धि की यात्रा बताया, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पाठशाला से प्रेरित है. योगी ने मोदी को 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं-आकांक्षाओं का संवाहक और विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में चित्रित किया. जाहिर है कि लेख का अंदाज दार्शनिक शब्दावलियों से भरा हुआ है. लेख की शैली वैचारिक और प्रेरणादायक है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े व्यापक जनमानस को लक्षित करती है.

3- मोदी की छवि का चित्रण

अमित शाह ने मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में सामने लाया है जो हर कदम पर प्रेरक और संवेदनशील है. मोदी ने अपने शासन काल में ठोस उपलब्धियां हासिल की हैं उसके माध्यम से उन्होंने देश को सशक्त बनाया है. लेख में असम का सबसे लंबा पुल, कश्मीर का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे उदाहरणों का जिक्र है. शाह ने मोदी को नेशन फर्स्ट की भावना का प्रतीक बताया, जो कार्यकर्ताओं के लिए आदर्श है. उनका लेख व्यक्तिगत और व्यावहारिक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है.

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योगी आदित्यनाथ ने मोदी को एक साधक और कर्मयोगी के रूप में चित्रित किया. योगी ने मोदी के जीवन को भारत की सामूहिक चेतना का जागरण बताया है. उन्होंने मोदी के नेतृत्व को वैश्विक मंच पर भारत की नई पहचान और नए भारत की संकल्पना से जोड़ा है. योगी का लेख 2047 के विकसित भारत के विजन पर केंद्रित है, जिसमें मोदी को एक आध्यात्मिक और वैचारिक शिल्पकार के रूप में देखा गया है.

4- विश्वकर्मा जयंती औऱ मोदी के जन्मदिन को जोड़ने का प्रयास

अमित शाह और योगी आदित्यनाथ दोनों ही ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन को विश्वकर्मा जयंती से जोड़ा है. शाह ने विश्वकर्मा जयंती को प्रतीकात्मक रूप से इस्तेमाल किया, जिसमें मोदी को भारत के बुनियादी ढांचे और विकास का शिल्पकार बताया है. उनका जोर भौतिक उपलब्धियों पर रहा, जैसे पुल, रेल और डिजिटल क्रांति, जो विश्वकर्मा की रचनात्मकता से जोड़े गए.

योगी आदित्यनाथ ने विश्वकर्मा जयंती को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदर्भ में प्रस्तुत किया है. उन्होंने मोदी को सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के समकक्ष श्रेष्ठ भारत का शिल्पी बताया है. यह दृष्टिकोण भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा है.

5- उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण

अमित शाह का लेख प्रधानमंत्री की विशिष्ट और ठोस उपलब्धियों पर केंद्रित है. वे मोदी सरकार के कार्यों, जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट और डिजिटल क्रांति को सामने लाते हैं. उनका दृष्टिकोण विकास और आधुनिकीकरण के वे परिणाम जो सामने दिख रहे हैं पर जोर देता है.

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योगी आदित्यनाथ मोदी की उपलब्धियों को अधिक व्यापक और वैचारिक दृष्टिकोण की ओर ले गए हैं. उन्होंने अमूर्त विकास जैसे आत्मनिर्भरता, वैश्विक नेतृत्व और नए भारत की संकल्पना पर जोर दिया है. योगी का लेख बिना विशिष्ट परियोजनाओं के विस्तार से उल्लेख किए बिना मोदी के दीर्घकालिक विजन और राष्ट्रीय चेतना पर ध्यान केंद्रित करता है.

6- संवेदनशीलता बनाम वैचारिकता

अमित शाह का लेख संवेदनशील और व्यक्तिगत है, जो मोदी के मानवीय पक्ष को उजागर करता है. यह कार्यकर्ताओं के साथ उनके जुड़ाव और संगठनात्मक नेतृत्व पर जोर देता है.

योगी आदित्यनाथ का लेख वैचारिक और आध्यात्मिक है जो मोदी को एक दार्शनिक नेता के रूप में प्रस्तुत करता है. यह उनके नेतृत्व को राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ में सांस्कृतिक ढांचे से जोड़ता है.

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