ऑटो सेक्टर को मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, मार्च 2020 तक BS-4 की खरीद मान्य

सीतारमण ने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति मार्च, 2020 तक कोई वाहन खरीदता है तो उसे चलाने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी. उसकी गाड़ी की मान्यता अपने समय तक वैध रहेगी. साथ ही उन्होंने इस बात का भी ऐलान किया कि वाहनों के रजिस्ट्रेशन फीस में जून, 2020 तक कोई इजाफा नहीं किया जाएगा.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ऑटो सेक्टर में सुधार के लिए बड़ी घोषणा की. उन्होंने बड़ी राहत देते हुए कहा कि मार्च, 2020 तक खरीदे जाने वाले बीएस-4 इंजन वाले वाहन के रजिस्ट्रेशन अपने समय तक मान्य रहेंगे, उन्हें लेकर कोई दिक्कत नहीं आएगी.

सीतारमण ने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति मार्च, 2020 तक कोई वाहन खरीदता है तो उसे चलाने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी. उसकी गाड़ी की मान्यता अपने समय तक वैध रहेगी. साथ ही उन्होंने इस बात का भी ऐलान किया कि वाहनों के रजिस्ट्रेशन फीस में जून, 2020 तक कोई इजाफा नहीं किया जाएगा.

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ऑटो सेक्टर में लगातार घट रही बिक्री को रोकने और कारों की खरीदारी में तेजी लाने के लिए वित्त मंत्री ने कई ऐलान किए. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वीइकल्स पर सरकार के जोर के कारण गाड़ियों के बंद होने की आशंका जताई जा रही थी, साथ ही कारों की बिक्री के कम होने की शिकायतें भी मिलीं थीं. सरकार इसमें सुधार के लिए कदम उठा रही है.

उन्होंने बताया कि सरकार वाहनों के लिए स्क्रैप पॉलिसी भी लाएगी. स्क्रैप पॉलिसी के आने से ऑटो सेक्टर को फायदा होने की उम्मीद है. दरअसल, स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने के कारण वाहन को एक सीमित समय तक ही चलाया जा सकेगा. यह समय 10-15 साल या कुछ और हो सकता है. इतने समय के बाद गाड़ी को चलाया नहीं जा सकेगा, इससे ऑटो सेक्टर में कारों की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

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मार्च 2020 तक खरीदी जाने वाली गाड़ियों पर डेप्रिसिएशन 30 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा. बता दें कि पीएमओ ने वित्त और भारी उद्योग मंत्रालय से इस बारे में आंकड़े मांगे थे. जिसके बाद से यह आशंका जताई जा रही थी कि सरकार ऑटो सेक्टर के लिए राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है.

ऑटो मैन्युफैक्चरर्स संगठन सियाम ने हाल ही में कहा था कि स्लोडाउन के कारण ऑटो कंपनियां अब तक करीब 20 हजार लोगों को नौकरी से निकाल चुकी हैं. वहीं, 13 लाख लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है.

बिक्री 6 फीसदी घटी

भारतीय वाहन उद्योग में साल-दर-साल आधार पर जुलाई में बिक्री में 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (एफएडीए) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने कुल 16,54,535 वाहनों की बिक्री हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में कुल 17,59,219 वाहनों की बिक्री हुई थी. आंकड़ों से पता चलता है कि यात्री वाहनों की बिक्री में साल-दर-साल आधार पर 11 फीसदी की गिरावट आई है.

घरेलू यात्री कारों की बिक्री में 36 फीसदी की गिरावट

घरेलू यात्री कारों की बिक्री में गिरावट जारी है. इस सेगमेंट में जुलाई में 35.95 फीसदी की गिरावट हुई है. उद्योग पर्यवेक्षकों के अनुसार, जीएसटी के कारण उच्च कीमत, कम मांग, पर्याप्त नकदी की कमी से खरीद में कमी आई है. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स (एसआईएएम) के अनुसार, घरेलू बाजार में यात्री कारों की बिक्री जुलाई 2018 में बेची गई 191,979 यूनिट से घटकर 122,956 यूनिट रह गई है.

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ऑटो सेक्टर की कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ने और उपभोग मांग में सुस्ती रहने के साथ-साथ बीएस-6 मानकों के अनुपालन को लेकर ऑटो उद्योग का उत्पादन और घटने की संभावना बनी हुई है, जिसके फलस्वरूप इस क्षेत्र में काम करने वालों पर बेरोजगार होने का खतरा बना हुआ है. ऐसे में बीएस-4 वाहनों को मार्च 2020 तक मान्य करने से कुछ राहत जरूर मिल सकती है. बता दें कि बीएस-4 मानक के बिना बिक्री के वाहनों के स्टॉक का प्रबंधन एक बड़ी समस्या बन गई है.

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