जानिए कौन हैं सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा, किन बयानों को लेकर विवादों में?

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के प्रधान सलाहकर मोहम्मद मुस्तफा के खिलाफ केस दर्ज किया गया. मुस्तफा पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. मुस्तफा पंजाब पुलिस के डीजीपी रह चुके हैं.

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मोहम्मद मुस्तफा और उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना. उनकी पत्नी पंजाब सरकार में मंत्री हैं. (फाइल फोटो) मोहम्मद मुस्तफा और उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना. उनकी पत्नी पंजाब सरकार में मंत्री हैं. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST
  • पंजाब पुलिस के डीजीपी रह चुके हैं मुस्तफा
  • मुस्तफा पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप
  • अगस्त 2021 में सिद्धू के सलाहकार बने थे

पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा (Mohammad Mustafa) के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. मुस्तफा पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के प्रधान सलाहकार हैं. मुस्तफा पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में केस दर्ज किया गया है. 

दरअसल, मोहम्मद मुस्तफा का एक वीडियो वायरल हुआ है. बीजेपी नेता शाजिया इल्मी (Shazia Ilmi) ने वीडियो शेयर कर मुस्तफा पर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया है. 

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मोहम्मद मुस्तफा का ये वीडियो 20 जनवरी की रात का बताया जा रहा है, जब वो मलेरकोटला में चुनाव प्रचार कर रहे थे. उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना यहीं से विधायक हैं. रजिया सुल्ताना पंजाब सरकार में मंत्री भी हैं. मलेरकोटला पंजाब का मुस्लिम बाहुल्य जिला है. 

मोहम्मद मुस्तफा का भड़काऊ भाषण सामने आने के बाद सियासत भी तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने गिरफ्तारी की मांग की है. कैप्टन ने कहा, 'उन्हें बाहर रहने का कोई अधिकार नहीं है. मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग इस पर संज्ञान लेगा और उसे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.'

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कभी कैप्टन के करीबी माने जाते थे मुस्तफा

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कैप्टन अमरिंदर सिंह आज भले ही मोहम्मद मुस्तफा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हों. लेकिन एक समय में मोहम्मद मुस्तफा को कैप्टन अमरिंदर सिंह का करीबी माना जाता था. कहा जाता है कि कैप्टन अक्सर मुस्तफा के घर खाना खाने जाते थे.

कैप्टन और मुस्तफा के बीच रिश्ते तब बिगड़ने शुरू हुए जब पंजाब सरकार ने दिनकर गुप्ता को डीजीपी नियुक्त किया. दिनकर गुप्ता को फरवरी 2019 में पंजाब पुलिस का डीजीपी का नियुक्त किया था. लेकिन इस नियुक्ति पर मोहम्मद मुस्तफा और सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने सवाल उठाए. 

मोहम्मद मुस्तफा 1985 बैच के आईपीएस अफसर थे जबकि सिद्धार्थ चटोपाध्याय 1986 बैच के अफसर थे. वहीं, दिनकर गुप्ता 1987 बैच के आईपीएस अफसर थे. मुस्तफा और चटोपाध्याय ने इस फैसले को चुनौती दी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया. हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.

पिछले साल कैप्टन अमरिंदर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद जब चरणजीत सिंह चन्नी सीएम बने तो दिनकर गुप्ता पर छुट्टी चले गए. उसके बाद उन्हें डीजीपी के पद से हटा दिया गया और सिद्धार्थ चटोपाध्याय को डीजीपी नियुक्त किया गया. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक के चलते चटोपाध्याय को भी डीजीपी के पद से हटा दिया गया.

चार बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित

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मोहम्मद मुस्तफा को वीरता के लिए चार बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है. मुस्तफा ने एक मीडिया वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वो देश के इकलौते ऐसे आईपीएस अफसर हैं जिन्हें 4 बार इस सम्मान से सम्मानित किया गया है. मुस्तफा ने बताया था कि उनकी पहली पोस्टिंग तरन तारन जिले में हुई थी. उसके बाद वो प्रमोट होकर आईजी बने और सभी सीमावर्ती जिलों में उनकी पोस्टिंग रही. सिद्धू ने 19 अगस्त 2021 को मुस्तफा को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्ति किया था.

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किस बयान को लेकर विवादों में हैं मुस्तफा?

- मुस्तफा अब जिस कथित बयान को लेकर विवादों में है, वो उन्होंने मलेरकोटला में दिया था. इस बयान का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में मुस्तफा ये कहते हुए सुनाई दे रहे हैं, 'मैं कानून के हिसाब से चलने वाला इंसान हूं. मेरा जलसा यहां होना था. इन्होंने शोर मचाने की कोशिश की है. अगर दोबारा इन्होंने ऐसा किया तो मैं अल्लाह की कसम खा कर कहता हूं मैं इनका कोई भी जलसा नहीं होने दूंगा. मैं कौमी फौजी हूं. मैं कौमी सिपाही हूं. मैं आरएसएस का एजेंट नहीं हूं कि डर कर घर में बैठ जाऊंगा. अगर दोबारा इन्होंने ऐसी हरकत की तो खुदा की कसम इनके घर में घुस कर मारूंगा. आज मैं सिर्फ इनको वॉर्निंग दे रहा हूं.'

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- आगे मुस्तफा कहते हैं, 'मैं वोटों के लिए नहीं लड़ रहा मैं कौम के लिए लड़ रहा हूं. मैं जिला पुलिस और जिला प्रशासन को भी बताना चाहता हूं अगर दोबारा ऐसी हरकत हुई. मेरे जलसे के बराबर के दोबारा अगर इन फितनों को इजाजत दी गई तो मैं ऐसे हालात पैदा करूंगा कि संभालना मुश्किल हो जाएगा.'

- इस मामले में मुस्तफा ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसी धर्म का नाम नहीं लिया. मैंने ‘फितनों’ शब्द का इस्तेमाल किया था जिसका मतलब बदमाश होता है. चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के लोग मुझे परेशान करने की कोशिश कर रहे थे इसलिए मेरा गुस्सा फूट पड़ा.

 

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