G7 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज से PM मोदी इटली के दौरे पर होंगे, जानिए क्या है इस समिट का एजेंडा, बाइडेन-ट्रूडो समेत ये नेता होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज G7 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली जाएंगे. इस समिट में सात सदस्य देशों के नेता और यूरोपीय काउंसिल के प्रेसिडेंट और यूरोपियन यूनियन का प्रतिनिधित्व करने वाले यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष एक साथ एक मंच पर इकट्ठा होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी समिट का हिस्सा बनेंगे.

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जी7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में भीषण युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाए रहने की संभावना है. जी7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में भीषण युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाए रहने की संभावना है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वार्षिक जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली जाएंगे. इस समिट में होने के लिए भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है. विदेश मंत्रालय का कहना था कि भारत और ग्‍लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर समिट में वैश्विक नेताओं के साथ जुड़ने का एक बेहतर अवसर होगा. इस शिखर सम्मेलन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी. पीएम मोदी आउटरीच सेशन में शामिल होंगे. सम्मेलन से इतर पीएम मोदी की जी7 देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है.

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पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे.इस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी शामिल होंगे. पीएम मोदी 13 जून को इटली के लिए रवाना होंगे और 14 जून की देर रात वापस लौटेंगे. लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मोदी की यह पहली विदेश यात्रा होगी. मोदी के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विनय क्वात्रा और एनएसए अजीत डोभाल शामिल होने की संभावना है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति युद्ध के बारे में देंगे जानकारी

50वां जी7 शिखर सम्मेलन 13 से 15 जून तक इटली के अपुलिया क्षेत्र में बोर्गो इग्नाजिया के रिसॉर्ट में आयोजित होने जा रहा है. इसमें यूक्रेन में भीषण युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाए रहने की संभावना है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भी अपने देश पर रूसी आक्रमण पर एक सेशन को संबोधित करेंगे. यूक्रेन संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा का कहना था कि हमने हमेशा कहा है कि बातचीत और कूटनीति इसे हल करने का सबसे अच्छा विकल्प है. विदेश सचिव ने कहा कि जी7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए नई दिल्ली के प्रयासों की बढ़ती मान्यता की ओर इशारा करती है.

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, स्विट्जरलैंड में होने वाले यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में भारत उचित स्तर पर हिस्सा लेगा. हालांकि, क्वात्रा ने यह नहीं बताया कि शांति शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा. मोदी ने पिछले साल मई में हिरोशिमा में पिछले जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था. 

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क्या ट्रूडो से मिलेंगे मोदी?

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है. इस बीच, G7 समिट में भारत और कनाडा दोनों देशों के प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे. दोनों की मुलाकात को लेकर पुष्टि नहीं हो सकी है. विदेश सचिव क्वात्रा ने पीएम मोदी की क्वात्रा ने इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं बताया है. क्वात्रा का कहना था कि भारत विरोधी तत्वों को जिस तरह से कनाडा में राजनीतिक स्थान मिलता है, आज वही सबसे बड़ा मुद्दा है. यह भारत के लिए काफी चिंता का विषय है. कई बार कनाडा सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाया जा चुका है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए कनाडा सरकार उचित कार्रवाई करेगी.

क्या है G7?

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G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं. इटली वर्तमान में G7 (सात देशों का समूह) की अध्यक्षता संभाल रहा है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. जी-7 सदस्य देश वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. अपनी परंपरा के अनुरूप अध्यक्षता करने वाले मेजबान देश द्वारा कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है. इससे पहले 1997 और 2013 के बीच रूस को शामिल किए जाने से इसका जी8 के तौर पर विस्तार हुआ था. हालांकि, क्रीमिया पर कब्जे के बाद 2014 में रूस की सदस्यता सस्पेंड कर दी गई थी. 

