पेन किलर, बुखार, हार्ट डिजीज... 1 अप्रैल से महंगी हो जाएंगी 800 से ज्यादा दवाएं

अगले महीने से जरूरी दवाएं महंगी हो जाएंगी. इन दवाओं की कीमतें 12 फीसदी से ज्यादा बढ़ जाएंगी. जिन दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी, वो बुखार, स्किन डिसीज, हार्ट डिसीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के इलाज यूज होती हैं.

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लगातार दूसरी साल जरूरी दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. (प्रतीकात्मक तस्वीरः गेटी इमेजेस) लगातार दूसरी साल जरूरी दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. (प्रतीकात्मक तस्वीरः गेटी इमेजेस)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST

एक अप्रैल 2023. इस तारीख से जरूरी दवाओं की कीमत बढ़ जाएगी. पेनकिलर, एंटी-बायोटिक, एंटी-इन्फेक्टिव और कार्डिएक की दवाएं महंगी हो जाएंगी. इनकी कीमत एक अप्रैल से 12 फीसदी तक बढ़ जाएगी.

दवाओं की कीमतें घटाने-बढ़ाने का काम ने नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) करती है. पिछली साल NPPA ने दवाओं की कीमतों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. हर साल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर NPPA दवाओं की कीमतों में बदलाव करती है. 

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ये कीमतें लिस्टेड दवाओं की है, जिनकी कीमत NPPA तय करती है. गैर-लिस्टेड दवाओं की कीमतें इससे बाहर होतीं हैं और उनमें हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी होती है. ये लगातार दूसरा साल है जब लिस्टेड दवाओं की कीमतें गैर-लिस्टेड दवाओं के मुकाबले ज्यादा बढ़ीं हैं. लिस्टेड दवाएं जरूरी दवाओं की लिस्ट में होतीं हैं.

इसके मायने क्या?

WPI के आधार पर हर साल NPPA दवाओं की कीमतों में बदलाव करती है और इसे फार्मा कंपनियां लागू करतीं हैं. इस फैसले का असर 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं और मेडिकल डिवाइसेस पर पड़ेगा. इससे दवाओं की कीमतें 12.12 फीसदी बढ़ जाएंगी.

दिल्ली की वसुंधरा एन्क्लेव सोसायटी में रहने वाले प्रताप शर्मा ने कहा, 'कीमतें बढ़ने का असर सभी पर पड़ेगा. जो लोग ज्यादा दवाएं लेते हैं, उनपर इसका सबसे बुरा असर पड़ेगा. लेकिन अब लोगों के पास पहले से ज्यादा ऑप्शन हैं.'

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क्या बदल रहा है दवा खरीदने का तरीका?

क्या दवा खरीदने वालों के पास कोई ऑप्शन है और वो इनका चुनाव कर रहे हैं? इस बारे में साउथ दिल्ली के जीके-1 के केमिस्ट कमल जैन कहते हैं, जो डॉक्टर बताते हैं, लोग वही दवाएं खरीदते हैं. उनके लिए फिर कीमत कोई मायने नहीं रखती. लेकिन कुछ इलाकों में लोग अपने बजट के हिसाब से उसी दवा का सस्ता वैरिएंट मांगते हैं.

रिटायर्ड प्रोफेशनल प्रताप शर्मा कहते हैं कि लोगों के पास आज कई सारे ऑप्शन हैं. जेनेरिक दवाएं बहुत सस्ती होतीं हैं. कुछ जेनेरिक दवाएं तो ब्रांडेड दवाओं से 90 फीसदी तक सस्ती होती हैं.

भिलाई के केमिस्ट राजेश गौर ने बताया कि आमतौर पर डॉक्टरों की पर्चे पर बेचे जाने वाली दवाओं के खरीद पैटर्न में कोई बदलाव नहीं आएगा. हालांकि, इससे जेनेरिक दवाओं की बिक्री भी बढ़ सकती है.

बढ़ क्यों रही है कीमत?

NPPA का ये फैसला भले ही खरीदारों की जेब काटने वाला हो, लेकिन इससे दवा कंपनियों को बड़ी राहत मिली है.

भिलाई के केमिस्ट राजेश गौर ने बताया, 1 अप्रैल से इन दवाओं की कीमत कच्चे माल की कीमत बढ़ने की वजह से बढ़ाई गई हैं, क्योंकि ये विदेश से आता है. कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है, इसलिए सरकार को भी मजबूरन कीमतें बढ़ानी पड़ीं.

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हाल ही ही में दवाओं के कच्चे माल या एक्टिव फार्मास्यूटिक इंग्रेडिएंट्स (API) की कीमतों में भारी उछाल आया है. सिर्फ एपीआई ही नहीं, बल्कि इनकी पैकेजिंग और किराये की कीमत भी बढ़ी हैं.

जिन दवाओं की कीमत बढ़ी है, उनका इस्तेमाल बुखार, इन्फेक्शन, हार्ट डिसीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्किन डिसीज और एनिमिया जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है.

फैसले का असर किस पर पड़ेगा?

जयपुर के केमिस्ट महेंद्र सिंह ने बताया, सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हम जेनेरिक दवाएं बेचेंगे. कीमतें बढ़ने का असर उन पर सबसे ज्यादा पड़ेगा जो हर महीने 5 से 10 हजार रुपये की दवाएं खरीदते हैं.

केमिस्ट का कहना है कि ज्यादातर लोग वही दवाएं खरीदते हैं जो डॉक्टर बताते हैं. उनका सुझाव है कि लोगों को राहत देने के लिए डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखना चाहिए. रायपुर में केमिस्ट की दुकान चलाने वाले मनोहर लाल कहते हैं, आमतौर पर लोग डॉक्टरों की प्रिस्क्राइब दवाएं ही खरीदते हैं. अगर डॉक्टर जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करेंगे तो ये लोगों के फायदे का सौदा होगा.

दिल्ली के प्रताप शर्मा का कहना है कि ग्राहकों को सबसे बड़ी राहत तब मिलेगी जब सरकार मैनुफैक्चरर्स की कीमतों पर कैप लगा देगी. उन्होंने कहा, रिटेलर्स 10 फीसदी का डिस्काउंट देते हैं, लेकिन मैनुफैक्चरर्स पैसा कमाते हैं. सरकार पहले ही स्टेंट जैसी मेडिकल डिवाइस की कीमतों पर कैप लगा चुकी है. और अब मैनुफैक्चरर्स की कीमतों पर कैप लगाने की जरूरत है.

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(इनपुटः धर्मेंद्र शर्मा, योगेश पांडे, विशाल शर्मा, इजहार हसन खान, सत्यम मिश्रा, महेंद्र नामदेव)

 

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