कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने ऐलान कर दिया है कि वो अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया और अपने निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के लोगों के लिए एक भावुक चिट्ठी लिखी है. सोनिया ने समर्थन के लिए जनता को धन्यवाद दिया और यह संकेत भी दे दिया कि उनका रायबरेली से जुड़ाव खत्म नहीं हो रहा है और आगे भी यहां से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में उतर सकता है.
दरअसल, सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा. वे 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ी थीं और जीत हासिल की थी. उसके बाद 2004 में वो पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीतीं. सोनिया गांधी कुल पांच बार सांसद चुनी गईं. रायबरेली के साथ दशकों के पारिवारिक संबंधों को छोड़कर जब सोनिया ने राज्यसभा जाने का फैसला किया तो वो काफी भावुक नजर आईं.
'मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा'
उन्होंने दो दिन पहले राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन किया, उसके बाद उन्होंने रायबरेली की जनता को भावुक चिट्ठी लिखी. सोनिया ने लिखा, अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी. इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा.
सोनिया ने आगे कहा, मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे, जैसे अब तक संभालते आए हैं. अंत में उन्होंने जल्द मिलने का वादा भी किया है.
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'मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा'
सोनिया गांधी ने रायबरेली से अपने और अपने परिवार के रिश्तों का जिक्र किया और याद किया कि जब वे अपने पति (राजीव गांधी) और सास (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी) को खोने के बाद रायबरेलीं आई थीं तो लोगों ने उन्हें कैसे गले लगाया था. सोनिया ने लिखा, मेरा परिवार और दिल्ली में अधूरा है. वह रायबरेली आकर आप लोगों में मिलकर पूरा होता है. यह नेह-नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे शगुन की तरह मिला है.
सोनिया गांधी ने चिट्ठी में रायबरेली के लिए और क्या लिखा....
रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं. आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फीरोज गांधी जी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा. उनके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी जी को आपने अपना बना लिया. तब से अब तक यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया. और इस हमारी आस्था मजबूत होती चली गई. इसी रोशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी. सास और जीवनसाथी को हमेशा के लिए खोकर मैं आपके पास आई और आपने अपना आंचल मेरे लिए फैला दिया. पिछले दो चुनावों में विषम परिस्थितियों में भी आप एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे. मैं यह कभी भूल नहीं सकती. यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, आपकी बदौलत हूं और मैंने इस भरोसे को निभाने की हरदम कोशिश की है.
'राज्यसभा जाने वालीं गांधी परिवार की दूसरी सदस्य होंगी सोनिया'
सोनिया ने 1999 में अमेठी और 2004, 2009, 2014, 2019 से रायबरेली से चुनाव जीता. उसके बाद वे पहली बार राज्यसभा जा रही हैं. वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद राज्यसभा जाने वाली गांधी परिवार की दूसरी सदस्य होंगी. इंदिरा गांधी अगस्त 1964 से फरवरी 1967 तक राज्यसभा की सदस्य रही हैं.
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'रायबरेली से होगी प्रियंका की चुनावी ओपनिंग?'
सोनिया गांधी की इस चिट्ठी के बाद यह साफ हो गया है कि रायबरेली सीट पर भले सोनिया गांधी उम्मीदवार नहीं होंगी, लेकिन उनका कोई अपना ही उम्मीदवार चुनावी मैदान में देखा जा सकता है. सबसे ज्यादा कयास प्रियंका गांधी को लेकर लगाए जा रहे हैं. चूंकि प्रियंका करीब साढ़े तीन साल तक यूपी की प्रभारी रही हैं और संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम किया है. हाल ही में कांग्रेस ने संगठन में बदलाव किया है और प्रियंका से जिम्मेदारी वापस ली है. कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका को पार्टी अब बड़ी जिम्मेदारी या आम चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है. ताकि वो चुनाव पर फोकस कर सकें. क्योंकि यह उनका पहला चुनाव होगा.