आर्थिक मुद्दों पर अपने शुरुआती फोकस से जी-7 धीरे-धीरे शांति और सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समेत प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर समाधान और सर्वमान्य मत खोजने के लिए विचार का एक मंच बन गया है. 2003 से गैर-सदस्य देशों (एशिया और अफ्रीका के पारंपरिक रूप से विकासशील देश) को 'आउटरीच' सेशन में आमंत्रित किया गया है. जी-7 ने इसके साथ सरकार और तंत्र से अलग गैर-सरकारी हितधारकों के साथ भी बातचीत को बढ़ावा दिया, जिससे व्यापार, नागरिक समाज, श्रम, विज्ञान और शिक्षा, थिंक-टैंक, महिलाओं के अधिकारों और युवाओं से संबंधित मुद्दों पर कई सहभागिता समूहों का निर्माण हुआ है. वे जी-7 के अध्यक्ष देश को अपनी अनुशंसा प्रदान करते हैं.

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इस बार क्या एजेंडा है?

1 जनवरी 2024 को इटली सातवीं बार जी-7 का अध्यक्ष बना है. 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में दो सत्र होंगे. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जलवायु परिवर्तन और सप्लाई चेन जैसी कुछ नई महत्वपूर्ण चुनौतियों के अलावा यूक्रेन और मध्य पूर्व में युद्ध का मुद्दा छाए रहने की संभावना है. इटली के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के आक्रामक युद्ध ने उसके सिद्धांतों को कमजोर कर दिया है और बढ़ती अस्थिरता को जन्म दिया है, जिससे दुनियाभर में कई संकट सामने आ रहे हैं. जी7 मध्य-पूर्व में संघर्ष को वैश्विक एजेंडे पर इसके परिणामों के साथ समान महत्व देगा. G7 नेता अन्य विषयों के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर एक सत्र के लिए परम पावन पोप फ्रांसिस के साथ शामिल होंगे. 

जी-7 शिखर सम्मेलन की परंपरा के अनुरूप आउटरीच सेशन में इटली ने कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी आमंत्रित किया है. भारत के अलावा अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत-प्रशांत क्षेत्र के 11 विकासशील देशों के नेताओं को न्योता भेजा गया है. इनमें इटली ने इंडिया के अलावा ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, मिस्र, केन्या, मॉरिटानिया, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया और संयुक्त राष्ट्र का नाम शामिल है. हालांकि, यूरोपीय संघ G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन यह वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेता है. जी-7 शिखर सम्मेलन के इस आउटरीच सेशन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की 5वीं सहभागिता होगी.

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जी-7 शिखर सम्मेलन में फोकस में रहने वाले यह मुद्दे होंगे...

- इंडो-पैसिफिक
- अफ्रीका
- जलवायु परिवर्तन
- पर्यावरण
- शरणार्थी समस्या (माइग्रेशन)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)

G7 का क्या इतिहास रहा है?

जी-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका ने पहले तेल संकट के बाद 1975 में फ्रांस में जी-6 के रूप में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया था. कनाडा इस समूह में अगले वर्ष शामिल हुआ. 2010-2014 तक रूस समूह का सदस्य था और तब इसे जी-8 कहा जाता था. जी-7 की बैठक वार्षिक होती है जिसमें इन राष्ट्रों के नेता हर साल मिलते हैं. समूह की वार्षिक अध्यक्षता सात देशों के बीच बारी-बारी से एक सदस्य देश को सौंपी जाती है. जी-7 एक चार्टर और सचिवालय वाली कोई औपचारिक संस्था नहीं है. जिस सदस्य राष्ट्र के पास अध्यक्षता होती है उसी पर शिखर सम्मेलन के उस वर्ष का एजेंडा तय करने की जिम्मेदारी भी होती है. 

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अब तक भारत ने G7 समिट में कब-कब हिस्सा लिया?

भारत ने अब तक 10 जी-7 शिखर सम्मेलन आउटरीच सेशन में हिस्सा लिया है. 2003 में फ्रांस, 2005 में यूके, 2006 में रूस, 2007 में जर्मनी, 2008 में जापान, 2009 में इटली, 2019 में फ्रांस, 2021 में यूके, जर्मनी में 2022 और जापान में 2023 हिस्सा लिया है. भारत की ओर से सभी भागीदारी प्रधानमंत्री के स्तर पर रही है. 

