CAA प्रोटेस्ट: सुप्रीम कोर्ट का UP सरकार को आदेश, वापस करें रिकवरी के तहत वसूला गया पैसा

CAA कानून के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट और तोड़फोड़ पर यूपी सरकार का सख्त एक्शन काफी चर्चा में रहा था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से रिकवर किए गए पैसे को वापस लौटाने को यूपी सरकार से कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी की संपत्ति को कुर्क करने के लिए कार्रवाई करने में खुद एक "शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक" की तरह काम किया है.

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नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST
  • कोर्ट ने कहा था- वसूली नोटिस वापस लें
  • यूपी सरकार को अदालत से आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी प्रशासन को सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए वसूली नोटिस के माध्यम से की गई सभी वसूली को वापस करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा- जब नोटिस वापस ले लिए गए हैं तो तय प्रक्रिया का पालन करना होगा. यदि कुर्की कानून के विरुद्ध की गई है और आदेश वापस ले लिया गया है, तो कुर्की को कैसे चलने दिया जा सकता है?

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वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान के लिए 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शुरू की गई 274 वसूली नोटिस और कार्यवाही को वापस ले लिया है.

'लगेगा प्रशासन द्वारा की गई पूरी प्रक्रिया अवैध थी'

इधर, यूपी राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से वसूली की वापसी का आदेश नहीं लेने का आग्रह किया है क्योंकि यह राशि करोड़ों रुपये में चली गई और यह दिखाएगा कि प्रशासन द्वारा की गई पूरी प्रक्रिया अवैध थी. पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार को रिफंड का निर्देश देने के बजाय क्लेम ट्रिब्युनल में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

अदालत परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यूपी में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (सीएए) आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी.  

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'मरे हुए लोगों को भेजे गए नोटिस'

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के नोटिस एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ "मनमाने तरीके" से भेजे गए हैं, जिनकी छह साल पहले 94 साल की उम्र में मौत हो गई थी और साथ ही 90 साल से अधिक उम्र के दो लोगों सहित कई अन्य लोगों को भी भेजा गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी यूपी सरकार को फटकार

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ साल 2019 में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यूपी सरकार ने हर्जाना वसूली के लिए नोटिस जारी किया था. वहीं हाल में इसे लेकर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी. यूपी सरकार के रवैये से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को भेजे गए वसूली नोटिस राज्य शासन वापस ले, वरना हम इसे रद्द कर देंगे.

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी की संपत्ति को कुर्क करने के लिए कार्रवाई करने में खुद एक "शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक" की तरह काम किया है. लिहाजा वो ये कार्रवाई वापस ले या हम इस अदालत की ओर से निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए इसे रद्द कर देंगे.

 

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