कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में शुरू हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का अब नाम बदलने जा रहा है. मोदी सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर अब 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी वीबी जी रामजी बिल करने की मंजूरी दी है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बिल को लोकसभा में पेश करेंगे. मोदी सरकार का दावा है कि यह नया कानून 'विकसित भारत 2047' के सपने को पूरा करने वाला एक आधुनिक ढांचा होगा. वहीं, विपक्ष ने इस बिल को स्थायी समिति को भेजने की मांग की है.
मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने और योजना का नाम बदले जाने को लेकर विपक्ष ने आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार का यह कदम ग्रामीण रोजगार योजना को कमजोर करने का प्रयास है. इसके साथ कांग्रेस ने कहा कि यह सिर्फ नाम बदलने की नहीं, बल्कि कांग्रेसी विरासत को खत्म करने की बीजेपी-संघ की साजिश है.
कांग्रेस सरकार में आया था मनरेगा
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मनरेगा कानून आया था. यूपीए सरकार ने 2005 में ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लागू किया था और 2009 में इसके नाम में महात्मा गांधी जोड़ा गया. यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है, जो ग्रामीण गरीबी कम करने, स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण रही है.
पिछले 20 सालों से मनरेगा ग्रामीण रोजगार की रीढ़ रही है. इसके जरिए साल में 100 दिन रोजगार देने की गारंटी थी, जिसके चलते गाँव में ही लोगों को काम मिल रहा था. अब मोदी सरकार मनरेगा का नाम ही नहीं बदलने जा रही है, बल्कि कई अन्य बदलाव भी किए हैं.
सरकार का तर्क है कि ग्रामीण भारत बदल गया है, गरीबी घटी है, डिजिटल पहुंच बढ़ी है, इसलिए नई, आधुनिक योजना की जरूरत है. विपक्ष इसे साजिश बता रहा है, क्योंकि कांग्रेस सरकार के दौर में यह कानून आया था और अब उसका नाम बदला जा रहा है.
कांग्रेस ने बताया संघ-बीजेपी की साजिश
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मनरेगा के नाम को बदलने के बारे में नहीं है. यह मनरेगा को खत्म करने की बीजेपी-आरएसएस की साजिश है. संघ की शताब्दी पर गांधी का नाम हटाना दिखाता है कि मोदी जी की तरह जो लोग विदेशी धरती पर बापू को फूल चढ़ाते हैं, वे कितने खोखले और पाखंडी हैं, जो सरकार गरीबों के अधिकारों से मुँह मोड़ती है और मनरेगा पर हमला करती है.
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने योजना का नाम बदलने के पीछे सरकार के इरादे पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या ऐसा करना जरूरी भी था. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है.
महात्मा गांधी को न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में सबसे महान नेता माना जाता है, तो उनका नाम हटाना मेरी समझ से परे है. इसका उद्देश्य क्या है, उनका इरादा क्या है? इस तरह प्रियंका गांधी ने बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़े किए और उन्होंने कांग्रेसी विरासत को खत्म करने की बात कही.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार मनरेगा का नाम बदलकर श्रेय लेना चाहती है. यह कदम इस योजना की उपेक्षा को छिपाने के लिए है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि यह सरकार योजनाओं और कानूनों का नाम बदलने में माहिर है.
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया और ग्रामीण LPG डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम का नाम बदलकर उज्ज्वला कर दिया… वे पैकेजिंग, ब्रांडिंग और नाम बदलने में एक्सपर्ट हैं.
कांग्रेसी विरासत को खत्म करने का प्लान?
जयराम रमेश ने कहा कि हैरानी की बात है कि वे (बीजेपी) पंडित जवाहर लाल नेहरू से नफ़रत करते हैं, वे महात्मा गांधी से भी नफ़रत करते हैं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 2005 से लागू है. अब इसका नाम बदलने जा रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस सरकार के द्वारा शुरू की गई पहली योजना का नाम नहीं बदला जा रहा है, पिछले 11 सालों में देश की तमाम योजनाओं के नाम बदल दिए गए हैं.
कांग्रेस ने अपनी वेबसाइट पर 32 योजनाओं की एक लिस्ट डाली है, जिसके अनुसार, उसकी सरकारों ने 1975 और 2013 के बीच इन योजनाओं को शुरू किया था, लेकिन मोदी सरकार ने उनका नाम बदल दिया. पूर्व पीएम राजीव गांधी ने 1985 में ग्रामीण आवास योजना को इंदिरा आवास योजना के नाम से शुरू किया था, जिसे अप्रैल 2016 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के रूप में पुनर्गठित किया था.
यूपीए सरकार ने दिसंबर 2005 में सात साल के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JNNURM) लॉन्च किया, जिसे बाद में 31 मार्च 2014 तक कुछ और सालों के लिए बढ़ा दिया गया था. सरकार ने 25 जून, 2015 को इसकी जगह अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन या AMRUT लाया, जिसका फोकस बुनियादी शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर था.
ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाने के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 2005 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की थी, जिसे 2015 में मोदी सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में शामिल कर लिया. इसके अलावा देश की योजनाएँ ही नहीं, बल्कि कई प्रोजेक्ट और सड़कों के नाम बदले गए हैं. यही वजह है कि अब जब मनरेगा का नाम बदला जा रहा है, तो कांग्रेस उसे कांग्रेसी विरासत को खत्म करने की साजिश बता रही है.
मोदी सरकार में नाम बदलने का पैटर्न
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से नाम बदलने का एक पैटर्न दिख रहा है. पहला, नाम बदलना आम तौर पर हिंदी में होता है, जो बीजेपी की बड़ी सांस्कृतिक राजनीति का हिस्सा है. प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलकर सेवा तीर्थ और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज भवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक भवन और लोक निवास कर दिया गया.
मोदी सरकार ने सितंबर 2022 में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक की मशहूर मार्ग राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था. इससे पहले पीएम आवास के सामने से गुजरने वाली रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया था. साथ ही कई मंत्रालय के नाम भी बदल गए हैं, जिसमें केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय का नाम बदलकर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय कर दिया गया. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय बन गया.
मोदी सरकार का प्लान क्या है?
मोदी सरकार का कानूनों, योजनाओं, प्रोजेक्ट्स और मंत्रालयों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में सरकार ने मनरेगा की जगह 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी VB-G RAM G (वीबी जी रामजी) बिल तैयार किया है.
सरकार का दावा है कि यह नया कानून 'विकसित भारत 2047' के सपने को पूरा करने वाला एक आधुनिक ढांचा होगा. इसमें काम के दिन बढ़ाए गए हैं, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल है और खेती के सीजन का विशेष ध्यान रखा गया है.
मोदी सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य 'विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है, जिसके तहत अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को हर वित्त वर्ष में 125 दिन के रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी. इसका लक्ष्य सशक्तीकरण एवं विकास को बढ़ावा देकर समृद्ध और सक्षम ग्रामीण भारत का निर्माण करना है.
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मनरेगा ने पिछले 20 साल से अधिक समय तक ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी दी है. ग्रामीण इलाकों में सामाजिक-आर्थिक बदलाव आया है, उसे देखते हुए इसे और मजबूत करना जरूरी हो गया है. सरकार का तर्क है कि पिछले 20 सालों में गांवों के हालात बदले हैं, इसलिए कानून भी बदलना जरूरी है.
कुबूल अहमद