अहमदाबाद प्लेन क्रैश: पायलट सुमित सभरवाल पर कोई आरोप नहीं, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला कैप्टन सभरवाल के पिता पुष्कराज सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा कि एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन बोर्ड (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी पर भी दोषारोपण नहीं किया गया है.

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अहमदाबाद में क्रैश हुए विमान का संचालन कैप्टन सुमित सभरवाल कर रहे थे.  (File Photo: ITG) अहमदाबाद में क्रैश हुए विमान का संचालन कैप्टन सुमित सभरवाल कर रहे थे. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:00 PM IST

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अहमदाबाद विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में मृत पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल को किसी भी तरह से दोषी नहीं ठहराया गया है. यह हादसा 12 जून को हुआ था, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी. सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा कि एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन बोर्ड (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी पर भी दोषारोपण नहीं किया गया है.

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यह जांच अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के दिशा-निर्देशों के तहत की जा रही है और इसमें विदेशी प्रतिनिधि भी शामिल हैं, क्योंकि कुछ विदेशी नागरिक भी इस हादसे में मारे गए थे.

एयर इंडिया की बोइंग 787-8 फ्लाइट (AI171) अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी. इस विमान का संचालन कैप्टन सुमित सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर कर रहे थे. टेकऑफ के कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हादसे में विमान में सवार 241 यात्री और 12 क्रू मेंबर सहित कुल 260 लोगों की मौत हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला कैप्टन सभरवाल के पिता पुष्कराज सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. याचिका में मांग की गई है कि हादसे की जांच किसी पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में स्वतंत्र रूप से की जाए.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत जांच प्रक्रिया तय है और प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी पर दोष नहीं लगाया गया है. उन्होंने कहा, “मैं पिता की भावनाओं को समझता हूं, लेकिन अंतरिम रिपोर्ट में किसी पर कोई आरोप नहीं है.”

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि AAIB की जांच का उद्देश्य किसी को दोष देना नहीं, बल्कि दुर्घटना के कारणों की पहचान करना है ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा न हों.

वहीं, एनजीओ ‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि इतने बड़े पैमाने की दुर्घटना में केवल AAIB की जांच पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि “यह बहुत गंभीर मामला है. बोइंग 787 विमानों में कई सिस्टम फेलियर देखे गए हैं और यात्रियों की सुरक्षा के लिए इन्हें तत्काल ग्राउंड किया जाना चाहिए.”

कैप्टन सभरवाल के पिता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि सरकार ने जांच के लिए जो व्यवस्था बताई है, उसका सही पालन नहीं किया गया. उन्होंने अदालत से केंद्र को जवाब दाखिल करने का निर्देश देने की मांग की. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है.

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जानकारी के अनुसार, याचिका में यह भी कहा गया है कि AAIB की 12 जुलाई को जारी प्रारंभिक रिपोर्ट ने यह संकेत दिया कि फ्यूल कटऑफ स्विच गलती से रन से कटऑफ पर कर दिया गया था, जिससे पायलट त्रुटि का आभास हुआ. हालांकि, केंद्र ने अब साफ किया है कि रिपोर्ट में किसी पर भी औपचारिक रूप से दोष नहीं ठहराया गया है.

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