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जी-7 में भारत का बढ़ता महत्व क्या संदेश देता है?

- पिछले कुछ वर्षों में भारत को नियमित रूप से जी-7शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में आमंत्रित किया गया है.
- आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसकी अर्थव्यवस्था जी-7 के तीन सदस्य देशों- फ्रांस, इटली और कनाडा से भी बड़ी है.
- भारत ने हाल ही में अपनी जी-20 अध्यक्षता संपन्न की है और भारत ग्लोबल साउथ की एक मजबूत आवाज बन चुका है.
- भारत ने पिछले जी-7 शिखर सम्मेलन में की गई अपनी भागीदारी में हमेशा ग्लोबल साउथ के मुद्दों को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया है.
- प्रधानमंत्री ने 2023 में हिरोशिमा में अपने चौथे जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के दौरान तीन पूर्ण (प्लेनरी) सत्रों में भारत का पक्ष रखा था. पहला सत्र 'वर्किंग टुगेदर टु एड्रेस मल्टिपल क्राइसिस' विषय पर था, जिसे भोजन, स्वास्थ्य, विकास और लिंग पर केंद्रित किया गया था. दूसरा सत्र 'कॉमन एंडेवर फॉर रिजिल्यंट एंड सस्टेनेबल प्लैनट' विषय पर आधारित था जिसे जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण पर केंद्रित किया गया था. तीसरा सत्र 'टुवर्ड्स ए पीसफुल, स्टेबल एंड प्रॉस्पेरस वर्ल्ड' विषय पर आधारित था.
-आमंत्रित भागीदार देशों के साथ मिलकर 'हिरोशिमा एक्शन प्लान फॉर रिजिल्यंट ग्लोबल फूड सिक्योरिटी' विषय पर एक संयुक्त दस्तावेज (जॉइंट आउटकम डॉक्यूमेंट) अपनाया गया. विश्व के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों और प्रथाओं पर अन्य संदर्भों के बीच भारत की कुछ प्रमुख वैश्विक पहलों जैसे लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट (लाइफ-एलआईएफई), इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स (वैश्विक बाजरा वर्ष), मिलेट्स एंड अदर एंशियंट ग्रेंस इंटरनेशनल रिसर्च इनीशिएटिव (महाऋृषि -एमएएचएआरआईएसएचआई) को इस आउटकम दस्तावेज में उल्लेख मिला था.
- 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम की भागीदारी के साथ ही इसमें समिट के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें भी शामिल हैं.

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बाइडेन और मोदी की मुलाकात संभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात कर सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने कहा, यहां उनकी (बाइडेन) और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात संभव है. हालांकि औपचारिक पुष्टि भारतीय करेगा. उम्मीद है कि दोनों को एक-दूसरे से मिलने का अवसर मिलेगा. कार्यक्रम का अधिकांश हिस्सा अस्थिर है. सुलिवन ने कहा, जब वे पेरिस में थे तब बाइडेन ने मोदी से फोन पर बात की और उन्हें चुनाव परिणाम और तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी थी.

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आज बाइडेन की जेलेंस्की से मुलाकात

फिलहाल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार रात इटली पहुंच गए हैं. गुरुवार को बाइडेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच बैठक होने की संभावना है. दोनों नेता यूक्रेन के लिए एक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. सुलिवन ने कहा, बाइडेन और जेलेंस्की भविष्य में यूक्रेन के लिए अमेरिका के मजबूत समर्थन पर चर्चा करने के लिए बैठेंगे. दोनों नेता द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे जिसमें उल्लेख किया जाएगा कि यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन लंबे समय तक रहेगा और विशेष रूप से रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने का वादा किया जाएगा. उन्होंने कहा, हम यूक्रेन के साथ खड़े हैं और हम ना सिर्फ कल, बल्कि भविष्य में भी उनकी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद करना जारी रखेंगे.

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(इनपुट मिलन शर्मा)

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