पंजाब: संगरूर उपचुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त AAP, हारी तो लोकसभा में होगी साफ

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बने अभी तीन महीने हो रहे हैं, और अब मुख्यमंत्री भगवंत मान का असल इम्तेहान उनके ही गृहक्षेत्र संगरूर के उपचुनाव में है. आम आदमी पार्टी अगर संगरूर सीट पर उपचुनाव नहीं जीत पाती है तो लोकसभा में पार्टी की संख्या जीरो हो जाएगी. संगरूर में आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए बीजेपी से लेकर कांग्रेस और अकाली दल ने दमदार प्रत्याशी उतारे हैं.

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भगवंत मान सिंह और अरविंद केजरीवाल भगवंत मान सिंह और अरविंद केजरीवाल

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2022,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST
  • संगरूर उपचुनाव में भगवंत मान की साख दांव पर
  • बीजेपी पहली बार संगरूर लोकसभा चुनाव लड़ रही

पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की साख दांव पर लगी है. सूबे में भगवंत मान सिंह की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पहला उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. आम आदमी पार्टी के हाथों से संगरूर सीट निकल जाती है तो लोकसभा में केजरीवाल की पार्टी शून्य पर आ जाएगी, क्योंकि भगवंत मान सिंह पंजाब की सत्ता संभालने से पहले AAP के इकलौते सांसद थे. 

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पंजाब में अपने राजनीतिक इतिहास में बीजेपी पहली बार संगरूर में लोकसभा का उपचुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने केवल ढिल्लों पर दांव लगाया है, जो कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए हैं. ढिल्लों ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और अब बीजेपी से मैदान में हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान की विरासत बचाने के लिए सरपंच गुरमेल सिंह को संगरूर लोकसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है. 

वहीं, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) की ओर से सिमरनजीत सिंह मान मैदान में हैं. कांग्रेस ने सीएम मान के हाथों धुरी से विधानसभा चुनाव हार चुके दलवीर सिंह गोल्डी को फिर से एक मौका और दिया है. शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर राजोआना को चुनाव मैदान में उतारा है.

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मुख्यमंत्री भगवंत मान को उनके गृहक्षेत्र में घेरने के लिए बीजेपी ने केवल ढिल्लों को उतारा है. साल 2019 ने चुनाव केवल ढिल्लों ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और 3.03 लाख वोट हासिल किए थे. वहीं, इसी चुनाव में अकाली दल की तरफ से परमिंदर सिंह ढींडसा चुनाव लड़े थे, जिन्हें उन्हें 2.63 लाख वोट पड़े थे. अकाली दल छोड़ कर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने वाले ढींडसा अब भाजपा के साथ हैं. इस तरह से बीजेपी इस क्षेत्र में मजबूत के साथ चुनावी मैदान में है.

बीजेपी ने केवल ढिल्लों पर दांव खेल कर भले ही संगरूर उपचुनाव का पारा चढ़ा दिया हो, लेकिन भगवंत मान 2019 के लोकसभा चुनावों में तब भी नहीं हारे थे, जब आम आदमी पार्टी सबसे कमजोर थी. आम आदमी पार्टी ने 2019 में 1 लाख से अधिक मतों के अंतर से संगरूर में जीत हासिल की थी. ऐसे में आम आदमी पार्टी की चिंता कांग्रेस और अकाली दल के नेता बने हैं. 

संगरूर लोकसभा उपचुनाव को पंजाब में एक समय सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए आसान माना जा रहा था, लेकिन प्रसिद्ध गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर भगवंत मान सरकार की आलोचना ने मुश्किल खड़ी कर दी है.

बहरहाल, मूसेवाला की हत्या का मुद्दा उपचुनाव में कैसे काम करेगा, फिलहाल यह कहना मुश्किल है. लेकिन एक बात साफ है कि एक वर्ग इसके कारण यदि आम आदमी पार्टी के खिलाफ वोट करता है, तो यह संगरूर में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है. ऐसे में देखना है कि आम आदमी पार्टी इस सीट को कैसे बरकरार रखती है और अगर विपक्षी चक्रव्यूह में फंसकर हारती है तो फिर लोकसभा में शून्य हो जाएगी? 

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