हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दौर चल रहा है. बारिश और बादल फटने की घटनाओं से राज्य में जगह-जगह तबाही का मंजर है. सबसे ज्यादा बुरा हाल मंडी में देखने को मिल रहा है. यहां भी भारी बारिश और बादल फटने से अलग अलग हिस्से में तबाही जारी है. पंडोह डैम से 1 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे पंडोह बाजार में बीती रात पानी भरने से भगदड़ जैसे हालात हो गए. हालात ये हुए कि लोगों को 2023 की याद आ गई. चिंता की बात ये है कि मौसम विभाग ने आज भी बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. जिले के स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं.
आज भी बाढ़ का खतरा, भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने सोमवार शाम को अगले 24 घंटों में कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों के कुछ हिस्सों में मध्यम बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी. मौसम विभाग ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है तथा 6 जुलाई तक पहाड़ी राज्य में बारिश का दौर जारी रहने का अनुमान जताया है.
करसोग और धर्मपुर में बादल फटने के बाद सात लोग लापता
मंडी के करसोग और धर्मपुर में बादल फटने के बाद सात लोग लापता हैं, सड़कें पुल पुलिया बह गए हैं और आफत की ये बारिश अभी थमी नहीं है. बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के बाद एक व्यक्ति की मौत हो गई है और 7 लोग लापता हैं. इसमें कुल 8 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. अब तक 39 लोगों को बचाया गया है. मंडी के गोहर और करसोग इलाके में एनडीआरएफ की टीमें रवाना हो चुकी हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने जताई चिंता
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. सुखविंदर सिंह सुखू ने ट्वीट कर कहा, "करसोग, धर्मपुर, मंडी सदर, नाचन और सराज क्षेत्रों में बारिश और बादल फटने की घटनाओं के कारण जान-माल के नुक़सान के समाचार अत्यंत पीड़ादायक तथा चिंताजनक हैं. इस दुःखद घड़ी में, मैं प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करने के साथ ही उन्हें आश्वस्त करता हूँ कि राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
मैं ज़िला प्रशासन के निरन्तर संपर्क में रहकर राहत एवं बचाव कार्यों की लगातार समीक्षा कर रहा हूँ, ताकि ज़रूरतमंदों तक त्वरित और प्रभावी सहायता सुनिश्चित की जा सके. प्रदेशवासियों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का गंभीरता से पालन करें."
"बादल फटने की घटना से खनेरी में दो परिवार लापता"
पूर्व सीएम और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने भी ट्वीट कर कहा, "पूरे प्रदेश में भारी बारिश और बादल फटने से बहुत नुकसान हुआ है. कई क्षेत्रों का संपर्क कट गया है. मेरे विधानसभा क्षेत्र सराज में कई जगह बादल फटने की दुखद घटना सामने आई है. इन घटनाओं में बहुत नुकसान हुआ है. बादल फटने की घटना से खनेरी में दो परिवार लापता है. मैं ईश्वर से उनके सकुशल होने की प्रार्थना करता हूं. प्रशासन द्वारा करसोग, धर्मपुर, मंडी सदर और नाचन विधान सभा क्षेत्रों में भी भारी नुकसान की सूचना दी गई है. प्रशासन से मेरा विनम्र निवेदन है कि जल्दी से जल्दी राहत और बचाव कार्य आरंभ करें जिससे लापता लोगों को अविलंब खोजा जा सके.
भारी बारिश से भूस्खलन, कई इमारतें ढहीं, सड़कें अवरुद्ध, अब तक 23 लोगों की मौत
बता दें कि सोमवार को भारी बारिश के कारण राज्य में कई इमारतें ढह गईं, भूस्खलन हुआ और सड़कें अवरुद्ध हो गईं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, भारी बारिश के कारण बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन के कारण मंडी में 129 और सिरमौर जिले में 92 सहित राज्य में 259 सड़कें बंद हो गईं और 614 ट्रांसफार्मर व 130 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हो गईं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 20 जून को मॉनसून के आगमन के बाद से अब तक राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 23 लोगों की मौत हो चुकी है.
मंडी (पंडोह) में लगातार भारी बारिश के कारण ब्यास नदी का जल स्तर बढ़ा
जून में 34 प्रतिशत ज्यादा बारिश
हिमाचल में जून में औसत 135 मिमी बारिश हुई जबकि सामान्य बारिश 101 मिमी होती है. यह 34 प्रतिशत अधिक है. यह 1901 के बाद से राज्य में जून के महीने में 21वीं सबसे अधिक बारिश है. सबसे अधिक बारिश 252.7 मिमी है जो साल 1971 में दर्ज की गई थी.
मंडी में सबसे ज्यादा बारिश
पालमपुर, बैजनाथ, सुंदरनगर, मुरारी देवी, कांगड़ा, शिमला और इसके आसपास के क्षेत्र जुब्बड़हट्टी में गरज के साथ बारिश हुई. राज्य के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हुई. मंडी में रविवार शाम से अब तक सबसे ज़्यादा बारिश दर्ज की गई.
