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सेहत

Coronavirus second wave in India: कोरोना के अधिकतर मरीज कर रहे ये गलती, जान पर पड़ सकती है भारी

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर से पूरे देश में एक बार फिर से डर का माहौल बन गया है. नया स्ट्रेन ज्यादा आक्रामकता के साथ लोगों को अपना शिकार बना रहा है. कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचने के लिए कुछ लोग पेनकिलर्स और एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं भी ले रह हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस तरह बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेने से आपकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

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एक्सपर्ट की मानें तो अभी तक कोविड-19 का कोई इलाज मौजूद नहीं है. जिस इलाज की सलाह डॉक्टर्स मरीजों को दे रहे हैं वो सिर्फ और सिर्फ रिकवरी होने तक स्थिति को कंट्रोल रखने और लक्षणों को रोकने के लिए है. कोरोना के हल्के लक्षण दिखने पर सेल्फ आइसोलेशन में जाने से भी जोखिम को कम किया जा सकता है. सिर्फ बुजुर्ग या पहले से किसी बीमारी से ग्रसित लोगों को ही अस्पताल जाना चाहिए.

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पेनकिलर्स- सेल्फ आइसोलेशन में डॉक्टर की सलाह पर मरीज बुखार या सिरदर्द से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. आमतौर पर डॉक्टर्स कॉम्बिफ्लेम और फ्लेक्सॉन जैसी दवाओं की सिफारिश करते हैं जो पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन का ही एक कॉम्बिनेशन है. हालांकि, ये बात ध्यान में रखें कि पेनकिलर्स कोरोना से रिकवरी की अवधि को कम नहीं करते हैं और ना ही कोरोना संक्रमण से बचाते हैं, इससे बस कुछ लक्षणों में राहत पाई जा सकती है. लोगों को दवाओं के पैकेट या लेबेल पर छपे निर्देशों या डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही डोज लेनी चाहिए.

 

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कफ सिरप- कोरोना में खांसी से राहत पाने के लिए आप डॉक्टर्स की सलाह पर खांसी की दवा या कफ सिरप ले सकते हैं. ध्यान रखें कि अगर आपने पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन का कॉम्बिनेशन लिया है तो इसके ओवरडोज़ से नुकसान हो सकता है. इसके अलावा गले में खराश से राहत के लिए आप शहद और नींबू ले सकते हैं. हल्के गर्म पानी से गरारे कर सकते हैं.

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एंटीबायोटिक्स- एंटीबायोटिक दवाओं से कोरोना का इलाज करना सही नहीं है. एंटीबायोटिक्स कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर नहीं हैं. इसके अलावा एंटीबैक्टीरियल हैंड वॉशिज़ भी हाथ या सरफेस पर जमे वायरस को नष्ट करने में कारगर नहीं हैं. इसकी जगह 60 प्रतिशत एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर्स का ही प्रयोग करें.

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आयुर्वेदिक उपचार- कोरोना संक्रमण फैलने से बचने के लिए कुछ लोग बिना डॉक्टर्स की सलाह के आयुर्वेदिक या पारंपरिक दवाओं का भी इस्तेमाल करने लगते हैं. जबकि इन चीजों का अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसलिए ऐसी किसी भी चीज के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से राय जरूर लें.

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लहसुन, अदरक और हल्दी जैसे गुणकारी मसालों का उपयोग लंबे समय से बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है. लहसुन में मौजूद एलिसिन नाम का तत्व इम्यून सेल्स को रोगों से लड़ने की ताकत देता है. हालांकि WHO के मुताबिक, इस बात के कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं कि मौजूदा वायरस से लहसुन हमें बचा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अदरक, लहसुन का सेवन बहुत ज्यादा मात्रा में करने से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है, खासकर उन लोगों को जो ब्लड थिनर्स पर हैं.

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विटामिन-डी की मेगाडोज़- रेस्पिरेटरी इंफेक्शन होने पर विटामिन-डी के फायदे कई स्टडी में साबित हो चुके हैं. कई एक्सपर्ट्स ऐसा मानते हैं कि इम्यूनिटी को दुरुस्त रखने में विटामिन-डी का बड़ा अहम रोल होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका मेगाडोज़ हमारे लिए खतरनाक भी हो सकता है. 

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दरअसल, विटामिन-डी पानी की बजाए वसा में घुलनशील तत्व है. इसका मतलब ये हुआ कि यह यूरीन के रास्ते बाहर निकलने की बजाए बॉडी के फैटी टिशू में स्टोर हो जाता है. ये हमारे ब्लड कैल्शियम को भी रेगुलेट करता है, लेकिन इसका ज्यादा सेवन हाई ब्लड कैल्शियम की दिक्कत बढ़ाता है, जिससे किडनी स्टोन यानी पथरी भी हो सकती है.

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सोशल मीडिया में ऐसा दावा खूब किया जा रहा है कि गर्म पानी की भाप लेने से कोरोना वायरस का असर कम हो जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं है कि स्टीम लेना कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ असरदार है. यूनिसेफ एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इनहेलिंग वाटर वेपर और स्टीम के कई खराब परिणाम हो सकते हैं. इसके लगातार उपयोग से गले और फेफड़े से बीच की नली में टार्किया और फैरिंक्स जल सकते हैं या गंभीर रूप से डैमेज हो सकते हैं.

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हाइड्रेटेड रहना शरीर के स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण है. खासकर जब आपका शरीर कोरोना संक्रमण से जूझ रहा हो. इसलिए शरीर में पानी की कमी न होने दें और ऐसे फलों का सेवन करें जिनमें पानी और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है.

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ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस कोरोना महामारी के दौरान शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ भोजन की आदतें होना भी जरूरी है. ज्यादा कैलोरी वाले भोजन की जगह पर फाइबर से भरपूर भोजन का सेवन करें. फाइबर वाले फल और इनके जूस का सेवन करें. यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है.

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जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, सैचुरेटेड फैट और अधिक शुगर युक्त भोजन खाने से बचें. इस तरह की चीजें 'बॉडी इंडेक्स मास' (BMI) बढ़ाती हैं. पिछले साल भी कोरोना से मरने वाले कई मरीजों में BMI लेवल बहुत हाई था.

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वहीं, Worldometer के मुताबिक, देशभर में कोरोना संक्रमण के अब तक डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. भारत में अब तक 1 लाख 82 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

Photo: Reuters

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