'मोदी लहर में भी रायबरेली में कांग्रेस का दबदबा'
यूपी के लिहाज से रायबरेली सबसे सुरक्षित सीट है. यहां 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी कांग्रेस को जीत मिली और सोनिया गांधी का दबदबा बना रहा. जबकि 2019 में कांग्रेस के दूसरे गढ़ अमेठी का किला ढह गया और वहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा. यही वजह है कि अगर प्रियंका गांधी को पहली बार चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर उतारा जाता है तो रायबरेली सबसे सेफ और जिताऊ सीट होगी. वहां पार्टी को ज्यादा मशक्कत और चुनौतियों से नहीं जूझना होगा.
'सोनिया गांधी ने चिट्ठी के जरिए दे दिया संदेश?'
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यूपी में वैसे भी कांग्रेस नाजुक दौर से गुजर रही है. हाल ही सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने पर एक वर्ग मुखर होकर आलोचना कर रहा था. कहा जाने लगा था कि सोनिया गांधी ने हार के डर की वजह से सुरक्षित रास्ता चुना है. ऐसे में सोनिया गांधी की चिट्ठी में कई बड़े संदेश छिपे हैं. सोनिया ने इस चिट्ठी के जरिए ना सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से सीधे संवाद किया, बल्कि आम चुनाव ना लड़ पाने की वजह भी स्पष्ट की. इसके साथ ही रायबरेली में लोगों के मन में गांधी परिवार के प्रति किसी तरह की नाराजगी या विपक्ष को निशाना बनाने का मौका ना मिल सके. सोनिया ने जिस तरह से परिवार को आगे संभालने का जिक्र किया है, उससे साफ संकेत मिलता है कि प्रियंका गांधी अपनी मां की जगह चुनावी मैदान में दिख सकती हैं.
'2019 में अमेठी से हार गए थे राहुल गांधी'
2019 के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था. पहली सीट अमेठी और दूसरी सीट केरल की वायनाड थी. राहुल को अपनी सबसे सुरक्षित सीट अमेठी से हार मिली थी. हालांकि, वो केरल की वायनाड सीट से चुनाव जीत गए थे. 2024 के आम चुनाव में इस सीट को लेकर कांग्रेस को फैसला लेना है. यहां भी पार्टी राहुल गांधी को दोबारा मैदान में उतार सकती है या फिर किसी करीबी नेता पर भरोसा कर सकती है. संभव है कि राहुल वायनाड सीट से दोबारा चुनाव लड़ना पसंद करेंगे.
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नॉर्थ और साउथ दोनों साधेगी कांग्रेस?
- विधानसभा चुनावों में उत्तर भारत के राज्यों में कांग्रेस का सफाया हो गया है. सिर्फ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. 2023 में पार्टी को राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार गंवानी पड़ी है. इन दोनों राज्यों में बीजेपी को जीत मिली है.
- 2019 के आम चुनाव में सोनिया गांधी ने सिर्फ रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा था. जबकि राहुल ने उत्तर प्रदेश में अपनी परंपरागत सीट अमेठी और दक्षिण में केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था. माना गया था कि कांग्रेस ने राहुल के जरिए नॉर्थ और साउथ दोनों को साधने का एक संदेश दिया है.
- हालांकि, नॉर्थ की अमेठी सीट पर राहुल गांधी को हार मिली थी और साउथ की वायनाड से जीत मिली थी.
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- अब जब सोनिया गांधी भी इस बार आम चुनाव नहीं लड़ रही हैं और राज्यसभा जा रही हैं, तब यह चर्चा तेज हो गई थी कि वे दक्षिण के राज्य तेलंगाना या कर्नाटक से नामांकन कर सकती हैं. क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और पार्टी जीत की मजबूत स्थिति में है. लेकिन सोनिया गांधी ने राजस्थान से राज्यसभा जाने का फैसला किया.
- जबकि राजस्थान में कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट जीतने का बहुमत है. ऐसे में यह भी एक संकेत है कि गांधी परिवार हिंदी बेल्ट से अपना जुड़ाव खत्म नहीं कर रहा है.
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