मॉनसून की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पर्यटकों और निवासियों से मौसम संबंधी सलाह का पालन करने और नदियों और झरनों के पास जाने से बचने का आग्रह किया तथा राज्य भर के उप-मंडल मजिस्ट्रेटों (एसडीएम) को सतर्क रहने का निर्देश दिया.
पांच मंजिला इमारत पांच सेकंड में ढेर
सोमवार सुबह शिमला के उपनगरीय क्षेत्र भट्टा कुफ्फार में एक पांच मंजिला इमारत पांच सेकंड में ताश के पत्तों की तरह ढह गई, जबकि रामपुर में बादल फटने से एक शेड से कई गायें बह गईं. चमियाना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रास्ते पर माथु कॉलोनी में इमारत ढह गई, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ क्योंकि जिला प्रशासन ने गंभीर खतरे को भांपते हुए पहले ही लोगों को बाहर निकाल लिया था. आसपास की दो इमारतें भी खतरे में हैं.
चार लेन सड़क निर्माण से खतरे में पड़ी इमारत
इमारत की मालिक रंजना वर्मा ने कहा, "हमने रविवार रात को इमारत खाली कर दी थी, क्योंकि शनिवार की बारिश के बाद जमीन खिसक रही थी. इमारत सोमवार सुबह करीब 8.15 बजे ढह गई." उन्होंने कहा कि चार लेन की सड़क के निर्माण से इमारत खतरे में पड़ गई थी, लेकिन इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए. चमियाणा ग्राम पंचायत के उपप्रधान यशपाल वर्मा के अनुसार, पिछले साल भवन में दरारें आ गई थीं, लेकिन कैथलीघाट-ढली फोरलेन सड़क का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि भवन सुरक्षित है. वर्मा ने बताया कि पंचायत ने कंपनी को काम बंद करने के लिए लिखा था क्योंकि इससे इमारतें असुरक्षित हो रही थीं. हालांकि, उन्होंने निर्माण गतिविधियां जारी रखीं, जिसके कारण इमारत ढह गई. उन्होंने कहा, "निर्माण कंपनी की लापरवाही के कारण इमारत ढह गई."
बिलापुर में सीनियर सेकेंडरी स्कूल में घुटनों तक पानी
बिलापुर जिले के कुन्हमुंझवाड़ इलाके में स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पानी घुस गया और स्कूल के 130 से ज़्यादा छात्रों को घर भेज दिया गया क्योंकि कक्षाएं पानी से भर गई थीं. स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल पहले से ही खस्ताहाल था और बारिश ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया. स्कूल के उप-प्रधानाचार्य श्याम लाल ने बताया, "जब मैं स्कूल पहुंचा तो मैंने देखा कि कमरों में घुटनों तक पानी भरा हुआ था और जमीन पर कीचड़ ही कीचड़ थी. बच्चों के बैठने के लिए कोई जगह नहीं थी, इसलिए उन्हें घर भेजना पड़ा."
रामपुर में बहीं गौशालाएं
शिमला जिले के जुन्गा क्षेत्र में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय को भी नुकसान पहुंचा है. रामपुर के सरपारा ग्राम पंचायत के सिकासेरी गांव में बादल फटने से दो गौशालाएं, तीन गायें और दो बछड़े, एक रसोई और एक कमरा बह गया. यह घर राजिंदर कुमार, विनोद कुमार और गोपाल का था, जो सभी पलास राम के बेटे हैं. हालांकि, जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ. पिछले साल जुलाई में सरपारा पंचायत के समेज में बादल फटने से 21 लोगों की जान चली गई थी.
शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लैंडस्लाइड
लगातार बारिश के कारण भूस्खलन होने के बाद शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांच स्थानों पर पत्थर गिरे. इसके बाद यातायात को एक लेन पर डायवर्ट कर दिया गया, जिससे जाम लग गया. सोलन जिले के कोटी के पास चक्की मोड़ पर भी हाईवे पर यही स्थिति रही. पत्थरबाजी के कारण यातायात बाधित हो गया और यात्रियों को एक लेन से धीमी गति से वाहन चलाने को मजबूर होना पड़ा सोलन जिले के देल्गी में भूस्खलन के बाद सुबाथू-वाकनाघाट मार्ग भी बंद हो गया है. अधिकारियों ने बताया कि सड़क को साफ करने के प्रयास जारी हैं.
यात्रियों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस की तैनाती
उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने चक्की मोड़ का निरीक्षण किया तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को निर्देश दिए कि वे बारिश के दौरान इस स्थान पर यातायात अवरोध से बचने के लिए आवश्यक उपकरण और मशीनरी की चौबीसों घंटे तैनाती करें तथा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से इस मार्ग की निगरानी करें. उन्होंने कहा कि यहां यातायात पुलिस तैनात की गई है ताकि निवासियों और पर्यटकों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार हो रही फिसलन
मंडी जिले में यातायात संबंधी समस्याओं और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंडोह के पास कैंचीमोड़ पर लगातार हो रही फिसलन के कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा. सड़क पर मलबा गिरने के कारण राजमार्ग आंशिक रूप से बंद हो गया है और वाहनों को दूसरी तरफ से भेजा जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई की टीमें मौके पर राहत और मलबा हटाने का काम कर रही हैं.
अमन भारद्वाज