MCD के अस्पताल में बिजली जाने से हुई बच्चे की मौत? दिल्ली मेयर ने दिए जांच के निर्देश

यह घटना तब सामने आई जब कई सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि गुरुवार को कस्तूरबा अस्पताल में कुछ समय के लिए बिजली गुल हो गई थी, जिसके दौरान दो नवजात शिशुओं को कथित तौर पर टॉर्च की रोशनी में जन्म दिया गया था. इस दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई.

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दिल्ली के मेयर शैली ओबरॉय ने मामले में जांच के निर्देश दिए हैं दिल्ली के मेयर शैली ओबरॉय ने मामले में जांच के निर्देश दिए हैं

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:45 AM IST

दिल्ली की मेयर शेली ओबेरॉय ने शुक्रवार को एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार को पुरानी दिल्ली में नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल में एक शिशु की मौत की जांच शुरू करने का निर्देश दिया. यह मौत कथित तौर पर नियोजित शटडाउन के दौरान बिजली बैकअप विफलता के कारण हुई थी. कमिश्नर को जारी आदेश में कहा गया है, "एक मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि 22 अगस्त को कस्तूरबा अस्पताल में नियोजित शटडाउन के दौरान बिजली बैकअप की अनुपलब्धता के कारण दुर्भाग्य से एक शिशु की मौत हो गई." 

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ओबेरॉय ने आदेश में आगे कहा, "आपसे अनुरोध है कि मामले की जड़ तक पहुंचने और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण की पहचान करने के लिए तुरंत जांच शुरू करें ताकि हम तदनुसार कार्रवाई शुरू कर सकें."

बता दें कि यह घटना तब सामने आई जब कई सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि गुरुवार को कस्तूरबा अस्पताल में कुछ समय के लिए बिजली गुल हो गई थी, जिसके दौरान दो नवजात शिशुओं को कथित तौर पर टॉर्च की रोशनी में जन्म दिया गया था. इस दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई. 

टॉर्च की रोशनी में प्रसव होने के आरोपों को नकारते हुए एमसीडी ने कहा, "अस्पताल के ओटी में बिजली की आपूर्ति उपलब्ध थी. कस्तूरबा अस्पताल में कुल तीन प्रसव हुए, जिनमें से दो प्रसव दिन के उजाले में और एक शाम को हुआ, तब तक अस्पताल में बिजली आपूर्ति बहाल हो चुकी थी. निगम इस तथ्य से इनकार करता है कि प्रसव टॉर्च की रोशनी में हुए." 

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बच्चे की मौत पर नगर निगम ने कहा, "प्रसव के बाद शिशु की सांस नहीं चल रही थी, इसलिए उसे एनआईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था और उसके माता-पिता को उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में सूचित किया जा रहा था. एनआईसीयू के वेंटिलेटर का पावर बैकअप लगातार काम कर रहा था. पांच दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्भाग्य से बच्चे की बीमारी के कारण मौत हो गई." 

एक अधिकारी के मुताबिक, एमसीडी ने 21 अगस्त को एक सर्कुलर जारी कर अस्पताल में दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली कटौती की योजना के बारे में जानकारी दी और सभी विभागों को आवश्यक व्यवस्था करने को कहा.

एमसीडी ने आधिकारिक बयान में कही थी ये बात 

एमसीडी के प्रेस एवं सूचना निदेशक अमित कुमार ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, अस्पताल के ओटी में पावर बैकअप उपलब्ध था. कस्तूरबा गांधी अस्पताल में कुल तीन प्रसव हुए, जिनमें से दो प्रसव दिन के उजाले में और एक शाम को हुआ. तब तक अस्पताल में बिजली आपूर्ति बहाल हो चुकी थी. निगम इस बात से इनकार करता है कि प्रसव तथाकथित टॉर्च की रोशनी में हुआ. जहां तक ​​बच्चे की मौत की खबर का सवाल है, तो बताया गया है कि प्रसव के बाद उसकी सांस नहीं चल रही थी. इसलिए उसे एनआईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था और उसके माता-पिता को उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही थी. एनआईसीयू के वेंटिलेटर का पावर बैकअप ठीक से काम कर रहा था. पांच दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्भाग्य से बच्चे की बीमारी के कारण मौत हो गई.

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