50% अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त हैं आंध्र प्रदेश के एक्वा किसान, सरकार से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग

मौसम की चुनौतियां, सीड क्वालिटी में उतार-चढ़ाव और घटते मुनाफे ने आंध्र प्रदेश की एक्वा इंडस्ट्री को मुश्किल मोड़ पर ला खड़ा किया है. यह सेक्टर लाखों लोगों की जिंदगी से जुड़ा है. किसान और निर्यातक साफ कह रहे हैं कि अगर सरकार ने तुरंत राहत और नए बाजार खोजने की रणनीति नहीं अपनाई, तो यह नुकसान अप्रतिवर्तनीय (irreversible) हो सकता है.

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50% अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त आंध्र प्रदेश के एक्वा किसान (प्रतीकात्मक फोटो) 50% अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त आंध्र प्रदेश के एक्वा किसान (प्रतीकात्मक फोटो)

अपूर्वा जयचंद्रन

  • भीमावरम/कैकलूरु/प्रकाशम,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

आंध्र प्रदेश का एक्वा फार्मिंग सेक्टर जो तटीय जिलों में लाखों लोगों की आजीविका का सहारा है, अमेरिका की तरफ से भारतीय झींगा (श्रिम्प) आयात पर लगाए गए 50% टैरिफ (शुल्क) से बुरी तरह प्रभावित हो गया है. यह नया नियम 27 अगस्त 2025 से लागू होगा. किसान, निर्यातक और राज्य के नेता एकजुट होकर राज्य और केंद्र सरकार से तुरंत राहत देने की मांग कर रहे हैं.

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मंगलवार को केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने भीमावरम में बीजेपी जिला कार्यालय पर एक्वा किसानों से मुलाकात की. किसानों ने उन्हें गिरते झींगा दाम, बढ़ते फीड कॉस्ट और सब्सिडी वाले बिजली की तत्काल जरूरत बताते हुए शिकायतें सुनाईं.

मंत्री ने दिया आश्वासन

मंत्री श्रीन‍िवास वर्मा ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भारत की आर्थिक प्रगति को व्यापारिक पाबंदियों के जरिए नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 50% इंपोर्ट टैरिफ ने न सिर्फ एक्वा इंडस्ट्री को, बल्कि देश के कई सेक्टर्स को चोट पहुंचाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले को गंभीरता से ले रहे हैं और समाधान पर काम कर रहे हैं.

साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि हर एकड़ खेती पर किसानों को सब्सिडी वाली बिजली मिले. उन्होंने 60–90 काउंट वाले झींगा पर अचानक आई कीमतों में कटौती का मुद्दा भी उठाया, जो मुख्य रूप से चीन और यूरोप को एक्सपोर्ट होते हैं, न कि अमेरिका को. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भी वे राज्य सरकार से बात करेंगे.

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वैकल्पिक मार्केट पर फोकस

अमेरिकी टैरिफ झटके का मुकाबला करने के लिए मत्स्य पालन मंत्री ने नए बाजारों की तलाश की घोषणा की. उन्होंने कहा कि झींगा और अन्य एक्वा प्रोडक्ट्स का निर्यात अब दक्षिण कोरिया, यूरोप, ब्रिटेन, मध्य-पूर्व, रूस और अफ्रीका में बढ़ाया जाएगा. इसमें MPEDA (मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) मदद करेगी.

उन्होंने निर्यातकों से अपील की कि वे वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स पर ध्यान दें और भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का फायदा उठाएं. साथ ही राज्य सरकार आंध्र प्रदेश प्रॉन प्रोड्यूसर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाएगी, जो NECC (नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी) की तर्ज पर घरेलू खपत को बढ़ावा देगी.

मुख्यमंत्री नायडू का ऐलान

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी प्रकाशम जिले में PM किसान-अन्नदाता सुखिभव योजना लॉन्च के दौरान अमेरिकी टैरिफ की मार पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हम किसानों को ₹1.50 प्रति यूनिट की दर से बिजली दे रहे हैं. लेकिन टैरिफ बढ़ने से किसान और बोझ झेलेंगे. हम किसानों से बात करके एक एक्शन प्लान बनाएंगे. सीएम ने साथ ही मछुआरों को दी जाने वाली आर्थिक मदद को दोगुना कर ₹20,000 करने का ऐलान किया. अब इसका फायदा 1.29 लाख लोगों को मिलेगा.

किसानों की मुश्किल

कैकलूरु (कृष्णा जिला) के किसान नागराजु ने बताया कि 30 एकड़ में झींगा पालने की लागत लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि 100 काउंट झींगा की लागत हमें ₹200 पड़ती है, लेकिन अब हमें इसे ₹180 या यहां तक कि ₹150 में बेचना पड़ रहा है. कोविड ने छोटे किसानों को तबाह कर दिया था, और अब ट्रंप इफेक्ट हमें फिर से खत्म कर रहा है. अगर एक्वा किसान पीछे हट गए, तो उन पर निर्भर हजारों इंडस्ट्रीज भी ध्वस्त हो जाएंगी.

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