कपिल सिब्बल के खिलाफ नहीं होगी अवमानना की कार्रवाई, अनुमति देने से AG का इनकार

सपा के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की ओर से सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान पर घमासान मच गया था. दो वकीलों ने अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी थी. अटॉर्नी जनरल ने इसके लिए अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा है कि ये न्यायिक प्रक्रिया के हित में ही है.

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कपिल सिब्बल (फाइल फोटो) कपिल सिब्बल (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट को लेकर ऐसा बयान दे दिया था, जिसे लेकर घमासान मच गया था. कपिल सिब्बल पर अवमानना की कार्यवाही की तलवार लटक रही थी. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के लिए राहत भरी खबर है.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. वकील विनीत जिंदल ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए सहमति मांगी थी. वकील विनीत जिंदल की ओर से कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए लिखे गए पत्र पर अटॉर्नी जनरल ने अनुमति देने से इनकार कर दिया.

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अटॉर्नी जनरल (AG) ने अपने जवाबी पत्र में कहा है कि समग्र रुप में कपिल सिब्बल की आलोचना न्यायिक प्रकिया के हित में ही है. उन्होंने ये भी कहा है कि कपिल सिब्बल की आलोचना से न्यायपालिका की गरिमा नहीं गिरती. अटॉर्नी जनरल की ओर से कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति देने से इनकार को सपा के राज्यसभा सांसद के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों कपिल सिब्बल एक सेमिनार में शामिल हुए थे. कपिल सिब्बल ने इस सेमिनार में कहा था कि 50 साल तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं. मुझे सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने आगे कहा था कि अगर आपको लगता है कि आपको सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलेगी, तो ये आपकी गलतफहमी है.

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अवमानना की कार्यवाही के लिए सहमति जरूरी

कपिल सिब्बल के इसी बयान पर घमासान मच गया था. दो वकीलों ने इसे लेकर अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर अवमानना की कार्यवाही के लिए उनकी सहमति मांगी थी. ऐसा इसलिए, क्योंकि न्यायालय की अवमानना कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसीटर जनरल की सहमति जरूरी है.

 

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