राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में पराली के कारण बढ़ते वायु प्रदूषण पर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ अहम बैठक की. इस दौरान एनएचआरसी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर की AQI को लेकर किसानों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. इस हालात के लिए चारों राज्य सरकारों ही जिम्मेदार हैं.
आयोग ने कहा कि किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं लेकिन ऐसा वे सरकार की विफलता के कारण कर रहे हैं. एनएचआरसी ने कहा कि किसी राज्य सरकार ने पराली जालने की समस्या को कम करने के लिए कोई ठोक उपाय नहीं किए, जिस वजह से भी दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खराब हो गई.
4 दिन में जमा करनी है ऐक्शन रिपोर्ट, अब 18 को बैठक
NHRC ने इससे पहले 4 नवंबर को यूपी, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों के साथ बैठक की थी. इस दौरान उसने सभी मुख्य सचिवों से पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी थी. इसके अलावा उन्हें स्मॉग टावरों और एंटी-स्मॉग गन के प्रभाव पर रिपोर्ट भी देने के लिए कहा था. पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को विशेष रूप से पराली के इन-सीटू प्रबंधन के प्रभाव के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था.
इसके बाद आयोग ने 10 नवंबर को फिर से इन्हीं अधिकारियों के साथ बैठक की थीं. तब उसने कहा गया कि पराली जलाने के लिए ये राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं न कि ये किसान. आयोग ने अब इसने अधिकारियों को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की जांच के लिए उठाए गए कदमों पर विशिष्ट रिपोर्ट दर्ज करने के लिए चार दिन का वक्त दिया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.
सर्दी आते ही बिगड़ने लगती है दिल्ली-NCR की हवा
दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता सर्दी आते ही खराब होने लगी है. पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं. राज्य सरकारों, विशेष रूप से अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए निर्माण और तोड़फोड़ पर रोक लगाने और पेट्रोल-डीजल वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित करने जैसे कई कदम उठाने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है क्योंकि पराली जलाना एक समस्या बनी हुई है. यह बारहमासी समस्या हो गई है.
अमित भारद्वाज